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भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi)

भारत में लोकतंत्र

भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है, जिस पर सदियों तक विभिन्न राजाओं, सम्राटों तथा यूरोपीय साम्राज्यवादीयों द्वारा शासन किया गया। भारत 1947 में अपनी आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। उसके बाद भारत के नागरिकों को वोट देने और अपने नेताओं का चुनाव करने का अधिकार मिला। भारत क्षेत्रफल के हिसाब से दुनियां का सातवां सबसे बड़ा देश और आबादी के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा देश है, इन्हीं कारणों से भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में भी जाना जाता है। 1947 में देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ था। हमारे देश में केंद्र और राज्य सरकार का चुनाव करने के लिए हर 5 साल में संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाते हैं।

भारत में लोकतंत्र पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Democracy in India in Hindi, Bharat me Loktantra par Nibandh Hindi mein)

भारत में लोकतंत्र पर निबंध – 1 (250 300 शब्द) – loktantra par nibandh.

भारत की शासन प्रणाली लोकतांत्रिक है। यहाँ भारत की जनता अपना मुखिया स्वयं चुनती है। भारत में प्रत्येक नागरिक को वोट देने और उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग के बावजूद अपनी इच्छा से अपने नेताओं का चयन करने की अनुमति प्रदान करता है।

लोकतंत्र का प्रभाव

भारत में लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देने का अधिकार ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता को भी सुनिश्चित करना है। सरकार को लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निरक्षरता, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद के साथ-साथ लैंगिग भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम करना चाहिए। देश में सरकार आम लोगों द्वारा चुनी जाती है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनकी बुद्धि और जागरूकता है जिससे वे सरकार की सफलता या विफलता निर्धारित करतें हैं।

लोकतंत्र के घटक

भारतीय लोकतंत्र का एक संघीय रूप है जिसके अंतर्गत केंद्र में एक सरकार जो संसद के प्रति उत्तरदायी है तथा राज्य के लिए अलग-अलग सरकारें हैं जो उनके विधानसभाओं के लिए समान रूप से जवाबदेह हैं। भारत के कई राज्यों में नियमित अंतराल पर चुनाव आयोजित किए जाते हैं। इन चुनावों में कई पार्टियां केंद्र तथा राज्यों में जीतकर सरकार बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं।

लोकतंत्र को विश्व के सबसे अच्छे शासन प्रणाली के रुप में जाना जाता है, यही कारण है कि हमारे देश के संविधान निर्माताओं और नेताओं ने शासन प्रणाली के रुप में लोकतांत्रिक व्यवस्था का चयन किया। हमें अपने देश के लोकतंत्र को और भी मजबूत करने की आवश्यकता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Democracy in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द)

लोकतंत्र से तात्पर्य लोगों के द्वारा, लोगों के लिए चुनी सरकार से है। लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिकों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त होता है। लोकतंत्र को विश्व के सबसे अच्छे शासन प्रणाली के रुप में जाना जाता है, यही कारण है कि आज विश्व के अधिकतम देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू है।

भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं

वर्तमान समय में भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मुगलों, मौर्य, ब्रिटिश और अन्य कई शासकों द्वारा शताब्दियों तक शासित होने के बाद भारत आखिरकार 1947 में आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक देश बना। इसके बाद देश के लोगों को, जो कई सालों तक विदेशी शक्तियों के हाथों शोषित हुए, अंत में वोटों के द्वारा अपने स्वयं के नेताओं को चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ। भारत में लोकतंत्र केवल अपने नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समानता के प्रति भी काम कर रहा है।

भारत में लोकतंत्र पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर काम करता है:

  • संप्रभु: इसका मतलब भारत किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त है।
  • समाजवादी: इसका मतलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
  • धर्मनिरपेक्षता: इसका अर्थ है किसी भी धर्म को अपनाने या सभी को अस्वीकार करने की आजादी।
  • लोकतांत्रिक: इसका मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है।
  • गणराज्य: इसका मतलब यह है कि देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है।

भारत में लोकतंत्र कैसे कार्य करता है

18 वर्ष से अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक भारत में वोट देने का अधिकार का उपयोग कर सकता है। मतदान का अधिकार प्रदान करने के लिए किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। भारत में कई पार्टियाँ है जिनके उम्मीदवार उनकी तरफ से चुनाव लड़ते हैं जिनमें प्रमुख है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आदि। उम्मीदवारों को वोट देने से पहले जनता इन पार्टियों या उनके प्रतिनिधियों के आखिरी कार्यकाल में किये गये कार्यों का मूल्यांकन करते हुए, अपना मतदान करती है।

सुधार के लिए क्षेत्र

भारतीय लोकतंत्र में सुधार की बहुत गुंजाइश है इसके सुधार के लिए ये कदम उठाए जाने चाहिए:

  • गरीबी उन्मूलन
  • साक्षरता को बढ़ावा देना
  • लोगों को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना
  • लोगों को सही उम्मीदवार चुनने के लिए शिक्षित करना
  • बुद्धिमान और शिक्षित लोगों को नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना
  • सांप्रदायिकता का उन्मूलन करना
  • निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया सुनिश्चित करना
  • निर्वाचित सदस्यों के कामकाज की निगरानी करना
  • लोकसभा तथा विधानसभा में ज़िम्मेदार विपक्ष का निर्माण करना

हालांकि भारत में लोकतंत्र को अपने कार्य के लिए दुनिया भर में सराहा जाता है पर फिर भी इसमें सुधार के लिए अभी भी बहुत गुंजाइश है। देश में लोकतंत्र कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए ऊपर बताए क़दमों को प्रयोग में लाया जा सकता है।

निबंध 3 (500 शब्द)

लोकतांत्रिक राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र होता है जहां नागरिक अपने चुनाव करने के अधिकार को इस्तेमाल करके अपनी सरकार चुनते हैं। लोकतंत्र को कभी-कभी “बहुमत के शासन” के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया भर के कई देश लोकतांत्रिक सरकारे है लेकिन अपने विशेषताओं के कारण भारत को दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास

भारत पर मुगल से मौर्यों तक कई शासकों ने शासन किया। उनमें से प्रत्येक के पास लोगों को शासित करने की अपनी अलग शैली थी। 1947 में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। उस समय के भारत के लोग, जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों काफी अत्याचारों का सामना किया था, उन्हें आजादी के बाद पहली बार वोट करने और खुद की सरकार चुनने का अवसर प्राप्त हुआ।

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत

संप्रभु एक ऐसी इकाई को संदर्भित करता है जो किसी भी विदेशी शक्ति के नियंत्रण से मुक्त होता है। भारत के नागरिक अपने मंत्रियों का चुनाव करने के लिए सर्वभौमिक शक्ति का इस्तेमाल करते हैं।

समाजवादी का मतलब है भारत के सभी नागरिकों को जाति, रंग, पंथ, लिंग और धर्म को नज़रंदाज़ करके सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्म निरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि अपनी पसंद से किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता। हमारे देश में कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।

लोकतांत्रिक

लोकतांत्रिक का मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है। किसी भी भेदभाव के बिना सभी भारतीय नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया गया है ताकि वे अपनी पसंद की सरकार चुन सकें।

देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है। वह लोकसभा और राज्यसभा द्वारा चुना जाता है जहाँ के प्रतिनिधि खुद जनता द्वारा चुने गयें हैं।

भारत में लोकतंत्र की कार्यवाही

18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है। भारत का संविधान किसी से भी अपनी जाति, रंग, पंथ, लिंग, धर्म या शिक्षा के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।

भारत में कई पार्टियाँ राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ती है जिनमें प्रमुख है – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इनके अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो राज्य विधायिकाओं के लिए चुनाव लड़ती हैं। चुनावों को समय-समय पर आयोजित किया जाता है और लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए मतदान करने के अपने अधिकार का उपयोग करते हैं। सरकार लगातार अच्छे प्रशासन को चुनने के लिए अधिक से अधिक लोगों को वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

भारत में लोकतंत्र का मकसद केवल लोगों को वोट देने का अधिकार देने के लिए नहीं बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता सुनिश्चित करना भी है।

भारत में लोकतंत्र के कार्य में रुकावटें

हालांकि चुनाव सही समय पर हो रहें हैं और भारत में लोकतंत्र की अवधारणा का एक व्यवस्थित दृष्टिकोण से पालन किया जाता है लेकिन फ़िर भी देश में लोकतंत्र के सुचारु कामकाज में कई बाधाएं हैं। इसमें निरक्षरता, लिंग भेदभाव, गरीबी, सांस्कृतिक असमानता, राजनीतिक प्रभाव, जातिवाद और सांप्रदायिकता शामिल है। ये सभी कारक भारत में लोकतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

हालाँकि भारत लोकतंत्र की विश्व भर में सराहना की जाती है लेकिन अभी भी इसे सुधार का काफी लंबा सफर तय करना है। भारत में लोकतंत्र के कामकाज पर असर डालने वाली अशिक्षा, गरीबी, लैंगिग भेदभाव और सांप्रदायिकता जैसी कारकों को समाप्त करने की आवश्यकता है ताकि देश के नागरिक सही मायनों में लोकतंत्र का आनंद ले सकें।

निबंध 4 (600 शब्द)

1947 में ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होने के बाद भारत में लोकतंत्र का गठन किया गया था। इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभावी नेतृत्व के कारण ही भारत के लोगों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

इस समय भारत में सात राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं जो इस प्रकार हैं – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (एनसीपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई- एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इन के अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां राज्य विधानसभा चुनावों के लिए लड़ती हैं। भारत में संसद और राज्य विधानसभाओं का चुनाव हर 5 सालों में होता है।

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत इस प्रकार हैं:

संप्रभु का मतलब है स्वतंत्र – किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त। देश को चलने वाली सरकार नागरिकों द्वारा एक निर्वाचित सरकार है। भारतीय नागरिकों की संसद, स्थानीय निकायों और राज्य विधानमंडल के लिए किए गए चुनावों द्वारा अपने नेताओं का चुनाव करने की शक्ति है।

