एनालिटिकल रीजनिंग टाइप 2
Analytical Puzzle Test Type II: Decision Making
- यह Analytical Puzzles पर आधारित एक ऑनलाइन क्विज़ है.
- यह टेस्ट शैक्षिक और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है.
- प्रत्येक प्रश्न के लिए एकाधिक उत्तर विकल्प दिए गए हैं. आपको सबसे अच्छा विकल्प चुनना है.
- टेस्ट पूरा करने के बाद आप अपना रिजल्ट देख सकते हैं.
- गलत उत्तरों के लिए कोई नकारात्मक अंकन नहीं है.
- इस टेस्ट को पूरा करने के लिए कोई निर्दिष्ट समय नहीं है.
- EduDose ने यह परीक्षा अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यमों में प्रदान की है.
निर्देश (Q 1-10): किसी इंजीनियरिंग काॅलेज में दाखिले के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं.
- छात्र की न्यूनतम आयु 1.7.2000 को 18 वर्ष होना चाहिए.
- कक्षा XII कम-से-कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हो.
- प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किया हो.
- दाखिले के समय ₹20,000 का भुगतान करने को तैयार हो.
कोई छात्र जो सभी शंर्तों को पूर्ण करता है सिवायः
- (A) उपरोक्त शर्त 2 का, लेकिन वह प्रवेश परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किया हो, मामले को प्रेसिडेंट, दाखिला के पास भेजा जाएगा.
- (B) उपरोक्त शर्त 4 का, लेकिन दाखिले के समय कम-से-कम ₹10,000 का भुगतान कर सकता हो, मामले के काॅलेज के डीन के पास भेजा जाएगा.
उपरोक्त मापदंडों के आधार पर ध्यान से अध्ययन कीजिए कि उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया के लिए पात्र हैं या नहीं और निम्नानुसार अपने उत्तर दीजिए. ये मामले आपको दिनांक 1.12.2000 को दिए गए हैं.
शेखर अग्रवाल ने 58 प्रतिशत और 85 प्रतिशत अंक क्रमशः कक्षा XII और प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है. उनका जन्म 11 जनवरी 1982 को हुआ था. वह दाखिले के समय ₹20,000 का भुगतान कर सकता है.
Q. | 1 | 2/(A) | 3 | 4/(B) |
1. | √ | √ | √ | √ |
2. | √ | √ | √ | (√) |
3. | √ | √ | √ | (√) |
4. | √ | -- | √ | √ |
5. | √ | (√) | √ | √ |
6. | × | √ | √ | √ |
7. | -- | √ | √ | √ |
8. | √ | √ | √ | √ |
9. | √ | √ | √ | √ |
10. | √ | √ | × | √ |
1 + 2 + 3 + 4 = Option (a) 1 + (A) + 3 + 4 = Option (b) 1 + 2 + 3 + (B) = Option (c) Anything not given = Option (d) 1 + (A) + 3 + (B) or Anything not fulfilling = Option (e)
शीला दीक्षित ने 75 प्रतिशत और 80 प्रतिशत अंक क्रमश कक्षा XII तथा प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है. वह दाखिले के समय ₹10,000 का भुगतान कर सकती है. उनका जन्म 15 जून 1982 को हुआ था.
Q. | 1 | 2/(A) | 3 | 4/(B) |
1. | √ | √ | √ | √ |
2. | √ | √ | √ | (√) |
3. | √ | √ | √ | (√) |
4. | √ | -- | √ | √ |
5. | √ | (√) | √ | √ |
6. | × | √ | √ | √ |
7. | -- | √ | √ | √ |
8. | √ | √ | √ | √ |
9. | √ | √ | √ | √ |
10. | √ | √ | × | √ |
अशोक परंजपे का जन्म 17 जनवरी 1982 को हुआ था. वह कक्षा XII और प्रवेश परीक्षा में क्रमशः 65 प्रतिशत तथा 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है. वह दाखिले के समय ₹15,000 का भुगतान कर सकता है.
