100+ Debate Topics in Hindi – वाद-विवाद के ज्वलंत विषय
अगर आप एक छात्र हैं या शिक्षण कार्य से किसी भी रूप में जुड़े हैं तो यह आर्टिकल आपकी मदद करेगा । इसमें आप जानेंगे कि स्कूली और कॉलेज छात्रों के लिए Best Debate Topics कौन कौन से हैं । न सिर्फ आपको बेहतरीन वाद विवाद विषय दिए जायेंगे बल्कि साथ ही आपको यह भी बताया जायेगा कि आप इन विषयों की तैयारी कैसे करें ।
वर्तमान समय में लगभग हर शिक्षण संस्थान में वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं । इन प्रतियोगिताओं के आयोजन के पीछे मुख्य वजह होती है छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा का भाव जगाना और उन्हें विभिन्न विषयों के प्रति जागरूक करना । अगर आप भी एक छात्र हैं या किसी भी रूप में शिक्षण कार्य से जुड़े हैं तो निम्नलिखित Debate Topics को चुन सकते हैं ।
What is Debate in Education in Hindi
Debate यानि वाद-विवाद किसी मुद्दे या संकल्प के बारे में चर्चा या संरचित प्रतियोगिता है । एक औपचारिक बहस में दो पक्ष शामिल होते हैं: एक संकल्प का समर्थन करता है और दूसरा इसका विरोध करता है । प्रतियोगिता के अंत में निर्णय लिया जाता है कि किस पक्ष के तर्क ज्यादा ठोस थे और उन्हें विजेता घोषित किया जाता है ।
विद्यालयों और कॉलेजों में साप्ताहिक या मासिक रूप से Debate Competition आयोजित किए जाते हैं । शिक्षण संस्थानों में आयोजित वाद बाद प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उनके सोचने की क्षमता को बेहतर बनाना है । अक्सर वाद-विवाद में भाग लेने वाले छात्र सूचना के विश्लेषण और गहन शोध में संलग्न होते हैं ।
Best Debate Topics in Hindi
नीचे दिए टेबल में कुल 100+ Debate Topics दिए गए हैं । इन विषयों में से आप अपनी सहूलियत के हिसाब से विषय चुन सकते हैं और अपना कंटेंट तैयार कर सकते हैं । नीचे दिए गए विषय अक्सर प्रतियोगिताओं का हिस्सा रहे हैं और समसामयिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं ।
शिक्षा, खेल, साहित्य, सिनेमा, राजनीति जैसे विविध क्षेत्रों से चुनकर इन विषयों की सूची तैयार की गई है । आप अपनी सहूलियत के हिसाब से कोई भी विषय चुन सकते हैं और अपनी तैयारी शुरू कर सकते हैं । सभी Debate Topics वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप हैं यानि प्रासंगिक हैं ।
भविष्य में अन्य वाद-विवाद का ज्वलंत विषय इस सूची में जोड़ दिए जायेंगे । हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और हर प्रश्न के दो उत्तर भी । ऐसे कई Heated Debate Topics हैं जो भविष्य की गर्त में छुपे हैं । इसलिए समय और परिस्थितियों के हिसाब से उभरे वाद विवाद विषयों को लेख में जोड़ दिया जायेगा ।
How to Prepare for Debate Competition
अगर आपके स्कूल/कॉलेज में Debate Competition का आयोजन हो रहा है तो आपको अवश्य भाग लेना चाहिए । अगर आपको नहीं पता कि Debate Topics पर वाद विवाद प्रतियोगिता के लिए अपनी तैयारी कैसे दुरुस्त करें तो नीचे दिए Tips आपकी मदद करेंगे ।
- वाद विवाद प्रतियोगिता अक्सर दो समूहों के बीच होता है इसलिए अपने टीम के साथ बढ़िया समन्वय जरूरी है ।
- आपका आत्मविश्वास हमेशा ऊंचा रहना चाहिए ।
- पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ के तर्कों की तैयारी करें ताकि आपको वाद विवाद करते समय कोई दिक्कत न हो
- चाहे आप पक्ष में हों या विपक्ष में, आपकी विषय संबंधित तैयारी और ज्ञान भरपूर होना चाहिए ।
- वाक्य और तर्क के हिसाब से अपनी आवाज को धीमा/ऊंचा करें ।
- दूसरे पक्ष के प्रति आपके अंदर सम्मान की भावना होनी चाहिए और उत्तेजना में आपको किसी भी प्रकार के गलत शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
अक्सर वाद विवाद प्रतियोगिताओं में प्रतिभागी अपना आपा खो देते हैं और व्यक्तिगत टिप्पणियाँ करने लगते हैं । इसके अलावा विवाद में अभद्र भाषा का प्रयोग करना और अपने तर्क को साबित करने के लिए कुछ भी करना जैसी चीजें भी सामने आती हैं । ध्यान दें कि वाद विवाद प्रतियोगिता लोकतंत्र का परिचायक है । लोकतंत्र में सबको अपनी अपनी बातें रखने का पूरा अधिकार है ।
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आप किसी से सहमत/असहमत हो सकते हैं और इसका आपको पूरा अधिकार भी है । इसलिए सबसे पहले विपक्षी टीम की सभी बातों को शांत होकर सुनें और अपने जवाब को तैयार रखें । ध्यान रखें कि मतभेद हो सकता है पर मनभेद से बचकर रहें । आपको बस अपने debate topics की तैयारी और सही रूप में प्रस्तुति पर ध्यान देना चाहिए ।
Conclusion on Debate Topics
Debate Topics in Hindi में आपने जाना कि वर्तमान में वाद-विवाद के ज्वलंत विषय कौन कौन से हैं । इसके साथ ही आप इन विषयों पर अपनी तैयारी को कैसे दुरुस्त कर सकते हैं । वाद विवाद प्रतियोगिताएं व्यक्तित्व निर्माण और बुद्धि विकास के लिए महत्वपूर्ण होती हैं और इसलिए आपको इनमें अवश्य भाग लेना चाहिए ।
अगर आपके मन में इस विषय से संबंधित कोई प्रश्न है तो नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं । इसके साथ ही अगर आपके मन में कुछ बेहतरीन debate topics हैं तो उन्हें भी कॉमेंट करके पूछ सकते हैं । आशा है कि आपको Vad vivad samvad kya hai समझ आ गया होगा और आप इस आर्टिकल को शेयर करेंगे ।
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छात्र वाद-विवाद विषयों के सर्वोत्तम 4 प्रकार | 30+ सर्वश्रेष्ठ विचार | 2024 खुलासा
जेन न्गो • 15 अप्रैल, 2024 • 7 मिनट लाल
क्या आप कॉलेज के छात्रों या हाई स्कूल के छात्रों के लिए बहस योग्य विषयों की तलाश कर रहे हैं? स्कूल में वाद-विवाद का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसमें शिक्षक और छात्र दोनों शामिल होते हैं छात्र बहस विषय विभिन्न वर्गों के लिए!
एक ही सिक्के के दो किनारों के समान, कोई भी मुद्दा स्वाभाविक रूप से नकारात्मक और सकारात्मक किनारों को जोड़ता है, जो लोगों के विरोधी विचारों के बीच तर्कों की कार्रवाई को वाद-विवाद कहते हैं।
वाद-विवाद औपचारिक और अनौपचारिक हो सकता है और दैनिक जीवन, अध्ययन और कार्यस्थल जैसी विभिन्न गतिविधियों में होता है। विशेष रूप से, स्कूल में एक बहस होना आवश्यक है जिसका उद्देश्य छात्रों को उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और आलोचनात्मक सोच में सुधार करने में मदद करना है।
वास्तव में, कई स्कूलों और शिक्षाविदों ने वाद-विवाद को पाठ्यक्रम के पाठ्यक्रम के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में स्थापित किया और छात्रों के लिए अपनी राय रखने और मान्यता अर्जित करने के लिए वार्षिक प्रतियोगिता आयोजित की। वाद-विवाद संरचनाओं और युक्तियों के साथ-साथ दिलचस्प विषयों के बारे में गहन ज्ञान प्राप्त करना स्कूल में आकांक्षात्मक वाद-विवाद का निर्माण करने की प्रमुख रणनीतियों में से एक है।
विषय - सूची
इस लेख में, हम आपको बहस विषय सूचियों की एक श्रृंखला के साथ गो-टू दिशानिर्देश देंगे जो आपको अपनी आवाज खोजने में मदद करेंगे:
- छात्रों के वाद-विवाद विषयों के प्रकार
- शिक्षा के प्रत्येक स्तर के लिए विस्तारित छात्र विषय सूची
- प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के लिए वाद-विवाद विषय
- हाई स्कूल के छात्रों के लिए लोकप्रिय वाद-विवाद विषय
- उच्च शिक्षा के छात्रों के लिए विवादास्पद वाद-विवाद विषय
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छात्रों के प्रकार वाद-विवाद विषय
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, बहस के विषय विविध हैं, जो जीवन के सभी पहलुओं में प्रकट होते हैं, कुछ सबसे लोकप्रिय क्षेत्रों में राजनीति, पर्यावरण, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, समाज, विज्ञान और शिक्षा शामिल हैं। तो, क्या आप उत्सुक हैं कि हाल के वर्षों में सबसे अधिक बहस वाला विषय क्या है?
यहाँ का जवाब है:
राजनीति - छात्र वाद-विवाद विषय
राजनीति एक जटिल और बहुमुखी विषय है। यह सरकारी नीतियों, आगामी चुनावों, नए अधिनियमित कानूनों और प्रस्तावों, हाल ही में खारिज किए गए नियमों आदि के लिए प्रासंगिक हो सकता है ... जब लोकतंत्र की बात आती है, तो इन संबंधित मुद्दों पर नागरिकों के कई विवादास्पद तर्क और बिंदु देखना आसान होता है। विवाद के लिए कुछ सामान्य विषय नीचे सूचीबद्ध हैं:
- क्या सख्त बंदूक नियंत्रण कानून होना चाहिए?
- क्या ब्रेक्सिट एक गलत कदम है?
- क्या सरकार को चर्चों और धार्मिक संस्थानों को टैक्स देने के लिए मजबूर करना चाहिए?
- क्या संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद की अपनी सीट से रूस को छोड़ देना चाहिए?
- क्या महिलाओं के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा होनी चाहिए?
- क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें चुनावी प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाती हैं?
- क्या अमेरिका में मतदान प्रणाली लोकतांत्रिक है?
- क्या स्कूल में राजनीति के बारे में चर्चा से बचना चाहिए?
- क्या चार साल का राष्ट्रपति कार्यकाल बहुत लंबा है या इसे छह साल तक बढ़ाया जाना चाहिए?
- क्या अवैध प्रवासी अपराधी हैं?
पर्यावरण - छात्र वाद-विवाद विषय
अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन ने पर्यावरण प्रदूषण में कमी के लिए लोगों की जिम्मेदारी और कार्रवाई के बारे में अधिक चर्चा को जन्म दिया है। पर्यावरण से संबंधित समस्याओं और समाधान के बारे में बहस करना सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकता है।
- क्या परमाणु ऊर्जा को जीवाश्म ईंधन की जगह लेनी चाहिए?
- क्या अमीर या गरीब पर्यावरण के नुकसान के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं?
- क्या मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन को उलट दिया जा सकता है?
- क्या बड़े शहरों में निजी कारों के लिए इस्तेमाल होने वाले समय को सीमित करना चाहिए?
- क्या किसानों को उनके काम के लिए पर्याप्त भुगतान किया जाता है?
- ग्लोबल ओवरपॉपुलेशन एक मिथक है
- क्या हमें सतत ऊर्जा उत्पादन के लिए परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता है?