समाजवादी का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता। लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ है विकासवादी, लोकतांत्रिक और अहिंसक साधनों के माध्यम से समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करना। धन की एकाग्रता कम करने तथा आर्थिक असमानता को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

इसका अर्थ है कि धर्म का चयन करने का अधिकार और स्वतंत्रता। भारत में किसी को भी किसी भी धर्म का अभ्यास करने या उन सभी को अस्वीकार करने का अधिकार है। भारत सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और उनके पास कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। भारत का लोकतंत्र किसी भी धर्म को अपमान या बढ़ावा नहीं देता है।

इसका मतलब है कि देश की सरकार अपने नागरिकों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हुई है। देश के लोगों को सभी स्तरों (संघ, राज्य और स्थानीय) पर अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार है। लोगों के वयस्क मताधिकार को ‘एक आदमी एक वोट’ के रूप में जाना जाता है। मतदान का अधिकार किसी भी भेदभाव के बिना रंग, जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर दिया जाता है। न सिर्फ राजनीतिक बल्कि भारत के लोग सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र का भी आनंद लेते हैं।

राज्य का मुखिया आनुवंशिकता राजा या रानी नहीं बल्कि एक निर्वाचित व्यक्ति है। राज्य के औपचारिक प्रमुख अर्थात् भारत के राष्ट्रपति, पांच साल की अवधि के लिए चुनावी प्रक्रिया द्वारा (लोकसभा तथा राज्यसभा) द्वारा चुने जाते हैं जबकि कार्यकारी शक्तियां प्रधान मंत्री में निहित होती हैं।

भारतीय लोकतंत्र द्वारा सामना किए जाने वाले चुनौतियां

संविधान एक लोकतांत्रिक राज्य का वादा करता है और भारत के लोगों को सभी प्रकार के अधिकार के प्रदान करता हैं। कई कारक हैं जो भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित करने का कार्य करते हैं तथा इसके लिए एक चुनौती बन गए है। इन्ही में से कुछ निम्नलिखित कारको के विषय में नीचे चर्चा की गयी है।

लोगों की निरक्षरता सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जो कि भारतीय लोकतंत्र की शुरूआत के बाद से हमेशा सामने आती रही है। शिक्षा लोगों को बुद्धिमानी से वोट देने के अपने अधिकार का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

गरीब और पिछड़े वर्गों के लोगों से आम तौर पर हमेशा ही राजनीतिक दलों द्वारा छेड़छाड़ की जाती है। राजनीतिक दल उनसे अक्सर वोट प्राप्त करने के लिए रिश्वत तथा अन्य प्रकार के प्रलोभन देते हैं।

इनके अलावा, जातिवाद, लिंगभेद, सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद, राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार जैसे कई अन्य कारक हैं जो भारत में लोकतंत्र के लिए एक चुनौती बन गये है।

भारत के लोकतंत्र की दुनिया भर में काफी प्रशंसा की जाती है। देश के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार उनके जाति, रंग, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना दिया गया है। देश के विशाल सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विविधता लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही आज के समय में लोगों के बीच का यह मतभेद एक गंभीर चिंता का कारण बन गया है। भारत में लोकतंत्र के सुचारु कार्य को सुनिश्चित करने के लिए हमें इन विभाजनकारी प्रवृत्तियों को रोकने की आवश्यकता है।

Essay on Democracy in India in Hindi

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लोकतंत्र पर निबंध 10 lines (Democracy In India Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

Democracy In India Essay in Hindi – लोकतंत्र को सर्वोत्तम प्रकार की सरकार माना जाता है क्योंकि यह नागरिकों को सीधे अपने नेताओं को चुनने की अनुमति देता है। Democracy In India Essay उनके पास कई अधिकारों तक पहुंच है जो किसी के भी स्वतंत्र और शांतिपूर्वक रहने की क्षमता के लिए मौलिक हैं। दुनिया में कई लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन भारत अब तक सबसे बड़ा है। यहां ‘भारत में लोकतंत्र’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

भारतीय लोकतंत्र पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Indian Democracy Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) भारत में सरकार का लोकतांत्रिक स्वरूप है।
  • 2) लोकतंत्र में लोगों को उनके लिए सरकार चुनने की अनुमति है।
  • 3) भारत 1947 में अपनी आजादी के बाद से एक लोकतांत्रिक देश है।
  • 4) दुनिया के कई देशों में भारत सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में दर्ज है।
  • 5) लोकतंत्र के कारण भारत के लोगों को कई मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
  • 6) भारत के लोग लोकतंत्र के कारण स्वतंत्रता और समानता का आनंद लेते हैं।
  • 7) लोकतंत्र देश में शांति और प्रेम को प्रोत्साहित करता है।
  • 8) भारत में लोग चुनाव कराकर अपने प्रतिनिधियों का चयन करते हैं।
  • 9) भारत में लोकतंत्र देश के विकास में मदद कर रहा है।
  • 10) लोकतंत्र के कारण भारत में विविध लोग एकता के साथ रहते हैं।