अरुणा नाडकरनी दाखिले के समय ₹20,000 का भुगतान कर सकती है और इन्होंने 60 प्रतिशत तथा 70 प्रतिशत अंक क्रमशः स्नातक और प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है. उनका जन्म 5 अप्रैल 1981 को हुआ था.
रीता झा का जन्म 12 जून 1980 को हुआ था. वह दाखिले के समय ₹20,000 का भुगतान कर सकती है. इन्होंने 45 प्रतिशत एवं 85 प्रतिशत अंक क्रमशः कक्षा XII और प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है.
सुनील चोपड़ा ने 55 प्रतिशत और 75 प्रतिशत अंक क्रमशः कक्षा XII एवं प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है. उनका जन्म 10 नवम्बर 1982 को हुआ था. दाखिले के समय वह ₹20,000 का भुगतान कर सकता है.
प्रभात राय ने 80 प्रतिशत और 60 प्रतिशत अंक क्रमशः प्रवेश परीक्षा एवं कक्षा XII में प्राप्त किया है. वह दाखिले के समय ₹20,000 का भुगतान कर सकता है. वह अपने कक्षा में सर्वाधिक आयु वाला था.
“Oldest in his class” is no clue because we don’t know whether other students also come from the same class of a school.
अखिल मलहोत्रा का जन्म 9 जुलाई 1981 को हुआ था. वह दाखिले के समय ₹20,000 का भुगतान कर सकता है. वह 60 प्रतिशत एवं 80 प्रतिशत अंक क्रमशः XII एवं प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है.
- (ंA) उपरोक्त शर्त 2 का, लेकिन वह प्रवेश परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किया हो, मामले को प्रेसिडेंट, दाखिला के पास भेजा जाएगा.
अरुण संगवी ने 55 प्रतिशत एवं 65 प्रतिशत अंक क्रमशः कक्षा XII एवं प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है. उनका जन्म 19 मई 1981 को हुआ था. वह दाखिले के समय ₹20,000 का भुगतान कर सकता है.
सीमा कुलकर्णी ने 50 प्रतिशत और 55 प्रतिशत अंक क्रमशः कक्षा XII एवं प्रवेश परीक्षा में प्राप्त किया है. 1 मई 1998 को वह 16 वर्ष 5 महीने की थी. दाखिले के समय वह ₹20,000 का भुगतान कर सकती है.
निर्देश (Q.11-19):निम्नलिखित अहर्ता मापदंड एक संगठन में नामांकन के लिए हैं.
- 65 प्रतिशत अंकों के साथ इंजीनियरिंग में डिग्री लिया हो.
- दिनांक 1.12.2000 को उसकी आयु 28 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए.
- प्रवेश परीक्षा में कम-से-कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किया हो.
- कोर्स फी के रूप में ₹1,00,000 का भुगतान कर सकता हो.
यद्यपि कोई उम्मीदवार सभी मापदंडों को पूरा करता है सिवायः
- (A) 4 के, लेकिन फी का भुगतान दो किश्तों में कर सकता हो तो इस मामले में इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर के पास भेजा जा सकता है.
- (B) 2 के, किन्तु वह 75 प्रतिशत अंकों के साथ विज्ञान में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण हो तो इसे एडमिशन काॅर्डीनेटर के पास भेजा जा सकता है.
उपरोक्त मापदंडों के आधार पर धयान से अधययन कीजिए कि उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया के लिए पात्र हैं या नहीं. ये मामले आपको दिनांक 1.12.2000 को दिया गया है.
स्नेहा 3 मार्च 2000 को 26 वर्ष की थी . उसने रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर 75 प्रतिशत अंकों के साथ किया है और नामांकन के समय ₹1,00,000 का भुगतान करने को तैयार है. उसने इंजीनियरिंग स्नातक तथा प्रवेेश परीक्षा में 72 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है.