- क्या हमें डिस्पोजेबल प्लास्टिक वस्तुओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए?
- क्या जैविक खेती पारंपरिक खेती से बेहतर है?
- क्या सरकारों को प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक पैकेजिंग पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर देना चाहिए?
प्रौद्योगिकी - छात्र वाद-विवाद विषय
चूंकि तकनीकी प्रगति एक नई सफलता पर पहुंच गई है और सड़क के नीचे बहुत सारे श्रम बलों को बदलने का अनुमान है। विघटनकारी प्रौद्योगिकी के उत्तोलन में वृद्धि ने कई लोगों को इसके प्रभुत्व के बारे में चिंता करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे मनुष्य को खतरा है और हर समय बहस की जाती है।
- क्या ड्रोन पर लगे कैमरे सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बनाए रखने में कारगर हैं या ये निजता का उल्लंघन हैं?
- क्या मनुष्यों को अन्य ग्रहों का उपनिवेश बनाने के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहिए?
- तकनीकी विकास हमें कैसे प्रभावित करते हैं?
- प्रौद्योगिकी में हाल के विकास लोगों के हितों को बदल देते हैं: हाँ या नहीं?
- क्या लोग प्रौद्योगिकी का उपयोग करके प्रकृति को बचा सकते हैं (या इसे नष्ट कर सकते हैं)?
- क्या तकनीक लोगों को होशियार बनाने में मदद कर रही है या यह उन्हें बेवकूफ बना रही है?
- क्या सोशल मीडिया ने लोगों के रिश्तों में सुधार किया है?
- क्या नेट न्यूट्रैलिटी बहाल होनी चाहिए?
- क्या ऑनलाइन शिक्षा पारंपरिक शिक्षा से बेहतर है?
- क्या रोबोट के पास अधिकार होना चाहिए?
समाज - छात्र वाद-विवाद विषय
सामाजिक मानदंडों और परंपराओं को बदलना और उनके परिणाम हाल के वर्षों में सबसे विवादित विषयों में से हैं। कई प्रवृत्तियों के उद्भव ने पुरानी पीढ़ी को नई पीढ़ी पर अपने नकारात्मक प्रभावों को मानने पर मजबूर कर दिया है और संबंधित पारंपरिक अनुष्ठान गायब हो जाएंगे, इस बीच, युवा ऐसा नहीं मानते हैं।
- क्या भित्तिचित्र शास्त्रीय चित्रों की तरह एक उच्च माना जाने वाला कला बन सकता है?
- क्या लोग अपने स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं?
- क्या शराबियों को लीवर ट्रांसप्लांट कराने की अनुमति दी जानी चाहिए?
- क्या धर्म अच्छे से ज्यादा नुकसान करता है?
- क्या नारीवाद को पुरुषों के अधिकारों पर अधिक ध्यान देना चाहिए?
- क्या टूटे परिवारों के बच्चे वंचित हैं?
- क्या बीमा को कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं के लिए कवरेज प्रदान करना चाहिए?
- क्या बोटोक्स अच्छे से ज्यादा नुकसान कर रहा है?
- क्या संपूर्ण शरीर के लिए समाज में बहुत अधिक दबाव है?
- क्या सख्त बंदूक नियंत्रण से सामूहिक गोलीबारी को रोका जा सकता है?
प्रत्येक शैक्षिक स्तर में विस्तारित छात्र वाद-विवाद विषयों की सूची
कोई अच्छा या बुरा वाद-विवाद विषय नहीं हैं, हालांकि, प्रत्येक कक्षा में चर्चा के लिए एक उपयुक्त विषय होना चाहिए। वाद-विवाद विषय का सही विकल्प एक छात्र के लिए विचार-मंथन, आयोजन, और दावों, रूपरेखाओं और खंडन को विकसित करने के लिए आवश्यक है।
छात्र वाद-विवाद विषय - प्राथमिक के लिए
- क्या जंगली जानवरों को चिड़ियाघर में रहना चाहिए?
- बच्चों को वोट देने का अधिकार होना चाहिए।
- स्कूल का समय बदला जाना चाहिए।
- स्कूल लंच की योजना एक समर्पित आहार विशेषज्ञ द्वारा बनाई जानी चाहिए।
- क्या हमारे पास इस पीढ़ी के लिए पर्याप्त रोल मॉडल हैं?
- क्या पशु परीक्षण की अनुमति दी जानी चाहिए?
- क्या हमें स्कूलों में सेल फोन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए?
- क्या चिड़ियाघर जानवरों के लिए फायदेमंद हैं?
- पारंपरिक शिक्षण विधियों को एआई-संचालित शिक्षा के साथ पूरक किया जाना चाहिए।
- बच्चों की जरूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए।
- अंतरिक्ष की खोज करना क्यों महत्वपूर्ण है?
लोकप्रिय हाई स्कूल छात्र वाद-विवाद विषय
सर्वोत्तम हाई स्कूल वाद-विवाद विषयों को देखें!
- माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को भत्ता दें।
- अपने बच्चों की गलतियों के लिए माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
- स्कूलों को अपने कंप्यूटर पर YouTube, Facebook और Instagram जैसी साइटों को प्रतिबंधित करना चाहिए।
- क्या हमें अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषा को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में जोड़ना चाहिए?
- क्या सभी कारें इलेक्ट्रिक हो सकती हैं?
- क्या प्रौद्योगिकी मानव संचार को तेज करती है?
- क्या सरकारों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों में निवेश करना चाहिए?
- क्या सार्वजनिक शिक्षा होमस्कूलिंग से बेहतर है?
- ऐतिहासिक सभी ग्रेड में एक वैकल्पिक पाठ्यक्रम होना चाहिए
विवादास्पद छात्र वाद-विवाद विषय - उच्च शिक्षा
- क्या ग्लोबल वार्मिंग के लिए इंसान जिम्मेदार हैं?
- क्या जीवित जानवरों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए?
- क्या अधिक जनसंख्या पर्यावरण के लिए खतरा है?
- पीने की उम्र कम करने से सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- क्या हमें वोट देने की उम्र घटाकर 15 कर देनी चाहिए?
- क्या दुनिया के सभी राजतंत्रों को समाप्त कर देना चाहिए?
- क्या शाकाहारी भोजन ग्लोबल वार्मिंग से लड़ सकता है?
- क्या #MeToo मूवमेंट पहले से ही नियंत्रण से बाहर है?
- क्या सेक्स वर्क को वैध किया जाना चाहिए?
- क्या लोगों को अपनी कमजोरियों का खुलासा करना चाहिए?
- क्या शादी से पहले जोड़े को साथ रहना चाहिए?
- क्या न्यूनतम वेतन बढ़ाना जरूरी है?
- क्या धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए?
सफल बहस में क्या मदद करता है
तो, यह छात्रों के लिए सामान्य बहस का विषय है! सर्वश्रेष्ठ छात्र बहस विषयों की सूची के अलावा, किसी भी कौशल की तरह, अभ्यास परिपूर्ण बनाता है। एक सफल बहस करना मुश्किल है, और आपके भविष्य के पहले चरण के लिए बहस का परीक्षण आवश्यक है। यदि आप नहीं जानते कि कैसे व्यवस्थित किया जाए, तो हमने एक बनाने में मदद की है विशिष्ट बहस नमूना आपके लिए कक्षा में।
क्या आप नहीं जानते कि छात्रों के लिए शानदार चर्चा विषय कैसे चुनें? हम आपको कोरियाई प्रसारण नेटवर्क अरिरंग पर एक शो से छात्र बहस विषयों का एक उत्कृष्ट उदाहरण छोड़ेंगे। शो, इंटेलिजेंस - हाई स्कूल डिबेट में एक अच्छे छात्र बहस के सुंदर पहलू हैं और शैक्षिक बहस के विषय भी हैं जिन्हें शिक्षकों को अपनी कक्षाओं में प्रेरित करना चाहिए।
🎊और जानें बहस कैसे शुरू करें? AhaSlides
रेफरी: रोलैंडहॉल
छात्रों के लिए बहस अच्छी क्यों है?
वाद-विवाद में भाग लेने से छात्रों को अपने महत्वपूर्ण सोच कौशल और सार्वजनिक बोलने के कौशल को बढ़ावा देने में मदद मिलती है…
लोग बहस करना क्यों पसंद करते हैं?
वाद-विवाद लोगों को अपने विचारों का आदान-प्रदान करने और अन्य दृष्टिकोण प्राप्त करने का मौका देता है।
कुछ लोग बहस करते समय घबराते क्यों हैं?
बहस करने के लिए सार्वजनिक रूप से बोलने के कौशल की आवश्यकता होती है, जो वास्तव में कुछ लोगों के लिए एक दुःस्वप्न है।
बहस का उद्देश्य क्या है?
बहस का मुख्य लक्ष्य विपरीत पक्ष को यह विश्वास दिलाना है कि आपका पक्ष सही है।
किसी बहस में पहला वक्ता कौन होना चाहिए?
सकारात्मक पक्ष के प्रथम वक्ता।
पहली बहस किसने शुरू की?
अभी तक कोई स्पष्ट पुष्टि की जानकारी नहीं है. शायद प्राचीन भारत के विद्वान या प्राचीन ग्रीस के विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक।
एक लेखक जो दर्शकों के लिए व्यावहारिक और मूल्यवान सामग्री बनाना चाहता है
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Study Mumbai
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Hindi Debate and Speech Topics for Classes 6 to 12
September 12, 2024 by studymumbai
Find Hindi debate topics for students in Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 (Grades 6 to 12). These topics will also help you prepare for competitions. In most debates and elocution competitions, students are expected to talk for about 3 minutes on a topic (excluding the introduction of the student).
Marks are given for Quality of content, your expression, pronunciation, voice modulation and the manner in which you deliver the speech (Style, Fluency, Clarity, Poise).
GET INSTANT HELP FROM EXPERTS!
Hire us as project guide/assistant . Contact us for more information
So not only must you learn the topic well, you must also rehearse saying it a few times before you go for the competition.
For debate competitions, the assessment panel (comprising of teachers) may ask you questions at the end of your speech. So make sure you understand the content well. Marks are also awarded for you argument/rebuttal.
Topic: अच्छे गुण की प्राप्ती ही होन्हार विद्यार्थी की सही पहेचान होती है !