लोकतंत्र पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Democracy in Hindi)

लोकतंत्र एक शब्द है जिसका उपयोग सरकार के उस स्वरूप का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसमें लोगों को वोट देकर अपनी बात कहने का अधिकार होता है। लोकतंत्र किसी भी समाज का एक अनिवार्य हिस्सा है, और भारत कोई अपवाद नहीं है। ब्रिटिश औपनिवेशिक नियंत्रण के तहत वर्षों की पीड़ा के बाद, भारत को 1947 में लोकतंत्र प्राप्त हुआ। भारत लोकतंत्र पर बहुत जोर देता है। भारत भी बिना किसी संदेह के दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

देश को आजादी मिलने के बाद से ही न्याय, स्वतंत्रता और समानता की भावना भारतीय लोकतंत्र में व्याप्त रही है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत इस बात का ज्वलंत उदाहरण रहा है कि लोकतंत्र कैसे प्रगति को बढ़ावा दे सकता है और अपने सभी नागरिकों के लिए अधिकार सुनिश्चित कर सकता है।

लोकतंत्र पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Democracy in Hindi)

लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली है जो नागरिकों को वोट देने और अपनी पसंद की सरकार चुनने की अनुमति देती है। 1947 में ब्रिटिश शासन से आज़ादी के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राज्य बन गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।

भारत में लोकतंत्र अपने नागरिकों को उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म और लिंग के बावजूद वोट देने का अधिकार देता है। इसके पांच लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं – संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र।

विभिन्न राजनीतिक दल समय-समय पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चुनावों में खड़े होते हैं। वे अपने पिछले कार्यकाल में किए गए कार्यों के बारे में प्रचार करते हैं और अपनी भविष्य की योजनाओं को भी लोगों के साथ साझा करते हैं। भारत के 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार है। अधिक से अधिक लोगों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. लोगों को चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों के बारे में सब कुछ जानना चाहिए और सुशासन के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार को वोट देना चाहिए।

भारत एक सफल लोकतांत्रिक व्यवस्था के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, कुछ खामियों पर काम करने की जरूरत है। अन्य बातों के अलावा, सरकार को सच्चे अर्थों में लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए गरीबी, अशिक्षा, सांप्रदायिकता, लिंग भेदभाव और जातिवाद को खत्म करने पर काम करना चाहिए।

लोकतंत्र पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Democracy in Hindi)

‘डेमोक्रेसी’ शब्द ग्रीक मूल का है जिसका अर्थ है वह सरकार जिसमें सत्ता लोगों के हाथों में होती है। लोकतांत्रिक सरकार वह सरकार है जिसे देश की जनता द्वारा चुना जाता है। लोकतंत्र हमें अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेने और सही और गलत पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार देता है।

ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद 1947 से भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है। भारत में सरकार का गठन देश की जनता द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, भारत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह देश में लोकतंत्र के कारण ही है कि विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग लंबे समय से शांति और सद्भाव से रह रहे हैं। लोकतांत्रिक देशों में रहने वाले लोगों के लिए मतदान बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में लोकतंत्र भारत के लोगों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय प्रदान करता है।

भारत में लोकतंत्र क्यों महत्वपूर्ण है?

लोकतांत्रिक राष्ट्र में लोकतंत्र प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करता है। लोग अपनी संस्कृति का पालन कर सकें और स्वतंत्रता के साथ रह सकें। भारत जैसे देश में लोकतंत्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। भारत धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता वाले लोगों की भूमि है। राष्ट्र में प्रत्येक व्यक्ति अपनी आस्था के अनुसार धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है।

लोकतंत्र प्रत्येक नागरिक में देश के अन्य लोगों के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ावा देता है। यह लोकतंत्र की ही ताकत है जो भारत के लोगों को वर्षों तक प्रेम, शांति और सद्भाव के सूत्र में बांधे रखती है। भारत और उसके नागरिकों की प्रगति और विकास के लिए लोकतंत्र भी महत्वपूर्ण है।

उन देशों के विपरीत जहां अन्य प्रकार की सरकारें मौजूद हैं, लोकतंत्र हमें देश में किसी भी गलत चीज के खिलाफ आवाज उठाने की अनुमति देता है। लोकतंत्र भारत की जनता के लिए सर्वोत्तम उपहार है। देश के लोगों को लोकतंत्र के महत्व को समझना चाहिए और अच्छे नागरिक के रूप में देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

लोकतंत्र पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Democracy in Hindi)

सबसे पहले, लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली को संदर्भित करता है जहां नागरिक मतदान द्वारा शक्ति का प्रयोग करते हैं। भारत में लोकतंत्र का विशेष स्थान है। इसके अलावा, भारत बिना किसी संदेह के दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। साथ ही, भारत का लोकतंत्र भारत के संविधान से लिया गया है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के हाथों पीड़ित होने के बाद, भारत अंततः 1947 में एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि स्वतंत्रता के बाद से भारतीय लोकतंत्र न्याय, स्वतंत्रता और समानता की भावना से ओत-प्रोत है।

भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं

संप्रभुता भारतीय लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। संप्रभुता का तात्पर्य बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने ऊपर शासी निकाय की पूर्ण शक्ति से है। इसके अलावा, भारतीय लोकतंत्र में लोग सत्ता का प्रयोग कर सकते हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत की जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। इसके अलावा, ये प्रतिनिधि आम लोगों के प्रति जिम्मेदार रहते हैं।

भारत में लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर काम करता है। इसके अलावा, इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि यहां धर्म, जाति, पंथ, नस्ल, संप्रदाय आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। इसलिए, प्रत्येक भारतीय नागरिक को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं।

बहुमत का शासन भारतीय लोकतंत्र की एक अनिवार्य विशेषता है। इसके अलावा, जो पार्टी सबसे अधिक सीटें जीतती है वह सरकार बनाती है और चलाती है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि बहुमत के समर्थन पर किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती।

भारतीय लोकतंत्र की एक अन्य विशेषता संघीय है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत राज्यों का एक संघ है। इसके अलावा, राज्य कुछ हद तक स्वायत्त हैं। इसके अलावा, राज्यों को कुछ मामलों में स्वतंत्रता प्राप्त है।

सामूहिक जिम्मेदारी भारतीय लोकतंत्र की एक उल्लेखनीय विशेषता है। भारत में मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से अपने संबंधित विधानमंडलों के प्रति उत्तरदायी है। इसलिए कोई भी मंत्री अपनी सरकार के किसी भी कृत्य के लिए अकेले जिम्मेदार नहीं है।

भारतीय लोकतंत्र जनमत निर्माण के सिद्धांत पर काम करता है। इसके अलावा, सरकार और उसकी संस्थाओं को जनता की राय के आधार पर काम करना चाहिए। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत में विभिन्न मामलों पर जनता की राय बननी चाहिए। इसके अलावा, भारत का विधानमंडल जनता की राय व्यक्त करने के लिए एक उचित मंच प्रदान करता है।

भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने के उपाय

सबसे पहले, लोगों को मीडिया पर अंध विश्वास रखना बंद करना होगा। कई बार मीडिया द्वारा बताई गई खबरें संदर्भ से बाहर और बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि कुछ मीडिया आउटलेट किसी विशेष राजनीतिक दल का प्रचार कर सकते हैं। इसलिए, लोगों को मीडिया समाचार स्वीकार करते समय सावधान और सतर्क रहना चाहिए।

भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने का एक और महत्वपूर्ण तरीका चुनाव में उपभोक्ता मानसिकता को खारिज करना है। कई भारतीय राष्ट्रीय चुनावों को किसी उत्पाद को खरीदने वाले उपभोक्ताओं की तरह देखते हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि चुनावों से भारतीयों को अलगाववादियों के बजाय प्रतिभागियों की तरह महसूस होना चाहिए।

भारत में लोगों को अपनी आवाज़ सुननी चाहिए। इसके अलावा, लोगों को अपने निर्वाचित अधिकारी के साथ केवल चुनावों के दौरान ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष संवाद करने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए, नागरिकों को अपने निर्वाचित अधिकारी के साथ संवाद करने के लिए लिखना, कॉल करना, ईमेल करना या सामुदायिक मंचों पर उपस्थित होना चाहिए। इससे निश्चित ही भारतीय लोकतंत्र मजबूत होगा।

भारी मतदान प्रतिशत वास्तव में भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने का एक प्रभावी तरीका है। लोगों को झिझक से बचना चाहिए और वोट देने के लिए निकलना चाहिए। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारी मतदान भारतीय राजनीति में आम लोगों की पर्याप्त भागीदारी का प्रतीक होगा।

निष्कर्षतः , भारत में लोकतंत्र बहुत कीमती है। इसके अलावा, यह भारत के नागरिकों को देशभक्त राष्ट्रीय नेताओं का एक उपहार है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इस देश के नागरिकों को लोकतंत्र के महान मूल्य को समझना चाहिए और उसकी सराहना करनी चाहिए। भारत का लोकतंत्र निश्चित ही विश्व में अद्वितीय है।

लोकतंत्र पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)

Q.1 लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ क्या है.

उत्तर. लोकतंत्र उस व्यवस्था को संदर्भित करता है जिसमें किसी देश में सरकार का गठन चुनाव के बाद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लोगों के निर्णय से होता है।

Q.2 भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र क्यों है?

उत्तर. भारत क्षेत्रफल में सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या में दूसरा सबसे बड़ा देश है, साथ ही विकसित राजनीति के कारण इसे दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का सम्मान प्राप्त है।

Q.3 लोकतंत्र लोगों के लिए किस प्रकार लाभदायक है?