Q. | 1 | 2/(B) | 3 | 4/(A) |
11. | √ | √ | √ | √ |
12. | √ | √ | √ | √ |
13. | √ | (√) | √ | √ |
14. | -- | √ | √ | √ |
15. | √ | √ | √ | (√) |
16. | -- | -- | √ | √ |
17. | -- | √ | √ | √ |
18. | √ | √ | √ | √ |
19. | √ | (√) | -- | √ |
1 + 2 + 3 + 4 = Option (a) 1 + (B) + 3 + 4 = Option (d) 1 + 2 + 3 + (A) = Option (c) 1+ (B) + 3 + (A) or Anything not fulfilling = Option (b) Anything not given = Option (e)
निर्देश (Q.11-19): निम्नलिखित अहर्ता मापदंड एक संगठन में नामांकन के लिए हैं.
आशुतोष ने 62 प्रतिशत और 68 प्रतिशत अंकों के साथ क्रमशः प्रवेश परीक्षा और इंजीनियरिंग स्नातक उत्तीर्ण किया है. वह 1 अप्रैल, 2000 को 27 वर्ष का था. वह नामांकन के समय ₹1,00,000 का भुगतान कर सकता है.
Q. | 1 | 2/(B) | 3 | 4/(A) |
11. | √ | √ | √ | √ |
12. | √ | √ | √ | √ |
13. | √ | (√) | √ | √ |
14. | -- | √ | √ | √ |
15. | √ | √ | √ | (√) |
16. | -- | -- | √ | √ |
17. | -- | √ | √ | √ |
18. | √ | √ | √ | √ |
19. | √ | (√) | -- | √ |
रिशीकान्त 22 जनवरी, 1997 को 26 वर्ष का था. उन्होंने 65 प्रतिशत अंकों के साथ इंजीनियरिंग स्नातक और 83 प्रतिशत अंकों के साथ भौतिकी में स्नातकोत्तर किया है. इन्होंने प्रवेश परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है. वह नामांकन के समय ₹1,00,000 का भुगतान करने को तैयार है.
दामोदर का जन्म 19 मई, 1975 को हुआ था. उन्होंने 60 प्रतिशत और 73 प्रतिशत अंकों के साथ क्रमशः प्रवेश परीक्षा तथा स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है. वह नामांकन के समय ₹1,00,000 का भुगतान करने को तैयार है.
खेमचंद ने 69 प्रतिशत और 65 प्रतिशत अंकों के साथ क्रमशः इंजीनियरिंग स्नातक तथा प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण किया है. उनका जन्म 10 नवम्बर, 1973 को हुआ था. वह नामांकन के समय ₹75,000 का भुगतान और शेष ₹25,000 का भुगतान तीन महीने के बाद करने को तैयार है.
गोपाल ने 22 वर्ष की आयु में इंजीनियरिंग स्नातक उत्तीर्ण किया है और प्रवेश परीक्षा में 62 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है. वह नामांकन के समय ₹1,00,000 का भुगतान करने को तैयार है.
फूलन ने विज्ञान स्नातकोत्तर में 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है. उसका जन्म तिथि 25 जून 1979 है. वह प्रवेश परीक्षा में 65 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है और नामांकन के समय ₹1,00,000 का भुगतान करने को तैयार हैं.
साजिद, 3 अक्टूबर 1998 को 24 वर्ष का था . उन्होंने इंजीनियरिंग स्नातक में 65 प्रतिशत अंक तथा प्रवेश परीक्षा में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है. उन्होंने भौतिकी में स्नातकोत्तर परीक्षा भी 81 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण किया है. वे ₹1,00,000 को दो किश्तों में देने को तैयार हैं.
अमृता ने 65 प्रतिशत अंक के साथ इंजीनियरिंग स्नातक तथा 75 प्रतिशत अंक के साथ स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण किया है. उनका जन्म 2 सितम्बर 1971 को हुआ था. वे नामांकन के समय ₹1,00,000 का भुगतान करने को तैयार हैं.
निर्देश (Q.20-24): निम्नलिखित अहर्ता मापदंड एक संगठन में मैनेजर, पद के आवेदन के लिए हैं.