प्रिय छात्रों, शिक्षकों और न्यायाधीशों,
आज, मैं आपके सामने इस कथन के पक्ष में तर्क देने के लिए खड़ा हूं: “अच्छे अंक प्राप्त करना ही होनहार छात्रों की असली पहचान है।”
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, अच्छे अंक एक छात्र की शैक्षणिक क्षमताओं और समर्पण का एक स्पष्ट संकेतक हैं। जब कोई छात्र उच्च अंक प्राप्त करता है, तो यह अध्ययन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, सामग्री की उनकी समझ और ज्ञान को प्रभावी ढंग से लागू करने की उनकी क्षमता को दर्शाता है। शैक्षणिक और व्यावसायिक जीवन दोनों में सफलता के लिए ये गुण आवश्यक हैं। एक छात्र जो अकादमिक रूप से लगातार अच्छा प्रदर्शन करता है वह दर्शाता है कि उनमें अधिक चुनौतीपूर्ण वातावरण और विषयों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता है।
इसके अलावा, अच्छे अंक अनेक अवसरों के द्वार खोलते हैं। छात्रवृत्ति, उन्नत पाठ्यक्रम और प्रतिष्ठित स्कूलों को अक्सर उच्च शैक्षणिक प्रदर्शन की आवश्यकता होती है। अच्छे अंक प्राप्त करके, छात्र इन अवसरों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उनकी सीखने और भविष्य की संभावनाओं में और वृद्धि होगी। प्रतिस्पर्धी दुनिया में, शैक्षणिक उत्कृष्टता अक्सर इंटर्नशिप, नौकरी प्लेसमेंट और उच्च शिक्षा के अवसरों को सुरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण कारक है। अच्छे अंक एक सफल और संतुष्टिदायक करियर की नींव रख सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आवश्यक अनुशासन और कड़ी मेहनत छात्रों को महत्वपूर्ण जीवन कौशल विकसित करने में मदद करती है। अकादमिक उत्कृष्टता की खोज के माध्यम से समय प्रबंधन, दृढ़ता और एक मजबूत कार्य नीति विकसित की जाती है। ये कौशल अमूल्य हैं और एक छात्र के समग्र विकास और क्षमता में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो कई विषयों को संतुलित करने, समय पर असाइनमेंट पूरा करने और परीक्षाओं के लिए प्रभावी ढंग से तैयारी करने का प्रबंधन करता है, वह इन कौशलों को अपने भविष्य के प्रयासों में ले जाने की संभावना रखता है, चाहे आगे की शिक्षा में या अपने पेशेवर जीवन में।
इसके अलावा, अच्छे अंक एक छात्र के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ा सकते हैं। जब छात्र अपनी कड़ी मेहनत का परिणाम देखते हैं, तो यह उन्हें उत्कृष्टता के लिए प्रयास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह सकारात्मक सुदृढीकरण उन्हें अधिक चुनौतीपूर्ण कार्यों से निपटने और अपने लिए उच्च लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रेरित कर सकता है। किसी की शैक्षणिक क्षमताओं में विश्वास अक्सर जीवन के अन्य क्षेत्रों में आत्मविश्वास में तब्दील हो जाता है, जिससे वह एक सर्वांगीण और आत्मविश्वासी व्यक्ति बनता है।
निष्कर्षतः, अच्छे अंक किसी छात्र की प्रतिभा और क्षमता का एक महत्वपूर्ण माप हैं। वे न केवल बुद्धिमत्ता बल्कि समर्पण, अनुशासन और अवसरों का लाभ उठाने की क्षमता को भी दर्शाते हैं। हालाँकि यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि अच्छा चरित्र और अन्य गुण भी महत्वपूर्ण हैं, शैक्षणिक उत्कृष्टता एक आशाजनक भविष्य के लिए एक मजबूत आधार के रूप में कार्य करती है। इस प्रकार अच्छे अंक प्राप्त करना ही वास्तव में होनहार विद्यार्थियों की पहचान है।
Topic: इंस्टेंट खुशियाँ, इंस्टा की दुनिया: भ्रम या दम
बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते है की मेहनत और धैर्य का फल अच्छा होता हैं। पर आज कल यह देखा जा रहा हैं की लोग इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन के तरफ आकर्षिक हो रहे हैं। इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन एक ऐसी स्थिति है जब हमें बिना किसी प्रतीक्षा के तुरंत खुशी या संतोष प्राप्त हो जाता है। यह एक आदत सी हैं जिसमें किसी आवश्यकता या इच्छा को तुरंत पूरा किया जाता है | एक समय पर टेलीविज़न हमें इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन दिया करती थी पर आज के समय में सोशल मीडिया ने हमारे जीवन में इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन को प्रमुख बना दिया है। हालांकि यह हमें क्षणिक खुशी देती है, यह अक्सर हमें भविष्य में मिलने वाले बड़े लाभ की कीमत पर मिलता है और इसका हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
आज हम इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें या वीडियो पोस्ट करते हैं और मिनटों में लाइक और कमेंट मिल जाते हैं। तुरंत लाइक मिलने से हमें खुशी मिलती है, लेकिन यह खुशी लंबे समय तक नहीं टिकती। इस लिए हम बार-बार पोस्ट करते हैं और इस संतुष्टि की हमें आदत बन जाती है। इस के अलावा हम अपेक्षा करते हैं की हमें सारी अच्छी चीज़े तुरंत मिल जाए जिससे धैर्य और गहरी संतुष्टि की भावना कमजोर हो जाती है।
इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म हमें भविष्य के बड़े लाभ को नजरअंदाज कर तुरंत कम लाभकारी, लेकिन तत्काल प्राप्त होने वाले लाभ की ओर आकर्षित करता है। इससे हमारी धैर्य शक्ति घटती हैं, हमें तुरंत लाभ न प्राप्त होने पर हम ज्यादा निराश होने लगते हैं, और हमें बड़ी चुनौतियाँ के लिए तैयार होने में कठिनाई होती है। छात्र आजकल पढ़ाई और प्रोजेक्ट पर काम करने के बजाय सोशल मीडिया पर काफी समय बिताने लग गए है। इससे उनके भविष्य और करियर पर भी बूरा असर पढ़ सकता हैं।
इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का ज्यादा उपयोग करते समय हमें यह समझना चाहिए कि वास्तविक खुशी लाइक और कमेंट में नहीं, बल्कि हमारी खुद की सफलताओं और आत्म-संतोष में है। हमें यह सीखना चाहिए कि जीवन में धैर्य और स्थायी खुशी ही असली सफलता है। इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म का सही तरीके से उपयोग करके हमें इसका फायदा जरूर उठाना चाहिए, लेकिन हमें क्षणिक संतुष्टि के पीछे भागने से बचना चाहिए वरना हम हमारे जीवन में अपने लक्ष्य से भटक सकते है और बड़े कार्य करने से चूक सकते हैं ।
इंस्टेंट ख़ुशी एक भ्रम हैं, इसमें कोई दम नहीं। हमारी खुद की सफलताओं और आत्म-संतोष में ही दम है।
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Debate 4: कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है.
Last Updated: March 30, 2018 By Gopal Mishra 72 Comments
Dear Friends,
अक्सर किसी सफल व्यक्ति के लिए हम लोगों को कहते सुनते हैं कि वो बड़ा lucky है…बड़ा भाग्यशाली है. और इसका उल्टा भी होता है…किसी के fail होने पर कहा जाता है कि उसका भाग्य खराब है! पर ऐसा कहने वालों की भी कमी नहीं होती कि सफलता या असफलता इंसान के कर्म से निर्धारित होती है, यानी कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है.
कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!
आप इस विषय में क्या सोचते हैं?
यदि आपका सोचना है कि -“कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!” तो इस विषय के पक्ष यानि FOR में अपने तर्क comment के माध्यम से रखिये.
यदि आप इस बात से सहमत नहीं हैं कि -“कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!” तो इस debate topic के विपक्ष यानि AGAINST में अपने तर्क रखिये.
Please note:
- कोई व्यक्ति “For” और “Against” दोनों में तर्क नहीं दे सकता. आप पहले तय कर लीजिये कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में और उसी के मुताबिक अपना कमेंट डालिए.
- आप किसी के कमेन्ट को रिप्लाई करके उसे support या counter भी कर सकते हैं.
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एक पेज पर अधिक से अधिक 10 latest comments ही दिखते हैं, पुराने कमेंट्स देखने के लिए केम्न्ट्स के अंत में दिए “ Older Comments ” लिंक पर क्लिक कीजिये.
A request: कृपया अपनी बातें numbering करके रखें. ऐसा करने से मुझे debate summarize करने में आसानी रहेगी.
कब तक चलेगी डिबेट ?
यह डिबेट Sunday (12/07/17) तक ओपन रहेगी*. यानि 12 जुलाई तक डाले गए कमेंट्स के हिसाब से ही-
- मैं यहाँ पर “For” और “Against” में दिए points को summarize करूँगा.
- Review Committee फैसला करेगी कि “For” वाले जीते या “Against” वाले.
*रिजल्ट आने तक
और इस दौरान किये गए कमेंट्स में से जिसका कमेंट सबसे प्रभावशाली होगी वही बनेगा- “ The Most Effective Debater ”
इस डिबेट का रिजल्ट कब पता चलेगा ?
Winner Group और “The Most Effective Debater” का नाम 12 July को ही इसी post में update कर दिया जाएगा.
तो चलिए अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए और अपने तर्कों से आपे उलट विचार रखने वालों को भी अपनी बात मानने पर मजबूर कर दीजिये! 🙂
All the best!
RESULT OF THE DEBATE Updated- 12th July 2017
दोस्तों, Debate 1: “कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!” में हिस्सा लेने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.
एक और शानदार डिबेट, लेकिन पूरी तरह “कर्म” के पक्ष में. कुछ एक लोगों ने तो इतने जबरदस्त तर्क रखें हैं कि पढ़ने में बहुत मजा आया और एक inspiration भी मिली. खासतौर से अभय दीक्षित जी ने और अटूट बन्धन ब्लॉग से वंदना बाजपेयी जी ने तो इस वाद-विवाद प्रतियोगिता का स्तर काफी ऊँचा कर दिया.
तो चलिए मैं पक्ष और विपक्ष में दिए गए तर्कों को summarize करता हूँ. पहले की तरह ही मैं इस बार भी सीधा कमेंट्स सेक्शन से points pick कर के यहाँ mention कर रहा हूँ.
- कर्म भाग्य से बड़ा होता है’- मैं इसमें विश्वास करता हूं। क्योंकि कर्म करके आप अपनी भाग्य बदल सकते है, ये अाशा आप से कोई नहीं छीन सकता।
- “Work is worship -According to Ramayana & GEETA:- “Karm pradhan vishwa rachi rakha jo jas kare tasu phal chakha” Do his duties honestly ,make his luck.
- Karm se hi luck ka nirman hota h,jaisa hm karm krenge waisa hi hmara bhagya bnega .So bhagya se bada karm h.
- Ishwar(god) ne hamare bhaag(kismat) ki rekha(lakir) hath mein isliye banayi hai chunki hum ise parishram(mehnat) karke apne bhaag ko badal sake isilye karma bhag se bada hota hai.
- birds is flying in the air due to its effort but paper is flying in the air due to its luck.
- ae dost mat kar in hath ki lakiro par bharosa kyunki kismat unki bhi hoti hai jinke hath nhi hote
- जिस तरह एक मूर्तिकार अपने हातो से मूर्तिको आकर देता है उसी तरह हम भी अपने कर्मो से अपना जीवन बदल सकते है.
- खुद को भाग्य के भरोसे वही छोड़ता है जो कर्म नहीं करना चाहता। कर्म करने से ही भाग्य बनता है। जिसको कर्म में जितना विश्वास है वह व्यक्ति उतना ही सक्सेस होगा। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से न ही भाग्य साथ देता है और न कर्म ही होता है।
- Newton law se every action has an equal & opposite reaction.. To karm hua to result aayega h aur ye result kanhi positive aayega ya negetive wahi bhagya hai..
- Karm pradhan vishv kr rakh,jo js kr hi so ts fl chakha.…..arthat vishv m krm hi pradhan h…jo jaisa karm krta h vaisa hi fl milta h. krm se hi bhagya k nirman hota h.n ki bhagya se krm ka..
- Bhagye kese bda ho sakta hai jo khud karm krne se uttpan hota hai
- Nar apana karm kare to “Nar” se “Narayan” ho sakata hai. Karm bada hai.
- कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है भाग्य के भरोसे एक समय का भोजन भी संभव नहीं है.
- Bhikhari ko bhi mangna padata hai tabhi use kuch mil pata hai matalab is duniya me kuch bhi aise hi nahi milta… kuch na kuch karm karana padata hai.
- Karm hi bhagya se bada hai, marathi me ek muhavara hai” Asel hari tar deil khatlyawari’ aaise sochate betenge to hamare hat mai kuchh bhi nahi aayega.