उत्तर. लोकतंत्र किसी देश के सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता प्रदान करता है, और लोगों को यह बताने की शक्ति प्रदान करता है कि उन पर कैसे और कौन शासन करेगा।

Q.4 सबसे पुराना लोकतंत्र कौन सा है?

उत्तर. आइल ऑफ मैन पर स्थित टाइनवाल्ड को सबसे पुराना लोकतंत्र माना जाता है जिसकी उत्पत्ति 9वीं शताब्दी में हुई थी।

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भारत में लोकतंत्र पर निबंध | Essay on democracy in India

भारत में लोकतंत्र पर निबंध, भारतीय लोकतंत्र में बाहुबल ,  धनबल.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारत के लोकतांत्रिक प्रक्रिया व व्यवस्था में सुधार व्यापक देखा गया। धनबल , बाहुबल को काफी हद तक हाशिया मिला। पर बुद्धिबल , जो सबमें श्रेष्ठ व ताकतवर गिना जाता है , उस पर नियंत्रण बिना राष्ट्रीय चरित्र बने सम्भव नहीं। क्योंकि अन्ततोगत्वा बुद्धिबल ही राज करता है। वहां शुद्धि के बिना लोकतंत्र की शुद्धि की कल्पना अधूरी है। भारतीय लोकतंत्र में बाहुबल , धनबल एवं बुद्धिबल का वर्चस्व रहा है। बाहुबल का जब भी प्रयोग हुआ या होता है तो नतीजा महाभारत होता रहा है। धनबल का जब भी प्रयोग हुआ तो नतीजा शोषण , गुलामी के रूप में हुआ। कोई ईस्ट इण्डिया कम्पनी आ जाती है या बन जाती है। बुद्धिबल का सदुपयोग ही उत्कर्ष लाता है और उसका दुरुपयोग अपकर्ष का कारण बनता है , बाहुबल व धनबल को जन्म देता है।

भारतीय लोकतंत्र की विडम्बना

लेकिन भारतीय लोकतंत्र की विडम्बना है कि यहां लोकतंत्र में सिर गिने जाते हैं , मस्तिष्क नहीं। इसका खामियाजा हमारा लोकतंत्र भुगतता है , भुगतता रहा है। ज्यादा सिर आ रहे हैं , मस्तिष्क नहीं। जाति , धर्म और वर्ग के मुखौटे ज्यादा हैं , मनुष्यता के चेहरे कम। बुद्धि का छलपूर्ण उपयोग कर समीकरण का चक्रव्यूह बना देते हैं , जिससे निकलना अभिमन्यु (मतदाता) ने सीखा नहीं।

यह हिंसा , यह बूथ लूटना , यह अधिकारियों को पीटना , गलत मत डालना , स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि शिक्षा का अभाव और गरीबी का नहीं मिटना इसके कारण हैं। बिना इनके मिटे सुधार का पुख्ता आधार नहीं बनेगा। मतदाता सौ प्रतिशत शिक्षित हों , गरीबी की रेखा से नीचे कोई नहीं रहे , अधिकतम मतदान हो , तभी लोगों को लोकतंत्र का अर्थ और मूल्य समझ में आएगा। तभी ये जाति , धर्म और वर्गों के समीकरण टूटेंगे। तभी लोकतंत्र को सिर नहीं , मस्तिष्क मिलेंगे।

लोकतंत्र सुशासन ,  जवाबदेही ,  नियंत्रण की सबसे बेहतर प्रणाली है

लोकतंत्र सुशासन , जवाबदेही , नियंत्रण और संतुलन की सबसे बेहतर प्रणाली है। लेकिन हमारे देश में लोकतंत्र में विषमताएं एवं विसंगतियों का बाहुल्य रहा है , लोकतंत्र के नाम पर छलावा हमारे साथ होता रहा है। इसके जिम्मेदार जितने राजनीति दल है उतने ही हम भी है। यह एक त्रासदी ही है कि हम वोट महोत्सव को कमतर आंकते रहे हैं। जबकि आज यह बताने और जताने की जरूरत है कि इस भारत के मालिक आप और हम सभी हैं और हम जागे हुए हैं। हम सो नहीं रहे हैं। हम धोखा नहीं खा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने की अपील करते हुए यह सही कहा कि अधिक से अधिक मतदान का मतलब एक मजबूत लोकतंत्र है और मजबूत लोकतंत्र से ही विकसित भारत बनेगा।

अधिकतम मतदान का लक्ष्य 

मतदान न करने वालों के लिये मामूली जुर्माना निश्चित होना चाहिए.