- उम्मीदवार ने कंप्यूटर विज्ञान या इंर्फोमेंशन साइंस में स्नातकोत्तर की उपाधी के साथ-साथ कम-से-कम 2 वर्षों का कार्य अनुभव प्राप्त किया हो.
- उम्मीदवार ने गणित/सांख्यिकी में स्नातकोत्तर के साथ-साथ एक वर्ष का ‘‘पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कंप्यूटर साईंस/इंफाॅर्मेशन टेक्नालाॅजी’’ पूर्ण किया हो और कम-से-कम पाँच वर्ष का अनुभव प्राप्त किया हो.
- उम्मीदवार कम-से-कम 6 वर्ष के अनुभव के साथ कंप्यूटर साईंस/इंफाॅर्मेशन साईंस का इंजीनियर हो.
- उम्मीदवार कम-से-कम तीन वर्षों के अनुभव के साथ गणित (एक विषय के रूप में) से स्नातक किया हो और कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त किया हो.
- उम्मीदवार इलेक्ट्रानिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियर हो और एक वर्ष का कार्य अनुभव प्राप्त किया हो.
कोई उम्मीदवार एक या एक से अधिक शर्तों को पूरा कर योग्य हो सकता है.मृणाल अवस्थी ने इलेक्ट्राॅनिक्स इंजीनियरिंग में पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री के पश्चात इंफाॅर्मेशन टेक्नालाॅजी में पोस्ट-ग्रेजुएट पूर्ण किया है. वे पिछले 15 महीनों से कार्यरत हैं.
Q. | Person | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
20. | Mirnal | × | × | × | × | √ |
21. | Jacob | √ | × | × | × | × |
22. | Keton | × | × | √ | × | √ |
23. | Arun | × | × | × | × | × |
24. | Sushil | × | × | × | × | × |
कोई उम्मीदवार एक या एक से अधिक शर्तों को पूरा कर योग्य हो सकता है.जैकब मिस्त्री ने गणित में स्नातकोत्तर पूरा किया है. उसके पश्चात उसने इंफाॅर्मेशन टेक्नाॅलाजी में स्नातकोत्तर की उपाधि भी ली है. वे पिछले 2 वर्षों से कार्यरत हैं.
कोई उम्मीदवार एक या एक से अधिक शर्तों को पूरा कर योग्य हो सकता है.केतन शाह इंफाॅर्मेशन टेक्टालाॅजी में स्नातक इंजीनियर है. इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्राॅनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर पूर्ण किया है. वह पिछले 8 वर्ष से कार्यरत हैं.
कोई उम्मीदवार एक या एक से अधिक शर्तों को पूरा कर योग्य हो सकता है.अरुण सिंह ने कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक किया है. उन्होंने कंप्यूटर अपुप्रयोग में स्नातकोत्तर की भी उपाधि ली है. वह पिछले 7 वर्षों से कार्यरत हैं.
कोई उम्मीदवार एक या एक से अधिक शर्तों को पूरा कर योग्य हो सकता है.सुशील फंडसे प्रथम श्रेणी में विज्ञान में स्नातक किया है. इन्होंने इसके बाद कंप्यूटर अपुप्रयोग में स्नातकोत्तर पूर्ण किया है. येे पिछले 4 वर्षों से कार्यरत हैं. इन्होंने इंफाॅर्मेशन टेक्नालाॅजी में डिप्लोमा भी किया है.