- Geeta mai bhi shrikrishnene kaha hai “karmne vadhikaraste maa faleshu kadachan……….” means Kam krte ja, madat milengi lekin fal ki apeksha mat krna
- ek story hai jab aambari namak ek hathi tha vh talab mai fas gaya usne bahot koshish ki uss kichad se bahar nikal ne ka but nahi nikla last mai usne bhagvan ko yad kiya bghvan ne uski madat ki, because god ne madat isliye kiya ki usne 1st try kiya and last mai bhagwan ko bulaya vahi same aapne bhagya and karm ka hota hai agr hum karm krenge to aapne nasib mai jo hai vh automatically mil hi jayega means karm ka fal.
- कर्म ही बड़ा होता है, इसीलिए ये नहीं कहते कि “भाग्य ही पूजा है” बल्कि ये कहते हैं कि “कर्म ही पूजा है”
- I believe that karma is the root of everything….Jaisi karani vesi Bharani………
- भगवान् के भरोसे मत बैठो….का पता…भगवान् तुम्हरे भरोसे बैठा हो?
- Log kehte h, Jo bhagye mei likha hota h ,whi hota h… but bhagya likhata kon h, kya GOD likhate h haamara bhagya ? Nahi, hm apna bhagya khud apne karmon se likhte hain…
- कर्म करने वालों से जो बच जाता है वही भाग्य पर भरोसा करने वालों को मिलता है”
- भाग्य कुछ नहीं होता बस भविष्य होता है कर्म सोच और मेहनत का परिणाम है. अगर आप सही कर्म के सारे दाव पेंच अच्छे से निभा रहे है..तो याद रखिये.. भाग्य आपके साथ नहीं बल्कि साक्षात भगवान् आपके साथ है !
अभय दीक्षित जी का कमेन्ट
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।।
अर्थात:- मेहनत से ही कार्य पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से नहीं। जैसे सोये हुए शेर के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करता बल्कि शेर को स्वयं ही प्रयास करना पड़ता है।
- “कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” मतलब कर्म तो करना ही होगा भगवान और भाग्य के भरोसे रहने सी कुछ नहीं होता क्योंकि भगवान भी उसी का साथ देते हैं जो खुद का साथ देता है. “दैव-दैव आलसी पुकारा”- आलसी ही दैव (भाग्य) का सहारा लेता है.
- देखो भाग्य ….चाय वाला प्रधानमंत्री बन गया.( नरेंद्र मोदी )
- देखो भाग्य …..रिक्शे वाले का बेटा आईएएस अफसर बन गया ( गोविन्द जयसवाल ) अरे भाग्य क्या उनका कर्म देखो तुम्हारे आंसूं निकल आएंगे जब उनके संगर्ष (कर्म) की कहानी सुनोगे.
- अगर थॉमस अल्वा एडिसन और हरलैंड सांडर्स जैसे लोग भाग्य के भरोसे होते तो दो – तीन बार असफल होने पर ही हार मन लेते लेकिन उन्होंने कर्म किया एडिसन 1000 और सांडर्स 1009 बार असफल होने के बाद सफल हुए.
- जब विल्मा रुडोल्फ को पोलियो हुआ और Karoly Takacs जिस हाथ से शूटिंग करते थे उस हाथ में हथगोले का विस्फोट हो गया और वो हाथ बिलकुल बेकार हो गया तो लोगों ने तो यही कहा होगा देखो इनका भाग्य कितना ख़राब है पर दुनिया जानती है इन्होने कैसे कर्म कर अपना भाग्य बनाया और दोनों ने आत्मशक्ति के बल पर अपने अपने स्पोर्ट में ओलिंपिक में गोल्ड मैडल जीता और कर्म की महानता को सिद्ध किया
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
वंदना बाजपेयी जी का कमेन्ट
“भाग्य बड़ा है या कर्म” ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका सामना हम रोजाना की जिन्दगी में करते रहते है | इसका सीधा – सादा उत्तर देना उतना ही कठिन है जितना की “पहले मुर्गी आई थी या अंडा “का | वास्तव में देखा जाए तो भाग्य और कर्म एक सिक्के के दो पहलू हैं | कर्म से भाग्य बनता है और ये भाग्य हमें ऐसी परिस्तिथियों में डालता रहता है जहाँ हम कर्म कर के विजयी सिद्ध हों या परिस्तिथियों के आगे हार मान कर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे और बिना लड़े ही पराजय स्वीकार कर लें | भाग्य जड़ है और कर्म चेतन | चेतन कर्म से ही भाग्य का निर्माण होता है | जैसा की जयशंकर प्रसाद जी “ कामायनी में कहते हैं की
कर्म का भोग, भोग का कर्म, यही जड़ का चेतन-आनन्द।
अब मैं अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कुछ तर्क देना चाहती हूँ | जरा गौर करियेगा की हम कहाँ – कहाँ भाग्य को दोष देते हैं पर हमारा वो भाग्य किसी कर्म का परिणाम होता है |
1)हमारी भारतीय संस्कृति जीवन को जन्म जन्मांतर का खेल मानते हुए कर्म से भाग्य और भाग्य से कर्म के सिद्धांत पर टिकी हुई है |गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग के नाम से ही जाना जाता हैं | ये सच है की जन्म – जन्मांतर को तार्किक दृष्टि से सिद्द नहीं किया जा सकता | फिर भी कर्म योग के ये सिद्धांत आज विश्व के अनेक विकसित देशों में MBA के students को पढाया जा रहा है | और और इसे पुनर्जन्म पर नहीं तर्क की दृष्टि से सिद्ध किया जा रहा है | जैसा की प्रभु श्री कृष्ण गीता में कहते हैं की ..
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
उसकी तार्किक व्याख्या इस प्रकार दी जाती है की ….फल की चिंता अर्थात स्ट्रेस या तनाव जब हम कोई काम करते समय जरूरत से ज्यादा ध्यान फल या रिजल्ट पर देते हैं तो तनाव का शिकार हो जाते हैं | तनाव हमारी परफोर्मेंस पर असर डालता है | हम लोग दैनिक जीवन की मामूली से मामूली बातों में देख सकते हैं की स्ट्रेस करने से थकान महसूस होती है , एनर्जी लेवल डाउन होता है और काम बिगड़ जाता है |पॉजिटिव थिंकिंग की अवधारणा इसी स्ट्रेस को कम करने के लिए आई | मन में अच्छा सोंच कर काम शुरू करो , जिससे काम में जोश रहे , दिमाग फ़ालतू सोंचने के बजाय काम पर फोकस हो सके | कई बार पॉजिटिव थिंकिंग के पॉजिटिव रिजल्ट देखने के बाद भी हम अपनी निगेटिव थिंकिंग को दोष न देकर कहते हैं …. अरे पॉजिटिव , निगेटिव थिंकिंग नहीं ये तो भाग्य है |
२ ) कई बार जिसे हम भाग्य समझ कर दोष देते हैं वो हमारा गलत डिसीजन होता है | उदाहरण के लिए किसी बच्चे की रूचि लेखक बनने की है | पर माता – पिता के दवाब में , या दोस्तों के कहने पर बच्चा गणित ले लेता है | निश्चित तौर पर वो उतने अच्छे नंबर नहीं लाएगा | हो सकता है फेल भी हो जाए | अब परिवार के लोग सब से कहते फिरेंगे की मेरा बच्चा तो दिन रात –पढता है पर क्या करे भाग्य साथ नहीं देता |मैंने ऐसे कई बच्चे देखे जिन्होंने तीन , चार साल मेडिकल या इंजिनीयरिंग की रोते हुए पढाई करने के बाद लाइन चेंज की | और खुशहाल जिन्दगी जी | बाकी उसी को बेमन से पढ़ते रहे , असफल होते रहे और भाग्य को दोष देते रहे | क्या आप को नहीं लगता हमीं हैं जो भाग्य की ब्रांडिंग करते हैं |
३) इसी प्रतियोगिता में ही शायद मैंने पढ़ा था की हर चाय वाला मोदी नहीं हो जाता | यानी हम ये मान कर चलते हैं की हर अँगुली बराबर होती है | प्रतिभा को हमने सिरे से ख़ारिज कर दिया , और उन स्ट्रगल्स को भी जो मोदी ने मोदी बनने के दौरान की | पूरे देश घूम – घूम कर जनसभाएं की | लोगों से जुड़ने का प्रयास किया | उनकी समस्याएं समझी , सुलझाई | क्या हर चाय वाला इतना करता है | या इतना महत्वाकांक्षी भी होता है | हम सब ने बचपन में संस्कृत का एक श्लोक पढ़ा है |
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
हम ये श्लोक पढ़कर एग्जाम पास कर लेते हैं | पर तर्क ये देते हैं की हम भी चाय बेंचते हैं | फिर हम मोदी क्यों नहीं बने | चाय वाला =चायवाला , सबको मोदी बनना चाहिए | अरे ,ये तो भाग्य है |
4) अब जरा गौर करते हैं , उन किस्सों पर जिनमें शुरू में प्रतिभा बराबर होती है | कई बार शुरूआती प्रतिभा बराबर होने के बाद भी हम लगातार उतने सफल नहीं हो पाते | क्योंकि एक बार सफलता पाना और उसे बनाए रखना दो अलग – अलग चीजे हैं | उसके लिए अनुशासन , फोकस , अपने अंदर जूनून को जिन्दा रखना , असफल होने के बाद भी प्रयास न छोड़ना आदि कर्म आते हैं | जो लगातार करने पड़ते है | चोटी पर बैठा व्यक्ति जिस स्ट्रेस को झेलता है , उस के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना पड़ता है |
Our greatest weakness lies in giving up. The most certain way to succeed is always to try just one more time. — Thomas Edison
काम्बली और तेंदुलकर का उदहारण अक्सर दिया जाता है |क्या सचिन तेंदुलकर की निष्ठा जूनून , लगन , अनुशासित जीवन और हार्ड वर्क को हम नकार सकते हैं | पर हम किसी लगातार सफल व्यक्ति के ये गुण खुद में उतारने के स्थान पर लगेंगे भाग्य को दोष देने |
5 ) एक और स्थान जिसे हम भाग्य के पक्ष में रखते हैं | एक ही समय पैदा हुए बच्चों में एक राजा के यहाँ पैदा होता है और एक भिखारी के यहाँ | अब अगर आप पिछले जन्म में किये गए कर्म कों नहीं मानते तो आप इसे विज्ञान के अनुसार “रैंडम सिलेक्शन ऑफ़ नेचर “ कह सकते हैं | पर फिर भी कर्म के आधार पर इसे बदला जा सकता है | जैसा की बिल गेट्स कहते हैं-
आप गरीब घर में पैदा हुए इसमें आपकी कोई गलती नहीं है पर अगर आप गरीब मर जाते है तो इसमें आप की गलती है |
न जाने कितने नाम हैं जिन्होंने महागारीबी से महाअमीरी तक का सफ़र तय किया |ये मंजिलें तय करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत और योजनाबद्ध तरीके से काम करना पड़ा | हम सब जानते हैं असफलताओं और मेहनत से भरा ये सफ़र आसान नहीं है | आसान तो यह कहना है की हमारा तो बचपन से ही भाग्य खराब है |
अंत में, अब अगर मेरे विचार आपको तार्किक लगें व् कर्म की ओर प्रेरित करें तो आप इसे क्या कहेंगे … “ मेरा कर्म या मेरा भाग्य “ फैसला आप पर है
- भाग्य का खेल तो इंसान के जन्म से ही शुरू हो जाता है…कोई अमीर घर में तो कोई गरीब घर में पैदा होता है…ये भाग्य ही तो है…कर्म तो जन्म के बाद शुरू होता है! और अगर आप पूर्व जन्म की बात करें तो फिर उस लॉजिक से कुछ भी समझाया जा सकता है!