जिस दिन भारत के 90 प्रतिशत से अधिक नागरिक वोट डालने लगेंगे , राजनीतिक जागरूकता इतनी बढ़ जाएगी कि राजनीति को सेवा की बजाय सुखों की सेज मानने वाले किसी तरह का दुस्साहस नहीं कर पायेंगे। राजनीति को सेवा या मिशन के रूप में लेने वाले ही जन-स्वीकार्य होंगे। अधिकतम मतदान का संकल्प लोकतंत्र को एक नई करवट देगा। ” अभी नहीं तो कभी नहीं। “ सत्ता पर काबिज होने के लिये सबके हाथों में खुजली चलती रही है। उन्हें केवल चुनाव में जीत की चिन्ता रहती है , अगली पीढ़ी की नहीं। अब तक मतदाताओं के पवित्र मत को पाने के लिए पवित्र प्रयास की सीमा का उल्लंघन होता रहा है।

जनतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पहलू चुनाव है

अधिकतम वोटिंग न होने देना एक तरह की त्रासदी है , यह बुरे लोगों की चीत्कार नहीं है , भले लोगों की चुप्पी है जिसका नतीजा राष्ट्र भुगत रहा है/भुगतता रहेगा , जब तब राष्ट्र का हर नागरिक मुखर नहीं होगा। इसलिये अधिकतम वोटिंग को प्रोत्साहन करना नितांत अपेक्षित है। इसके लिये परम आवश्यक है कि सर्वप्रथम राष्ट्रीय वातावरण अनुकूल बने। देश ने साम्प्रदायिकता , आतंकवाद तथा घोटालों के जंगल में एक लम्बा सफर तय किया है। उसकी मानसिकता घायल है तथा जिस विश्वास के धरातल पर उसकी सोच ठहरी हुई थी , वह भी हिली है। पुराने चेहरों पर उसका विश्वास नहीं रहा। जनतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पहलू चुनाव है। यह राष्ट्रीय चरित्र का प्रतिबिम्ब होता है।

लोकतंत्र आम आदमी को बोलने की ताकत देता है

जनतंत्र में स्वस्थ मूल्यों को बनाए रखने के लिए चुनाव की स्वस्थता अनिवार्य है। इसमें देश के हर नागरिक को अपने मत की आहूति देकर लोकतंत्र में अपनी सक्रिय सहभागिता निभानी ही चाहिए। शासन व्यवस्था की सबसे श्रेष्ठ प्रणाली लोकतंत्र ही है। तभी उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि लोकतंत्र आम आदमी को बोलने की ताकत देता है और यह सुनिश्चित करता है कि कानून की नजर में सभी बराबर हैं। लोकतंत्र का यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस दुनिया में लोकतंत्र की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर देता है।

उपसंहार

लोकतंत्र एक लक्ष्य के रूप में एक प्रक्रिया है , और केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय , राष्ट्रीय शासी निकाय , नागरिक समाज और व्यक्तियों की ओर से पूरी भागीदारी और समर्थन के साथ , लोकतंत्र के आदर्श को हर किसी के लिए आसान हर जगह आनन्दमयी जीवन बनाया जा सके। लोकतंत्र का आधुनिक स्वरूप आज अधिकतम मतदान एवं चुनाव प्रक्रिया और उसके लोकतांत्रिक प्रावधानों के आधार पर निर्धारित होता है। ( ललित गर्ग)

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भारत में लोकतंत्र पर निबंध – Essay on Democracy in Hindi

Essay on Democracy in Hindi

लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है – लोक + तंत्र। लोक का अर्थ है जनता और लोग अर्थात तंत्र का अर्थ शासन, अर्थात लोकतंत्र का अर्थ है जनता का शासन। लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसमें जनता को अपना शासन चुनने का अधिकार होता है, और जनता अपनी मर्जी से अपना मनपसंद शासक चुनती है।

आपको बता दें कि 15 अगस्त साल 1947 जब भारत को ब्रिटिश शासकों के चंगुल से आजादी मिली तो भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। आजाद भारत में लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपने नेताओं को चुनने हक दिया गया। और आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

भारत में जनता का, जनता के द्धारा और जनता के लिए शासन की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था है। भारत में हर पांच साल में केन्द्रीय और राज्य सरकार के चुनाव करवाए जाते हैं, वहीं भारत के लोकतंत्र के महत्व को बताने के लिए और विद्यार्थियों के लेखन कौशल को निखारने के लिए स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में अलग-अलग शब्द सीमा के अंदर भारत में लोकतंत्र पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसे छात्र अपनी जरुरत के अनुसार चुन सकते हैं।

Essay on Democracy in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध नंबर- 1 – Loktantra Par Nibandh

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां जनता को अपने मनपंसद प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपने देश के हित के लिए और देश के विकास के लिए देश की बागडोर एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में सौंपती है, जो इसके लायक होता है और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदत करता है।

वहीं भारत का लोकतंत्र पांच मुख्य सिंद्धातों पर काम करता है जैसे संप्रभु यानि कि भारत में किसी भी तरह की विदशी शक्ति की दखलअंदाजी नहीं है, यह पूरी तरह आजाद है।  समाजवादी, जिसका वोटलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्मनिरपेक्षता, जिसका वोटलब है किसी भी धर्म को अपनाने या फिर अपनाने से इंकार करने की आजादी। लोकतांत्रिक, जिसका अर्थ है देश के नागरिकों द्धारा भारत की सरकार चुनी जाती है। गणराज्य जिसका अर्थ है देश का प्रमुख कोई एक वंशानुगात राजा या रानी नहीं होती है।