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समस्या समाधान विधि क्या है,अर्थ एवं परिभाषा,सोपान तथा सीमाएँ | Problem Solving method in Hindi
इसमें पोस्ट में समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method), समस्या समाधान का अर्थ एवं परिभाषा(Meaning & Definition of Problem Solving), समस्या समाधान के सोपान (Steps of Problem Solving), समस्यात्मक स्थिति का स्वरूप (Nature of Problematic Situation), समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान (Model of Problem Solving Teaching), समस्या समाधान शिक्षण हेतु आदर्श पाठ-योजना, समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ, समस्या समाधान शिक्षण की विशेषताएं,समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ, आदि को पढेगें।
Table of Contents
विभिन्न पद्धतियों पर आधारित पाठ-योजना(Lesson Planning Based on Various Methods)
शिक्षण तकनीकी में तीव्र गति से हए विकास के फलस्वरूप शिक्षण हेतु शिक्षा न विभिन्न नवीनतम पद्धतियों का आविष्कार किया ताकि छात्रों में नवीन चनौति सामना करने हेतु मौलिक चिन्तन का विकास किया जा सके। बहुत लम्बे समय तक हरबर्ट की पंचपदी का प्रचलन शिक्षण हेतु मुख्य रूप से किया जाता रहा, लेकिन आज हरबाट पंचपदी के साथ-साथ विशिष्ट शिक्षण के प्रयोजनार्थ विशिष्ट शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाने लगा है। शिक्षण की कुछ नवीनतम पद्धतियों का वर्णन पाठ-योजना सहित यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है।
समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method)
मानव जीवन में समय-समय पर अनेकानेक समस्याएँ आती रहती हैं और इनके परिणामस्वरूप मानव में तनाव, द्वन्द्व, संघर्ष, विफलता, निराशा जैसी प्रवृत्तियाँ जन्म लेती हैं जिनके कारण वह अपने जीवन से विमुख होने का प्रयत्न करता है। ऐसी परिस्थितियों से बचाने के लिए अच्छा शिक्षक छात्रों को प्रारम्भ से ही समस्या समाधान विधि से शिक्षण देकर छात्रों में तर्क एवं निर्णय के द्वारा किसी भी समस्या को सुलझाने की क्षमता का विकास करता है।
समस्या समाधान एक जटिल व्यवहार है। इस व्यवहार में अनेक मनोवैज्ञानिक प्रक्रियायें सम्मिलित रहती हैं। छात्र के समक्ष ऐसी समस्यात्मक परिस्थितियाँ उत्पन्न की जाती हैं जिनमें वह स्वयं चिन्तन, तर्क तथा निरीक्षण के माध्यम से समस्या का हल ढूंढ़ सके। सुकरात ने भी आध्यात्मिक संवादों में इसका प्रयोग किया था। समस्या समाधान सार्थक ज्ञान को प्रदर्शित करता है, इसमें मौलिक चिन्तन निहित होता है। इसके लिए शिक्षण की व्यवस्था चिन्तन स्तर पर की जाती है।
समस्या समाधान का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Problem Solving)
समस्या समाधान एक ऐसी शैक्षिक प्रणाली है जिसके द्वारा शिक्षक तथा छात्र किसी महत्त्वपूर्ण शैक्षिक कठिनाई के समाधान अथवा निवारण हेतु प्रयत्न करते हैं तथा छात्र स्वयं सीखने के लिए प्रेरित होते हैं।
1. थॉमस एम. रिस्क-“समस्या समाधान किसी कठिनाई या जटिलता का एक पूर्ण सन्तोषजनक हल प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया नियोजित कार्य है। इसमें मात्र तथ्यों का संग्रह करना या किसी अधिकृत विद्वान के विचारों की तर्करहित स्वीकृति निहित नहीं है, वरन् यह विचारशील चिन्तन की प्रक्रिया है।”
2 रॉबर्टगेने-“दो या दो से अधिक सीखे गये प्रत्यय या अधिनियमों को एक उच्च स्तरीय अधिनियम के रूप में विकसित किया जाता है, उसे समस्या समाधान अधिगम कहते हैं।”