- हज़ारों लोग कड़ी मेहनत करते हैं पर कुछ ही लोग सफलता पाते हैं…चाहे वो खेल हो, पढाई हो या फिर एक्टिंग, सिंगिंग, डांसिंग कुछ भी हो. विनोद काम्बली और सचिन को ही ले लें….दोनों एक जैसे मेहनती थे पर भाग्य ने एक को कहाँ पहुंचा दिया और दुसरे को कहाँ छोड़ दिया.
- हर साल लाखों युवा हीरो बनाने मुंबई जाते हैं, पर क्या हेमशा वही हीरो बनता है जो सबसे मेहनती होता है….नहीं, यहाँ पर भी luck factor काम करता है वरना सभी हीरो बन जाते.
- अगर कर्म ही बड़ा होता तो लाखों-करोड़ों लोग हाथों में अंगूठियाँ नहीं पहनते…जिसमे नीलम पहनने वाले अमिताभ बच्हन जैसी हस्ती भी शामिल हैं.
- दुनिया में कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें scientifically समझाया नहीं जा सकता….लक भी उन्ही में से एक है, पर अगर कोई चीज समझाई नहीं जा सकती तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो है ही नहीं.
- Luck बड़ी चीज है…उसके बिना कर्म करते-करते ज़िन्दगी बीत जाती है पर कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाती!
- Do vyakti apne apne khet me kua khodate hai ak vykti ke kue se pani nikal ata hai dusre ke kue me pani nahi nikalta ye kaya hi!
- karm insaan ke haath me hai…. bahagya Bhagwaan ke…. aur jo bhi Bhagwaan ke haath me hai wahi bada hai…yani Bhagya karm se bada hai.
- I think in most of cases luck prevails over labour or karma. I have seen many of such people who had never been serious about their career and spent time aimlessly with friends and still got good job. And on other hand good and laborious student who seriously pursuits their career and work hard and still they remained jobless.
- Jb insan dunia m jnm lenta h uska bhagya pehle hi teh ho jata h .karm to vo bad m krta h…es lyi luck overweigh the karma ..bcoz jo luck m likha hota h krm b usi ke acc hote h
- कर्म और भाग्य मे भाग्य बड़ा होता है,कर्म भी हम भाग्य अनुसार ही करते हैं|
- जब समय ख़राब हो तो ऊंट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता काट लेता है…
- राजकीय सेवा पाने के लिए संघर्षरत कोई युवा जब प्रतियोगिता में अपेक्षित प्रतिशत प्राप्तांक प्राप्त करने के बाद भी सिर्फ इस लिए उसे चयनित नही किया जाता की उसे संविधान में आरक्षण प्राप्त नही है। आप उस युवा की इस आधारहीन विफलता पर उससे क्या कहेंगे की कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता हैं???????
- आज एक बालक निजी विद्यालय में पढ़ता हे और दूसरा शिक्षा से वंचित है ,क्या ये उस बालक का दुर्भाग्य नही?
रंजीत पासवान जी का एक neutral view जो अच्छा लगा यहाँ include कर रहा हूँ:
एक बूँद के भाग्य में क्या है वो धरा पे गिरकर मिट्टी में मिल जायेगी या सीप में गिर के मोती बन जायेगी ये तभी सुनिश्चित होगा जब वो बादलों को छोड़ने का कर्म करेगी. ठीक उसी प्रकार हम मनुष्यों के भाग्य में कितना है यह कर्म करने के पश्चात ही सुनिश्चित होता है!! अतः ना ही कर्म बड़ा है ओर ना ही भाग्य….. भाग्य एक ताला है और कर्म उसकी चाबी !!!
हमारी रिव्यु कमिटी ने पक्ष और विपक्ष में रखे गए तर्क के अनुसार निर्णय लिया है कि –
विजेता वो ग्रुप है जिसने पक्ष यानि FOR में अपने तर्क रखे.
यानि कमिटी का मानना है कि “ कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है! ” का सपोर्ट करने वाले लोग WINNER हैं.
THE MOST EFFECTIVE DEBATER
का खिताब जाता है—-
वंदना बाजपेयी
जी को, जिन्होंने अपने पॉइंट्स “For the motion” में रखे थे. आपको बहुत-बहुत बधाई!
Thank You everybody for your participation. हम जल्द ही एक नयी डिबेट के साथ हाज़िर होंगे! धन्यवाद.
इन डिबेट्स को भी देखें
- Debate 1: स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए!
- Debate 2: कैपिटल पनिशमेंट यानि फाँसी की सजा पर रोक लगनी चाहिए!
- Debate 3: डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!
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- जेल से निकलना है तो सुरंग बनाइये!
October 20, 2019 at 2:37 pm
Paksh Mein batao
April 5, 2018 at 10:06 pm
कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है। क्योंकि जो जैसा कर्म करता है उसको वैसा ही परिणाम मिलता है। जैसे हो सकता है कि हमारे भाग्य में सरकारी नौकरी हो लेकिन हम उसके लिए तैयारी न करे या पढ़ाई नही करेगे तो क्या भाग्य से हमे नौकरी मिल जाएगी। इसीलिए उसके लिए हमे पढ़ाई करना पड़ेगा। अतः भाग्य हमारे कर्मो पर आधारित है, जैसा हम कर्म करंगे वैसा हमारा भाग्य बनेगा। और कभी-2 बिना कर्म किये किसी को मिल जाता है तो हम कहते है उसका भाग्य अच्छा था। लेकिन उसके पीछे कोई अच्छा कर्म किया होता है।
June 8, 2018 at 2:24 pm
ऐसा नहीं है, आप कर्म ही वो करते हो जो आपके भाग्य में लिखा होता है, इसका आपको पता नहीं चलता,आपको पता भी नहीं होता कि अगले एक घंटे में आप क्या सोचोगे, और आप ने आज जो सोचा है उसका नतीजा कैसा होगा,आप पहली बार कर्म करके असफल हो जाओगे या दस बार कर्म करने पर कामयाब होगे, ये भाग्य ही निर्धारित करता है,क्या आपको मालूम है कि दो महीन बाद आप कौन सा कर्म करोगे या आपको कौन सा कर्म करना पडेगा, कोई अचानक आप को मिल जाएगा जो या तो आपकी ज़िन्दगी बदल देगा या नुक्सान कर देगा,कितनी बार हम ये सोचते हैं कि ओहो ये बात मेरे दिमाग में पहले क्यों नहीं आई, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है, कर्म अपने आप में सही है, लेकिन आप कर्म भी उतना ही कर पाते हो जितना आपने भाग्य में लिखा है, जैसे आप रोटी उतनी ही खा पाते हो जितना भगवान् ने आप को पेट दे कर भेजा है.जब तक इंसान को कामयाबी मिलती रहती है वो अपने कर्म के गीत गाता है, और असफलता मिलते ही ज्योतिषी के पास भागता है
July 24, 2017 at 12:02 pm
I want to join upcoming debates,plz remind me whenever topic is choosen
July 20, 2017 at 11:41 am
इस डिबेट का रिजल्ट अपेक्षित ही है l very nice effert gopal ji . सभी participents को बहुत बहुत धन्यवाद l
वाकई में कर्म ही हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l कर्म का महत्व बताती हुई हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता मुझे याद आ रही है l
“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती…
June 8, 2018 at 2:32 pm
कई बार लहरों से डरने वाला ऊपर वाले का धन्यावाद भी करता है कि वो नौका लेकर नहीं उतरा, वरना सामने वाले की तरह डूब जाता, जीवन को एक ही पहलू से मत देखो, जिनकी कविता का आपने ज़िक्र किया है, उनके बेटे ने हाथ में नग पहना हुआ है, क्योंकि कोशिश कामयाब नहीं हो रही थी, कामयाब उन्हें नग ने भी नहीं किया, उनका समय सही शुरू हुआ तो दुबारा कामयाबी मिल गयी, वरना नग तो अभिषेक ने भी पहना था
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सोशल मीडिया – वरदान या अभिशाप पर निबंध (Social Media – Boon or Bane Essay in Hindi)
विभिन्न प्रकार के नेटवर्किंग साइट्स और वर्चुअल एप्लीकेशन के समूह को ही सोशल मीडिया कहा जाता है। सोशल मीडिया एक प्रकार का आभासी यंत्रजाल है जिसमें सैकड़ों भाषाओं में करोड़ों साइट्स और एप्लीकेशन मौजूद हैं। आज हम एक निबंध के माध्यम से सोशल मीडिया पर चर्चा करेंगे जिसका प्रयोग आप सभी अपने स्कूलों में सोशल मीडिया पर वाद विवाद (Debate/Speech on Social Media Boon or Bane) में, UPSC जैसी अन्य की परीक्षाओं (Social Media Boon or Bane Essay UPSC) के लिए कर सकते हैं।
सोशल मीडिया – वरदान या अभिशाप पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Social Media – Boon or Bane in Hindi, Social Media – Vardan ya Abhishap par Nibandh Hindi mein)
उम्मीद करता हूँ ये निबंध आपके लिए उपयोगी होगा।
सोशल मीडिया: हमारे लिये वरदान या अभिशाप – 1150 Words Essay
वर्तमान समय में सोशल मीडिया सबसे तेजी से विस्तार करने वाले वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म के रूप में उभरा है। सोशल मीडिया का विस्तार दुनिया के हर उस कोने तक है जहां इंसान मौजूद है। आज के समय में सोशल मीडिया बाकी सभी प्लेटफॉर्म्स से कहीं ज्यादा विकसित है और इसपर लोगों की अथाह भीड़ इसे और भी अधिक विशाल बनाती है। सोशल मीडिया लोगों की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बन चुका है जिसे अब खत्म करना असंभव सा लगता है। सोशल मीडिया बहुत से लोगों के जीवन में मनोरंजन, शिक्षा और अवसर के रूप में मौजूद है।
सोशल मीडिया क्या है? ( What is Social Media ?)
सोशल मीडिया या सामाजिक मीडिया वर्तमान समय में सभी के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है जिसके बिना प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को अधूरा महसूस करने लगा है। लोगों में सोशल मीडिया के प्रति इस प्रकार का लगाव उन्हें इसपर निर्भर बना रहा है। सोशल मीडिया लोगों के शिक्षा, मनोरंज, आय तथा कार्यक्रम संचालन मंच आदि का एक सुविधाजनक जरिया है। सोशल मीडिया लोगों का काम और अधिक आसान बनाने के साथ साथ अपनी तरफ इतना आकर्षित करता है कि लोग इसके पीछे अपनी रोजाना जिंदगी का एक कीमती वक्त गवा देते हैं।
सोशल मीडिया का भारत में उदय ( Rise of Social Media in India )
वर्ष 2004 में फेसबुक कि शुरुआत होने के बाद जब फेसबुक का आगमन भारत में हुआ तभी से भारत के लोगों का सोशल मीडिया की तरफ आकर्षण बढ़ता नजर आया। लोगों ने फेसबुक को खूब पसंद किया उसके बाद 2006 में विडियो स्ट्रीमिंग सोशल मीडिया ऐप यूट्यूब की शुरुआत हुई जिसे भी लोगों ने भारी संख्या में इस्तेमाल किया और धीरे धीरे यह लोगों के लिए मनोरंजन और आय का साधन बन गया। समय बढ़ने के साथ साथ ट्विटर, व्हाट्सएप, टिंडर, इंस्टाग्राम, टिक-टॉक आदि सोशल मीडिया एप्लीकेशन्स आते रहे और लोग सोशल मीडिया के धारा में बहते चले गए।
सोशल मीडिया की वर्तमान स्थिति ( Current Status of Social Media )
वर्तमान समय में सोशल मीडिया का विस्तार इस प्रकार से है कि लोग जगने के बाद से लेकर सोने से पहले तक सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। सोशल मीडिया से लोगों का लगाव इस प्रकार का है कि अब बहुत से लोग अपनी पूरी दिनचर्या को तस्वीर या चलचित्र के माध्यम से सोशल मीडिया पर प्रेषित करते हैं। लोगों ने क्या खाया है, क्या पहना है, कहाँ घूमने गए हैं आदि चीजें सोशल मीडिया पर साझा करने के साथ साथ वो वर्तमान समय पे क्या महसूस कर रहे हैं, ये तक सोशल मीडिया पर साझा करते हैं।
अगर आंकड़ों की बात करें तो बीते दो वर्षों में व्हाट्सएप पर 10%, यूट्यूब पर 12%, फेसबुक पर 6%, इंस्टाग्राम पर 8% तथा ट्विटर पर 5% उपयोगकर्ताओं का इजाफा हुआ है। नए सर्वेक्षणों के अनुसार भारत में तकरीबन 44.8 करोड़ लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। अगर भारत के छात्रों की बात करें तो लगभग 37.6 करोड़ छात्र सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। विश्व भर के यूट्यूबर्स में 16% यूट्यूबर्स अकेले भारत के हैं यह जनसंख्या लगभग 22.5 करोड़ की है।
हमारे जीवन में सोशल मीडिया की भूमिका या महत्व (Role or Importance of Social Media in Our Life)
वर्तमान समय में सोशल मीडिया हमारे जीवन में हमारी एक गहरी आदत की तरह बन चुकी है। सोशल मीडिया ने आज के दौर में लगभग सभी क्षेत्रों में अपनी एक अहम भूमिका निभाई है। बात चाहे आईटी सेक्टर की, कृषि सेक्टर की, चिकित्सा क्षेत्र की या फिर शिक्षा क्षेत्र की करें हर कहीं सोशल मीडिया किसी न किसी रूप से अपनी हिस्सेदारी निभाती है।
सोशल मीडिया के माध्यम से लोग पिछड़े से पिछड़े इलाकों से अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने रख सकते हैं। लोगों को सोशल मीडिया के जरिए आय के एक से एक अवसर प्राप्त हो जाते हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जिसकी मदद से लोग अपने घर एक कमरे में बैठकर लाखों का आय कर सकते हैं। आज के समय में किसी भी कार्यक्रम को प्रसारित करने का एक बेहतरीन मंच है सोशल मीडिया।
सोशल मीडिया के लाभ ( Advantage of Social Media )
सोशल मीडिया के प्रमुख लाभ निम्नलिखित है-
- सोशल मीडिया के द्वारा लोग अपने दूर स्थित संबंधियों से जुड़े रहते हैं।
- यह आय अर्जन में भी मदद करती है।
- इसके माध्यम से एक समय में लाखों लोगों तक सूचना साझा कर सकते हैं।
- सोशल मीडिया के द्वारा हम सरकार या उच्च अधिकारियों तक अपनी बात पहुँच सकते हैं।
- इसके माध्यम से हम घर बैठे शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
- यह एक अच्छा मनोरजंन का साधन है।
सोशल मीडिया के नुक्सान ( Disadvantage of Social Media )
सोशल मीडिया के प्रमुख नुक्सान निम्नलिखित हैं-
- सोशल मीडिया के द्वारा अफवाहों को भी बड़ी आसानी से फैलाया जा सकता है।
- इस पर ज्यादा समय देने से युवा पथभ्रमित हो जाता है।
- इसका बहुत अधिक इस्तेमाल करने से बहुत से मानसिक बीमारियां भी होती हैं।
- सोशल मीडिया पर लोगों की निर्भरता उन्हें आलसी बना रहा है।
- यह तरह तरह के साइबर क्राइम का भी कारण है।
सोशल मीडिया – वरदान या अभिशाप ( Social Media is a Blessing or Curse )
दुनिया में किसी भी चीज का आविष्कार कभी भी अभिशाप के रूप में नहीं किया जाता। अब तक जीतने भी आविष्कारकों ने अपने आविष्कार किए उन सभी की अपने आविष्कार को लेकर एक समाज के लिए एक बेहतर मंसा ही रही है। कोई भी वस्तु एक अच्छे और भले उद्देश्य से बनाई जाती है लेकिन वह वस्तु एक वरदान साहिब होगी या अभिशाप ये तो उस व्यक्ति के हाथों में जाने के बाद पता चलेगा कि उस व्यक्ति ने उस वस्तु का किस तरह से इस्तेमाल किया।
बहुत से लोग फेसबुक व्हाट्सएप आदि का प्रयोग अच्छे सूचनाओं को साझा करने के लिए करते हैं तो वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलाने का काम करते हैं लेकिन इस बात से इनकार करना गलत होगा कि फेसबुक व्हाट्सएप आदि का निर्माण अच्छे उद्देश्य के लिए किया गया है। अगर सोशल मीडिया को गलत हाथों में जाने से रोक लिया जाए या उन गलत मानसिकता वाले लोगों को थोड़ी समझ आ जाए तो सोशल मीडिया शत प्रतिशत एक वरदान कहलाएगा परंतु अभी के समय में सोशल मीडिया को सिर्फ वरदान कहाँ भी सही नहीं होगा। सोशल मीडियाका कुछ हिस्सा ऐसा है जो समाज को किसी न किसी रूप से क्षति पहुंचा रहा है।
सोशल मीडिया पर जिस प्रकार की निर्भरता इस वक्त लोगों की है उसे देखकर तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में सबसे अधिक विकसित प्लेटफ़ॉर्म सोशल मीडिया का ही होने वाला है। भले ही आज कल सारे काम सोशल मीडिया पर होते हैं लेकिन हमें अपना कम से कम समय ही वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म पर देना चाहिए तथा हमें ज्यादा से ज्यादा भौतिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए। सोशल मीडिया के सीमित और सही इस्तेमाल से ही ये एक वरदान की तरह साबित होगा। सोशल मीडिया पर इस आर्टिकल (Article on Social Media Boon or Bane) के साथ साथ हमारी साइट www.hindikiduniya.com पर और भी बहुत से निबंध मौजूद हैं जिनसे आपको काफी मदद मिल सकती है।
FAQs: Frequently Asked Questions
उत्तर – सोशल मीडिया हजारों साइट्स और एप्लीकेशन का आभासी यंत्रजाल है।
उत्तर – विश्व में लगभग 450 करोड़ जनसंख्या सोशल मीडिया पर सक्रिय है।
उत्तर – वेबइंडेक्स के अनुसार हर व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 2 घंटे 24 मिनट सोशल मीडिया पर देता है।
उत्तर – फेसबुक का संचालन वर्ष 2004 से शुरू हुआ।
उत्तर – व्हाट्सएप का संचालन वर्ष 2009 से शुरू हुआ।
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कैसे डिबेट शुरू करें (Start a Debate)
यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Lynn Kirkham . लिन किर्कहम एक प्रोफेशनल पब्लिक स्पीकर और Yes You Can Speak के फॉउंडर हैं, जो सैन फ़्रांसिस्को बे एरिया में स्थित एक पब्लिक स्पीकिंग एजुकेशनल बिजनेस है, जहां हजारों प्रोफेशनल्स को तैयार किया जाता है कि वे जिस भी स्थिति में हों – जॉब के लिए इंटरव्यू, TEDx के लिए या बड़ी कॉन्फ्रेंस के प्लेटफॉर्म में बोर्डरूम संवाद के लिए, वहाँ पर कमांड अपने हाथ में ले सकें। लिन को पिछले चार सालों तक आधिकारिक TEDx बरकली स्पीकर कोच के रूप में चुना गया था और उन्होंने गूगल, फ़ेसबुक, इंटुइट, जेनेंटेक, इंटेल, VMware और अन्य के अधिकारियों के साथ काम किया है। यहाँ पर 7 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं। यह आर्टिकल २७,१२२ बार देखा गया है।
सही तरीके से डिबेट की शुरुआत करने से आप अपने श्रोताओं का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेंगे और अपनी बात को सही साबित कर पाएंगे | डिबेट शुरू करने से पहले, कुछ समय लेकर ऐसी दमदार शुरुआत सोच लें जो लोगों का दिल जीत ले |
श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करना
- आपकी कहानी डिबेट के मुख्य सार को सही प्रकार से पेश कर पाए | मसलन, वो ये दिखा सकती है, की इस विषय के सम्बन्ध में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, आपने उन चुनातियों का कैसे सामना किया, और इस दौरान आपने क्या सबक सीखे |
- उदहारण के तौर पर, "दौरों से प्रभावित व्यक्ति होने के कारण, मेरे लिए मेडिसिनल मारिजुआना (Medicinal Marijuana) जान बचाने का एक अहम् जरिया था | मेरे परिवार को और मुझे इसे पाने के लिए अपना स्थान बदलना पड़ा, पर ये कोशिश मददगार साबित हुई | मेरे दौरे दिन में पांच से कम होकर हफ्ते में एक तक आ गए |"
- मसलन, आप पूछ सकते हैं, “क्या आप चाहेंगे की आप जिसे प्यार करते हैं वो बिना किसी कारण के तकलीफ पाए?”