समस्या समाधान के सोपान (Steps of Problem Solving)
बॉसिंग ने समस्या समाधान प्रविधि के निम्नलिखित सोपान बताये हैं :
(अ) कठिनाई या समस्या की अभिस्वीकृति,
(ब) कठिनाई की समस्या के रूप में व्याख्या,
(स) समस्या समाधान के लिए कार्य करना
(i) तथ्यों का संग्रह करना,
(ii) तथ्यों का संगठन करना,
(iii) तथ्यों का विश्लेषण करना।
(द) निष्कर्ष निकालना,
(य) निष्कर्षों को प्रयोग में लाना ।
समस्यात्मक स्थिति का स्वरूप (Nature of Problematic Situation)
बोर्न (1971) ने ‘उस स्थिति को समस्यात्मक स्थिति कहा है जिसमें व्यक्ति किसी लक्ष्य तक पहुँचने की चेष्टा करता है, किन्तु प्रारम्भिक प्रयासों में लक्ष्य तक पहुँचने में असफल रहता है। इस स्थिति में उसे दो या दो से अधिक अनुक्रियायें करनी होती हैं जिनके लिए उसे प्रभावशाली उद्दीपक संकेत प्राप्त होते हैं।’
जॉन्सन (1972) ने समस्यात्मक स्थिति में प्राणी के व्यवहार का विश्लेषण करते हुए कहा:
1. प्राणी का व्यवहार लक्ष्योन्मुख होता है।
2. लक्ष्य की प्राप्ति पर अनुक्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं।
3. समस्या समाधान हेतु विविध अनुक्रियाएँ की जाती हैं।
4. व्यक्तियों की अनुक्रियाओं में विभिन्नता होती है।
5. पहली बार समस्या समाधान में अधिक समय लगता है।
6. इससे सिद्ध होता है कि जीव में मध्यस्थ अनुक्रियायें होती हैं।
इस समस्यात्मक परिस्थिति का कक्षा शिक्षण में प्रयोग करते समय समस्या का चयन बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए, जैसे :
1. समस्या जीवन से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथा सार्थक हो,
2. यह छात्रों को स्वतः चिन्तन हेतु प्रेरित करे,
3. छात्रों की अवस्था तथा स्तर के अनुरूप हो,
4. समस्या किसी निश्चित विषयवस्तु तथा लक्ष्य से सम्बन्धित हो,
5. यह स्पष्ट तथा बोधगम्य हो।
समस्या समाधान शिक्षण के सोपान (Steps of Problem Solving Teaching)
जेम्स एम. ली (James M. Lee) ने समस्या समाधान शिक्षण के निम्नलिखित सोपान बताये हैं:
1. समस्या का चयन करना- समस्या का चयन करते समय उपर्युक्त वर्णित सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।
2. यह समस्या क्यों है?- समस्या चयन क बाद समस्या की प्रकृति को छात्रों द्वारा सक्षमता से जाँचा जाता है।
3. समस्या को पूर्ण करना- समस्या का प्रकृति के अनुसार छात्र सूचनाओं, सिद्धान्तों कारणों आदि का संग्रह करते हैं, इसके बाद उनका संगठन एवं विश्लेषण करते हैं। शिक्षक समस्या समाधान हेतु पथ-प्रदर्शन नहीं करता, अपितु खोज एवं अध्ययन कार्यों तथा व्यक्तिगत एवं सामूहिक कठिनाइयों के समाधान में सहायता देता है।
4. समस्या का हल निकालना- छात्र समस्या से सम्बन्धित सामग्री का विश्लेषण करने के बाद उसका कोई उपयुक्त समाधान निकालते हैं।
5. समाधान का प्रयोग- छात्र समस्या का हल अथवा समाधान निकालने के बाद उनका प्रयोग जीवन में करते हैं।
समस्या समाधान के अनुदेशन के लिए पाँच सोपानों का अनुकरण किया जाता है जो ग्लेसर के बुनियादी शिक्षण प्रतिमान से सम्बन्धित हैं। इस प्रतिमान का विस्तृत वर्णन ‘शिक्षण के प्रतिमान’ नामक पाठ में विस्तार से किया जा चुका है।
समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान (Model of Problem Solving Teaching)
समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान शिक्षण के चिन्तन स्तर पर आधारित होता है। चिन्तन स्तर के शिक्षण के प्रवर्तक हण्ट है तथा इस स्तर के शिक्षण प्रतिमान को हण्ट शिक्षण प्रतिमान भी कहते हैं, इसमें मुख्य रूप से चार सोपानों का अनुसरण किया जाता है :