- उदाहरण के तौर पर, आप कह सकते हैं, “लाखों टन प्लास्टिक इस समय समुद्र में तैर रहा है | ये इतना प्लास्टिक है की इससे लक्षद्वीप के आकार का एक द्वीप बन जाए |” उसके बाद, मुद्दे पर बात करना शुरू करें और श्रोताओं को समझाएं की क्यूँ आपके द्वारा पेश किया गया हल सर्वोत्तम है |
- उदाहरण के तौर पर, ये सोचें की आप इस मुद्दे पर भाषण दे रहे हैं की क्यों जीवन में सफल होने के लिए उच्चा शिक्षा पाना ज़रूरी नहीं है | आप ऐसे शुरुआत कर सकते हैं, “मार्क ट्वेन ने एक बार कहा था, ‘स्कूल को अपनी शिक्षा में अड़चन नहीं पैदा करने दें |’”
- मसलन, अगर आप ये बहस कर रहे हैं की वास्तव में मौसम में बदलाव आ रहा, तो वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिक मात्रा से प्रभावित एक ग्लेशियर के पहले और बाद की तस्वीर लोगों को दिखाएं |
डिबेट शुरू करना
- अपने विवाद के मुख्य टर्म्स की पहचान करें और उनकी परिभाषाएं अलग अलग डिक्शनरी में से समझें | हर शब्द के लिए सबसे उपयुक्त परिभाषा का चुनाव करें | आप ऐसी परिभाषा का चुनाव कर सकते हैं जो पारंपरिक और पक्षपातों से भिन्न हो |
- आपकी परिभाषाएं शाब्दिक, या विषय के मुताबिक हो सकती हैं | विषय के मुताबिक लिखी परिभाषाएं में आप ये उदहारण डाल सकते हैं की कैसे ये बातें हकीकत की दुनिया में काम आती हैं | मसलन, पैसे की विषय के मुताबिक परिभाषा में आप कह सकते हैं की पैसे से हम सेवाएं जैसे, खाना और गैस खरीद सकते हैं | [७] X रिसर्च सोर्स
- उदाहरण के तौर पर, “मेरे साथी और मैं आपको मेडिसिनल मारिजुआना की ज़रुरत, इस्तेमाल और फायदों के बारे में बताएँगे | साथ में हम आपको बताएँगे की हजारों रोगी, जिनमें से कई छोटे बच्चे हैं, और जो दौरों से पीड़ित हैं, वो मेडिसिनल मारिजुआना से आराम पाते हैं | क्षोध से पता चलता है की मेडिकल मारिजुआना 80 % तक दौरों की घटनाओं को कम कर सकते हैं | इसके इलावा, मेडिसिनल मारिजुआना के साइड इफ़ेक्ट अन्य पारंपरिक दवाईयों के देखे कम तीव्र होते हैं, ख़ास तौर से बच्चों के लिए | हम ये साबित करेंगे की मेडिसिनल मारिजुआना रोगियों और उनके परिवार के लिए एक उपयोगी, सुरक्षित, और किफायती हल है |”
- ये साबित करने के लिए की आपकी टीम की नीति काम करेगी, लागू हो चुकी अन्य नीतियों को अपनी नीति का आधार बनाएं | उदाहरण के तौर पर, आप ये कह सकते हैं की ड्राइविंग करते समय सेलफोन पर प्रतिबन्ध शराब पी कर ड्राइविंग करने से मिलता जुलता है |
- ऐसी तीन महत्वपूर्ण वजहों पर ध्यान केन्द्रित करें जो ये बताएं की क्यूँ उस नीति की या उसमें बदलाव की ज़रुरत है | [१०] X रिसर्च सोर्स
डिबेट पेश करना
- अपने श्रोताओं का अभिवादन करके कहें, “गुड मोर्निंग फैकल्टी और स्टाफ | आज के डिबेट का विषय है स्टूडेंट पार्किंग,” या “गुड मोर्निंग टीचर्स और स्टूडेंट्स | इस डिबेट के लिए समय निकाल कर आने के लिए धन्यवाद | आज, विषय है स्टूडेंट पार्किंग |”
- आपका पक्ष किस बात पर बहस कर रहा है उसे बताने के लिए कहें, “हमें लगता है की पढ़ने वाले छात्रों से कैंपस पर पार्क करने के लिए पार्किंग पास के पैसे नहीं मांगने चाहिए,” या “हमें लगता है की सभी छात्रों को कैंपस में पार्क करने के लिए पार्किंग पास के पैसे देने चाहिए |”
- स्पीकर्स की ज़िम्मेदारी समझाने के लिए कहें, “पहले स्पीकर के तौर पर, मैं मुख्य टर्म्स और तर्क की भूमिका पेश करूंगा | दूसरा स्पीकर उस तर्क के समर्थन में वजहें पेश करेगा, और तीसरा स्पीकर हमारे तर्कों को सम्मारयिज़ करेगा |”
- हर वाक्य के बाद अपने श्रोताओं से आँखों से संपर्क साधना नहीं भूलें |
- एक व्यक्ति से सिर्फ तीन या पांच सेकंड तक आँखों का संपर्क रखें, और फिर दूसरे व्यक्ति पर जांयें |
- इसके इलावा, बीच में रुकना नहीं भूलें | रुकने से आपको साँस लेने का अवसर मिलता है और आप आगे क्या कहना है ये सोच सकते हैं | आप के श्रोता भी जो आपने कहा उन बातों को सही से समझ पाएंगे |
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हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?
प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।
हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।
तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।
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हिंदी निबंधों की संरचना
उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।
इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।
हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु
अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:
- अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
- अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
- पहला भाग: परिचय
- दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
- तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
- एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
- जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
- अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
- विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
- यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
- महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।
हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।
2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।
3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।
4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।
5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:
- एक पंच-लाइन की शुरुआत।
- बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
- रचनात्मक सोचें।
- कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
- आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
- सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
- निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।
निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।
यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।
मोबाइल फोन के फायदे और नुकसान पर निबंध 10 lines (Essay on Advantages and Disadvantages Of Mobile Phones in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे
Essay on Advantages and Disadvantages Of Mobile Phones in Hindi – मोबाइल फोन सबसे उन्नत, सुविधाजनक और समय बचाने वाली तकनीकों में से एक है, जिसका उपयोग दुनिया भर में लगभग सभी लोग कर रहे हैं।
मोबाइल फोन आजकल विभिन्न आकारों और आकारों में उपलब्ध हैं और विभिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न तकनीकी विशेषताएं हैं, और इसलिए इसे स्मार्टफोन कहा जाता है। हर तकनीकी उपकरण की तरह इसके भी फायदे और नुकसान हैं।
मोबाइल फोन के फायदों पर 10 लाइनें (10 Lines on advantages of mobile phones in Hindi)
- 1) मोबाइल फोन का प्राथमिक लाभ यह है कि आप कहीं से भी किसी से बात कर सकते हैं।
- 2) विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का आनंद लेना महत्वपूर्ण है।
- 3) मोबाइल फोन मनोरंजन का एक बड़ा स्रोत है जैसे फिल्में देखना या गेम खेलना।
- 4) अधिकांश बुकिंग मोबाइल फोन का उपयोग करके ऑनलाइन की जा सकती है।
- 5) मोबाइल फोन का उपयोग तस्वीरें क्लिक करने और मेमोरी बचाने के लिए भी किया जा सकता है।
- 6) मोबाइल फोन का उपयोग अनुसंधान और शिक्षा के उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है।
- 7) मोबाइल फोन पोर्टेबल उपकरण हैं, जिन्हें जेब में रखा जा सकता है।
- 8) मोबाइल फोन की कुछ अन्य विशेषताओं में एक कैलेंडर, कैलकुलेटर, नोट्स, रिमाइंडर, अलार्म आदि शामिल हैं।
- 9) आप बिना बाजार जाए मोबाइल फोन से खरीदारी कर सकते हैं।
- 10) मोबाइल फोन की मदद से बैंकिंग गतिविधियां हाथ में हैं।
मोबाइल फोन के नुकसान पर 10 लाइनें (10 Lines on disadvantages of mobile phones in Hindi)
- 1. मोबाइल फोन लोगों में अलगाव पैदा करते हैं।
- 2. मोबाइल का अत्यधिक उपयोग मूल्यवान समय की बर्बादी का कारण बनता है।
- 3. मोबाइल फोन की लत काम से ध्यान भटकाती है।
- 4. मोबाइल फोन के कारण बहुत अधिक धन की बर्बादी भी होती है।
- 5. मोबाइल फ़ोन साइबरबुलिंग का कारण बनते हैं।
- 6. मोबाइल आईफोन में कई सुरक्षा मुद्दे हैं जो फोन पर निजी जानकारी और फोटो या वीडियो को लीक कर सकते हैं।
- 7. मोबाइल फोन के अधिक प्रयोग के कारण लोगों का पढ़ाई के लिए समय नष्ट हो जाता है
- 8. रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों से दूरी मोबाइल फोन के कुछ नकारात्मक प्रभावों में से एक है।
- 9. मोबाइल फोन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं और नींद न आने की समस्या का कारण बनता है।
- 10 सड़क हादसों का एक मुख्य कारण मोबाइल फोन है।
मोबाइल फोन के फायदे और नुकसान पर 100 शब्दों का निबंध
हर सिक्का अपने दो पहलुओं के साथ आता है। सेल फोन के लिए भी यही सच है; एक तरफ तो वे एक शानदार इनोवेशन हैं, लेकिन दूसरी तरफ वे अपने साथ समाज के सबसे बुरे पहलू भी लेकर आते हैं।
इन दिनों मोबाइल फोन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मनोरंजन का लगातार उपलब्ध स्रोत बन गया है जो लोगों को बोर होने से रोकता है। मोबाइल फोन से सूचनाओं तक पहुंच आसान हो गई है। आजकल, ज्ञान के स्रोत विविध हो गए हैं, उनमें से एक सबसे अच्छा इंटरनेट है। मोबाइल फोन इंटरनेट तक लगातार पहुंच की अनुमति देते हैं, और इसलिए, किसी भी जानकारी की आवश्यकता होती है। हालाँकि, मोबाइल फोन का नकारात्मक पक्ष यह है कि छात्र अक्सर फोन की वजह से पढ़ाई से विचलित हो जाते हैं। मोबाइल फोन के माध्यम से सूचनाओं की निरंतर उपलब्धता के परिणामस्वरूप बहुत सारे सुरक्षा खतरे भी सामने आए हैं।
मोबाइल फोन के फायदे और नुकसान पर 200 शब्दों का निबंध
मोबाइल फोन बेहतर और त्वरित मानवीय संपर्क के लिए बनाए गए हैं लेकिन किसी भी चीज का अति प्रयोग और अति नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। मोबाइल फोन का मुख्य लाभ यह है कि उनका उपयोग करना आसान है और लोगों के बीच आसान और त्वरित संचार की सुविधा प्रदान करता है। एक अन्य लाभ यह है कि कैसे उन्होंने हमें इंटरनेट के माध्यम से कमोबेश सभी प्रकार की जानकारी तक आसान पहुँच प्रदान की है। यह छात्रों, कामकाजी लोगों और गृहिणियों के लिए समान रूप से सहायक है। आजकल, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद, कई स्कूल, कॉलेज और शिक्षा संस्थान ऑनलाइन शिक्षा की पेशकश कर रहे हैं, और मोबाइल फोन छात्रों के लिए पाठ, चित्र और वीडियो के रूप में सभी अध्ययन सामग्री के साथ कक्षाओं में भाग लेना आसान बनाते हैं।
मोबाइल फोन के नुकसान में से एक यह है कि वे अपने काम से किसी का ध्यान भटका सकते हैं, चाहे वह छात्र हों या बड़े। माता-पिता और शिक्षक अक्सर छात्रों द्वारा पढ़ाई के बीच में मोबाइल का उपयोग करने की शिकायत करते हैं, भले ही वह पढ़ाई से संबंधित उद्देश्यों के लिए न हो। साथ ही, अक्सर ऐसा भी होता है कि लोग मूवी देखते समय या फोन पर गेम खेलते हुए इतने मग्न हो जाते हैं कि वे घंटों तक अपनी आंखों की पलकें नहीं झपकाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आंखों में सूखापन, लालिमा और खुजली हो सकती है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि लंबे समय तक मोबाइल का उपयोग करते समय छोटे-छोटे ब्रेक लें और अपनी आंखों को बार-बार धोएं।
मोबाइल फोन के फायदे और नुकसान पर 300 शब्दों का निबंध
मोबाइल फोन तकनीक का सबसे बड़ा आविष्कार है और आजकल पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के कारण लोगों से संवाद करने का माध्यम बहुत आसान हो गया है। हालाँकि, मोबाइल फोन का उपयोग करने के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
आजकल मोबाइल फोन के कारण कोई भी सूचना मौखिक और लिखित रूप में भेजी जा सकती है, जो पुराने दिनों में असंभव थी। चूंकि मोबाइल फोन में कोई तार नहीं जुड़ा होता है, इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है, और इसका आकार बहुत बड़ा नहीं होने के कारण लोग इसे अपनी जेब में भी रख सकते हैं।
छात्र किसी भी आपात स्थिति के मामले में तुरंत अपने माता-पिता से संपर्क करने के लिए एक फोन का उपयोग भी कर सकता है। मोबाइल फोन को बहुत उपयोगी माना जाता है और आग, चिकित्सा मुद्दों, या शायद दुर्घटना जैसी आपात स्थितियों में सुरक्षा बलों या एम्बुलेंस को कॉल करने के लिए उनके महत्व को साबित कर दिया है।
एक मोबाइल फोन का उपयोग किसी को कॉल या टेक्स्ट करने के लिए किया जाता है और इसके बहुउद्देश्यीय होते हैं जैसे ईमेल भेजना, अगर किसी के पास कैमरा नहीं है तो तस्वीरें लेना या ऑनलाइन लोगों के साथ संवाद करना और नए दोस्त बनाना। आजकल, सब कुछ ऑनलाइन किया जा रहा है, और एक मोबाइल फोन का उपयोग करके, एक स्पर्श से लगभग सब कुछ आसानी से किया जा सकता है। ऑनलाइन बैंकिंग, आधुनिक सेवाओं और ऐप्स तक पहुंच, बेहतर नेटवर्किंग क्षमताएं और ऑनलाइन खरीदारी ऐसे प्रमुख कार्य हैं जिन्हें मोबाइल फोन का उपयोग करके किया जा सकता है।
लेकिन दूसरी तरफ मोबाइल फोन के नुकसान भी हैं। चूंकि मोबाइल फोन एक निरंतर, रीयल-टाइम संचार और हमेशा उपलब्ध अवसर हैं, इनकमिंग कॉल, टेक्स्ट, सोशल-मीडिया से संबंधित सूचनाएं, या ईमेल सेकंड के भीतर किसी के फोन में आ सकते हैं। यह कुछ मामलों में सुविधाजनक है, लेकिन एक बैठक में या एक व्याख्यान में भाग लेने के दौरान, अगर मोबाइल फोन बजना शुरू हो जाता है, तो यह बाधित होता है और सभी को परेशान करता है।
जैसा कि मोबाइल फोन के कारण संचार वास्तव में आसान हो जाता है, काम करते हुए, अध्ययन करते समय, या ड्राइविंग करते समय पाठ करने, कॉल करने, या वीडियो कॉल करने की मनोरंजक भावना एक बड़ा विकर्षण है। रिपोर्टों से पता चलता है कि हर दिन करीब नौ लोगों की सड़क दुर्घटनाओं के कारण मौत हो जाती है, जो वाहन चालकों का फोन से विचलित होने के कारण होता है। अलगाव भी मोबाइल फोन के उपयोग के बड़े नकारात्मक प्रभावों में से एक है। हर कोई आमने-सामने मिलने पर भी मोबाइल फोन का उपयोग करने में व्यस्त है, जो कि व्यक्ति के जीवन में रिश्तों के बीच नुकसान का एक प्रमुख कारण भी है।
मोबाइल फोन के फायदे और नुकसान पर 500 शब्दों का निबंध
सेल फोन ने आधुनिक दुनिया में आम आदमी की जीवनशैली को नाटकीय रूप से बदल दिया है। यह वास्तव में एक उल्लेखनीय नवाचार है जो बहुत आसानी और आराम में लाया है, लेकिन हर चीज की तरह, मोबाइल फोन के अपने नकारात्मक पहलू हैं।
इन दिनों मोबाइल फोन का सबसे बड़ा फायदा परिवार और दोस्तों और हमसे दूर रहने वाले लोगों के साथ आसान संचार है। मोबाइल फोन संचार को अधिक सुविधाजनक और सस्ता बनाते हैं। मोबाइल फोन ने संचार को आसान बना दिया है क्योंकि अब हम अपने फोन पर केवल कुछ बटन दबाकर किसी भी समय मित्रों, परिवार, सहकर्मियों और अन्य लोगों से संपर्क कर सकते हैं। वीडियो कॉल, टेक्स्ट मैसेजिंग, रिकॉर्डेड कॉल और अन्य जैसी अतिरिक्त सुविधाएं हैं, जिन्होंने संचार को कुछ साल पहले की तुलना में आसान बना दिया है।
शिक्षा में आसानी
कोविड-19 महामारी के दौरान और उसके बाद, कई शिक्षण संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाएं प्रदान करना शुरू कर दिया। हर किसी के पास घर में लैपटॉप या कंप्यूटर नहीं है और इसलिए, मोबाइल फोन बड़ी संख्या में छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई में मदद कर रहे हैं। कई तरह के ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी हैं, जिनके पास लैपटॉप या कंप्यूटर नहीं है, वे मोबाइल के माध्यम से पहुंच सकते हैं और उन विषयों के बारे में अध्ययन कर सकते हैं जो उनकी रुचि रखते हैं। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि मोबाइल फोन शिक्षा को दुनिया के सुदूर कोनों तक भी ले गए हैं।
मोबाइल आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकता है
लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंच सकता है। लाली, खुजली, पानी आँखें, सूखापन, उन लोगों की आम शिकायतें हैं जो लगातार सेल फोन का उपयोग करते हैं। मोबाइल फोन से निकलने वाली हानिकारक किरणों से कुछ लोगों की दृष्टि भी प्रभावित हो सकती है। इन प्रभावों का मुकाबला करने के लिए, यह एक अच्छा विचार है कि व्यक्ति आंख की मांसपेशियों का बुनियादी व्यायाम करता है, आंखों को नियमित रूप से धोता है, और फोन का उपयोग करते समय बार-बार ब्रेक लेता है।
काम से ध्यान भटकना
माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के बारे में शिकायत करते हैं कि वे मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग करते हैं और इस तरह पढ़ाई और खेलने का समय खो देते हैं। यहां तक कि वयस्कों के मामले में भी, मोबाइल फोन अक्सर काम या अन्य महत्वपूर्ण कार्यों से ध्यान भटकाने वाला बन जाता है, जिसमें एक व्यक्ति व्यस्त हो सकता है। एक अच्छा विचार यह है कि मोबाइल फोन का उपयोग करने के लिए स्वयं के लिए एक विशिष्ट समय निर्धारित किया जाए। उदाहरण के लिए, छात्र एक घंटे तक अध्ययन करने का निर्णय ले सकते हैं और फिर फोन पर 10 मिनट बिता सकते हैं और फिर चक्र दोहरा सकते हैं। एक अन्य विचार टाइम ब्लॉकर ऐप इंस्टॉल करना है जो आपके फोन पर किसी ऐप पर आवश्यक समय से अधिक समय बिताने पर आपको अलर्ट करता है।
तकनीकी विकास के आज के युग में मोबाइल फोन अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं। तकनीक की बदौलत हमारा जीवन सरल हो गया है। कोई व्यक्ति मोबाइल फोन का उपयोग कैसे करता है, इसके आधार पर इसके लाभकारी और बुरे दोनों प्रभाव हो सकते हैं। मोबाइल फोन बेहतर और त्वरित मानवीय संपर्क के लिए बनाए गए हैं लेकिन किसी भी चीज का अधिक उपयोग नकारात्मक परिणाम देता है। मोबाइल उपकरणों के अपने हानिकारक प्रभाव होते हैं जिनमें हमारे स्वास्थ्य पर भी शामिल हैं। छात्रों को अपने सेल फोन के उपयोग के प्रति सावधान रहना चाहिए और इसलिए वयस्कों को भी होना चाहिए। सूचना, संचार और मनोरंजन तक पहुँचने के मामले में हम मोबाइल फोन का सबसे अच्छा उपयोग तब कर सकते हैं जब हम उन्हें ध्यान से और विनियमित तरीके से उपयोग करते हैं।
मोबाइल फोन के नुकसान और फायदे पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न निबंध (FAQs)
प्रश्न 1. क्या मोबाइल फोन महत्वपूर्ण हैं क्यों.
उत्तर: मोबाइल फोन आजकल बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे एक व्यक्ति के जीवन को अधिक सुविधाजनक बनाते हैं और सभी के साथ जुड़े रहने का सही तरीका हैं।
प्रश्न 2. क्या एक छात्र के लिए मोबाइल फोन काम कर रहे हैं?
उत्तर: मोबाइल फोन छात्रों के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि मोबाइल फोन के माध्यम से छात्र किसी भी मदद के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से उच्च अधिकारियों के संपर्क में आसानी से आ सकते हैं। छात्र मोबाइल फोन का उपयोग करके भी ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं, जो उनके लिए काफी सुविधाजनक है।
प्रश्न 3. मोबाइल फोन का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: मोबाइल फोन के उपयोग और लत ने चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक विकारों जैसे मानसिक स्वास्थ्य रोगों को बढ़ा दिया है। अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकला है कि, औसतन, एक व्यक्ति हर 12 मिनट में एक बार अपने फोन की जांच करता है, जो प्रति दिन 80 बार तक बढ़ जाता है, जिससे समय की बर्बादी होती है। ये हमारे दैनिक जीवन में मोबाइल फोन के कुछ प्रभाव हैं।
प्रश्न 4. मोबाइल फोन के प्रयोग से व्यक्ति के मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा किए गए शोध के अनुसार मोबाइल फोन हमारे दिमाग को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने बताया कि फोन पर हर पचास मिनट के बाद मस्तिष्क के अंदर चीनी का उपयोग बढ़ जाता है, जो बढ़ी हुई गतिविधि का संकेत है, जो हमारे मस्तिष्क के लिए बुरा है।
English Hindi Dictionary | अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश
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- शब्द प्रचलन
- शब्द सहेजें
debate का हिन्दी अर्थ
Debate के हिन्दी अर्थ, संज्ञा , क्रिया .
- तर्क-वितर्क करना
debate शब्द रूप
Debate की परिभाषाएं और अर्थ अंग्रेजी में, debate संज्ञा.
- argument , argumentation
तर्क-वितर्क , वाद-विवाद
- "the argument over foreign aid goes on and on"
- disputation , public debate
बहस-मुबाहिसा, ... सदस्यता लें
debate क्रिया
- "John debated Mary"
- "We debated the question of abortion"
- argue , contend , fence
- consider , deliberate , moot , turn over
- "They considered the possibility of a strike"
- "Turn the proposal over in your mind"
debate के समानार्थक शब्द
Debate is a process that involves formal discourse, discussion, and oral addresses on a particular topic or collection of topics, often with a moderator and an audience. In a debate, arguments are put forward for opposing viewpoints. Historically, debates have occurred in public meetings, academic institutions, debate halls, coffeehouses, competitions, and legislative assemblies. Debates have also been conducted for educational and recreational purposes, usually associated with educational establishments and debating societies. These debates emphasize logical consistency, factual accuracy, and emotional appeal to an audience. Modern competitive debate also includes rules for participants to discuss and decide upon the framework of the debate.
वाद-विवाद या बहस , किसी विषय पर चर्चा की एक औपचारिक विधि है। वाद-विवाद में दो परस्पर विपरीत विचारों के समर्थक अपना-अपना तर्क रखते हैं और दूसरे के कथनों का खण्डन करने का प्रयत्न करते हैं। वाद-विवाद सार्वजनिक बैठकों में हो सकता है, शैक्षणिक संस्थानों में हो सकता है, विधायी सभाओं में हो सकता है। वाद-विवाद एक औपचारिक चर्चा है जिसमें प्रतिभागियों के अलावा प्रायः एक संचालक होता है और श्रोता होते हैं।
debate के लिए अन्य शब्द?
debate के उदाहरण और वाक्य
debate के राइमिंग शब्द
अंग्रेजी हिन्दी अनुवादक
Words starting with
Debate का हिन्दी मतलब.
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"debate" के बारे में
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Debate is a process that involves formal discourse, discussion, and oral addresses on a particular topic or collection of topics, often with a moderator and an audience. In a debate, arguments are put forward for opposing viewpoints. Historically, debates have occurred in public meetings, academic institutions, debate halls, coffeehouses, competitions, and legislative assemblies.
यह एडिटोरियल दिनांक 02/06/2021 को 'इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित लेख "One Nation, One Election" पर आधारित है। इसमें देश में एक साथ चुनाव कराने के पक्ष और विपक्ष में तर्क ...