1. उद्देश्य,
2. संरचना :
(अ) डीवी की समस्यात्मक परिस्थिति,
(ब) कूट लेविन की समस्यात्मक परिस्थिति,
3. सामाजिक प्रणाली; एवं
4. मूल्यांकन प्रणाली।
समस्या समाधान शिक्षण हेतु आदर्श पाठ-योजना
वस्तुतः समस्या समाधान शिक्षण हेतु पाठयोजना बनाना तथा शिक्षण करना-दोनों ही जटिल कार्य हे तथापि इसके लिए शिक्षक को पाठयोजना बनाते समय निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुसरण करना चाहिए :
1. पूर्व योजना-
शिक्षक को सर्वप्रथम पाठ को भली-भाँति समझकर उस पर चिन्तन करना, समस्या के विभिन्न पहलुओं को लिखना,छात्रों को समस्या के प्रति जिज्ञासु बनाना चाहिए, इस समय शिक्षक योजना के निर्माता के रूप में कार्य करता है । जैसे नागरिकशास्त्र शिक्षण करते समय संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों में क्या अन्तर है ? संविधान निर्माताओं द्वारा इनके बीच अन्तर के लिए कौन-कौन से आधार निर्धारित किये ? यह मूल समस्या छात्रों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है । इससे छात्रों में मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के विषय में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है।
यदि समस्या के प्रस्तुतीकरण के साथ छात्र व्यक्तिगत रूप से समस्या से सम्बन्धित नवीन विचारणीय बिन्दुओं को प्रस्तुत करें तो उनकी जिज्ञासाओं को भी नोट करना चाहिए।
2. शिक्षण प्रदान करना-
कक्षा में समस्या का प्रस्तुतीकरण करने के बाद शिक्षक छात्रों के समक्ष मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्त्वों पर कुछ प्रकाश डालेगा जिससे छात्रों में विषय के प्रति रुचि उत्पन्न होगी और वे अपनी प्रतिक्रियाएँ अभिव्यक्त करेंगे। शिक्षक का यह प्रयास होगा, कि छात्रों द्वारा प्रस्तुत अनेक समस्याओं में से केवल वह विषय से सम्बन्धित समस्याओं की ओर ही छात्रों को केन्द्रित करे। अब शिक्षक विभिन्न दृष्टिकोणों से चिन्तन करने के लिए छात्रों को उत्साहित करेगा कि वे कौन-कौन से कारक थे जिनके कारण संविधान में दो अलग-अलग अध्याय इस विषय से सम्बन्धित रखे गये।
इसके लिए छात्रों को भारत के संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, भारत एवं विश्व का इतिहास, सामाजिक ज्ञान तथा नागरिकशास्त्र की पुस्तकें, संविधान निर्मात्री सभा द्वारा व्यक्त किये गये विचार आदि विषय पढ़ने के लिए निर्देश देगा। छात्र प्रोत्साहित होकर रुचि के अनुसार अध्ययन करेंगे।
इस प्रकार शिक्षक छात्रों को विषयवस्तु से सम्बन्धित तथा अन्य सहायक सामग्री से सम्बन्धित सहायता प्रदान करेगा। इसके बाद छात्रों द्वारा अभिव्यक्त किये गये विषय से सम्बन्धित बिन्दुओं को संकलित किया जायेगा। इस समय शिक्षक की भूमिका एक आदर्श प्रबन्धक के रूप में होगी। संकलित विचारों पर संयुक्त रूप से विचार-विमर्श द्वारा समस्या के समाधान हेतु अनुमान निर्धारित किया जाता है।
अन्तिम चरण में जब विचार-विमर्श द्वारा मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के बीच अन्तर का आधार छात्रों को ज्ञात हो जाता है, तो शिक्षक छात्रों से प्रश्न करता है, कि इन अधिकारों तथा नीति-निर्देशक तत्त्वों का संविधान में क्या स्थान है ? इन अधिकारों के साथ आपके क्या कर्त्तव्य हैं ? मानव जीवन के लिए यह कितने सार्थक सिद्ध हुए हैं ? इनमें कौन-कौन से दोष हैं ? इन दोषों के निवारणार्थ कौनसे उपाय हो सकते हैं ? आदि इन समस्याओं के चिन्तन से छात्र कुछ निष्कर्षों तक अवश्य पहुँचेंगे तथा भविष्य में आने वाली इन समस्याओं से सम्बन्धित आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक पहलुओं का निवारण करने में सक्षम होंगे। इस समय शिक्षक एक अच्छे मूल्यांकनकर्ता की भूमिका निभायेगा।
समस्या समाधान शिक्षण की विशेषताएं
1. यह छात्रों को समस्याओं के समाधान के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करता है।
2. इसमें छात्र क्रियाशील रहता है तथा स्वयं सीखने का प्रयत्न करता है।
3. यह मानसिक कुशलताओं, धारणाओं, वृत्तियों तथा आदर्शों के विकास में सहायक होता है।
4. यह छात्रों को आत्मनिर्णय लेने में कुशल बनाता है।
5. इससे छात्रों की स्मरण-शक्ति के स्थान पर बुद्धि प्रखर होती है।
6. इसके द्वारा छात्रों में मौलिक चिन्तन का विकास होता है।
7. यह छात्रों में उदारता, सहिष्णुता और सहयोग जैसे गुणों का विकास करती है।
समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ
1. सभी विषयों को समस्याओं के आधार पर संगठित करना लाभदायक नहीं होता।
2. इसमें समय अधिक लगता है था छात्रों की प्रगति बहुत धीमी गति से होती है।
3. इसके अधिक प्रयोग से शिक्षण में नीरसता आ जाती है।
4. इसका प्रयोग केवल उच्च स्तर पर ही किया जा सकता है।
5. छात्र को समस्या का अनुभव करवाना तथा उसे स्पष्ट करना सरल नहीं है।
6. इसमें सामहिक वाद-विवाद को ही शिक्षण की प्रभावशाली व्यहरचना पाता जाता है।
7. इस शिक्षण में स्मृति तथा बोध स्तर के शिक्षण की भाँति किसी निश्चित कार्यक्रम का अनुसरण नहीं किया जा सकता।
8. इसमें छात्र तथा शिक्षकों के मध्य सम्बन्ध निकट के होते हैं। छात्र शिक्षक की आलोचना भी कर सकता है। निष्कर्षतः समस्या समाधान शिक्षण हेतु छात्रों की आकाँक्षा का स्तर ऊँचा होना। चाहिए तथा उन्हें अपनी समस्या के प्रति संवेदनशील और उनके लिए चिन्तन का समुचित वातावरण होना चाहिए, तब ही यह शिक्षण सफल होगा।
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1. महत्वपूर्ण कारकों की पहचान करें –. सबसे पहले आपको निर्णय के लिए महत्वपूर्ण कारकों की पहचान करना होता है, जिसकी मदद से आप अपने निर्णय को ले सकते है। एक अत्यधिक कुशल निर्णयकर्ता होने के लिए उत्कृष्ट विश्लेषणात्मक कौशल की आवश्यकता होती है। और सभी से उचित विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।. 2. नैतिक निर्णय लेने का कौशल –.
निर्णय क्षमता, तर्कशक्ति प्रश्न और उत्तर हिंदी माध्यम में। Decision Making Multiple Choice Questions and Answers with solution for SSC, Bank and other co.
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निर्णय निर्माण (Decision making) इस कौशल को सबसे अधिक लोगो ने सही माना है क्योंकि व्यक्ति जब स्वयं निर्णय लेता है और उन लिए निर्णय पर काम करता है तो उसे अंदर से साहस (encourage) और आत्मविश्वास (self-confidence) जैसे भावना का निर्माण होता हैं l. खोज करना (Research)
इसमें पोस्ट में समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method), समस्या समाधान का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Problem Solving), समस्या समाधान के सोपान (Steps of Problem Solving ...
Problem Solving Skills For Students: आज हम आपको बताएंगे कि अपनी प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को कैसे निखारे।
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