देश में कई तरह की राजनीतिक पार्टियां है, जो हर पांच साल में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ने के लिए खड़ी होती हैं। लेकिन सिर्फ उसी राजनीतिक पार्टी का शासन होता है, जिसे जनता का सार्वधिक वोट मिलता है।

आपको बता दें भारतीय संविधान के मुताबिक 18 साल से अधिक आयु के हर भारतीय नागरिक को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का हक है। वह अपना शासक चुनने के लिए अपने कीमती वोट का इस्तेमाल करता है। वहीं ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने वोट का इस्तेमाल करने के लिए भी सरकार लगातार जागरूक कर रही है।

लोकतंत्र का अर्थ – Meaning of Democracy in Hindi

लोकतंत्र,एक ऐसी शासन व्यवस्था है, जिसके तहत जनता को अपनी मर्जी से अपना शासक चुनने का अधिकार प्राप्त होता है। इसके तहत देश हर व्यस्क नागरिक अपने वोट का इस्तेमाल कर एक ऐसा शासक चुनता है, जो देश के और जनता के विकास में उसकी मदत करे और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की कोशिश करे , इसके साथ ही देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे।

आपको बता दें कि आजादी से पहले हमारे देश की जनता पर क्रूर ब्रिटिश शासकों ने शासन किया था, जिससे भारतीयों का काफी शोषण हुआ था, लेकिन जब 15 अगस्त, 1947 को अपना भारत देश ब्रिटिश शासकों के चंगुल से आजाद हुआ तो इसे एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाया गया।

जिसके तहत भारत के हर एक नागरिक को अपनी मर्जी से अपने शासक को चुनने का अधिकार दिया गया, वहीं लोकतंत्र के तहत जाति, धर्म, लिंग, रंग और संप्रदाय आदि को लेकर फैली असमानता की भाव को दूर कर अपने वोट का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई गई।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास – Indian Democracy History

पुराने समय में भारत में कई मुगल और मौर्य शासकों ने शासन किया था, पहले वंशानुगत शासन चलता था, जिसमें अगर कोई व्यक्ति किसी  देश या राज्य की सल्तनत हासिल कर लेता था तो वर्षों तक उसी के वंश की कई पीढि़यां राज करती थी और सभी के पास शासन करने की अपनी एक अलग शैली होती थी और सब अपने-अपने अनुसार नियम-कानून और कायदे बनाते थे।

वहीं साल 1947 में जब देश आजाद हुआ और भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बना तो वंशानुगत व्यवस्था हमेशा के लिए खत्म की गई, और लोगों को अपने वोट का इस्तेमाल कर अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया गया। वहीं आज भारत देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

आपको बता दें कि जब भारत में मुगल और अंग्रेज शासकों द्धारा शासन किया जाता था, तो उस समय भारत की जनता को उनके द्वारा किए गए अत्याचारों को झेलना पड़ता था, और उनकी गुलामी करनी पड़ती थी, लेकिन जब भारत एक लोकतांत्रिक राज्य बना तो भारत के नागरिकों को  अपनी पसंद का शासक चुनने का अधिकार मिला और अपने वोट का इस्तेमाल करने की शक्ति प्राप्त  हुई।

वहीं अब भारत दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है। आपको बता दें कि आजादी के बाद जब 26 जनवरी, 1950 में हमारे भारत में संविधान लागू किया गया तो भारत को एक लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया।

हमारे देश की लोकतंत्रात्मक प्रणाली देश में समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के सिद्धांतों में यकीन करती है। लोकतंत्रात्मक व्यवस्था के तहत किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग के लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपने प्रतिनिधि को चुनने का अधिकार दिया गया है।

आपको बता दें कि भारत में सरकार का संसदीय स्परुप अंग्रजों की व्यवस्था पर आधारित है।

भारत में सरकार का एक संघीय रुप है जिसका अर्थ है केन्द्र औऱ राज्य सरकार। जिसमें केन्द्र सरकार वह होती है, जो संसद के लिए जिम्मेदार होती है, अर्थात केन्द्र सरकार ही देश के लिए नियम और कानून बनाती है।

इसके अलावा विदेश नीति भी बनाती  है और अपने देश के हित के लिए दूसरे देश के साथ समझौता करती है, जिससे देश की तरक्की हो सके।

केन्द्र सरकार के लिए हमारे देश में लोकसभा का चुनाव करवाया जाता है। केन्द्र सरकार भारतीय संविधान द्धारा दी गई सभी शक्तियों का अच्छी तरह से इस्तेमाल करती है और भारत के विकास और रक्षा के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी होती है। आपको बता दें कि हर 5 साल में संसद का चुनाव आयोजित करवाया जाता है।

वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकारें अपनी राज्य से संबंधित विधानसभाओं के लिए जिम्मेदार होती हैं। हमारे भारत देश में प्रत्येक राज्य को राज्य सरकार द्धारा शासित किया जाता है, आपको बता दें कि हमारे देश में कुल 29 राज्य सरकारें हैं, जिनमें से हर राज्य का नेतृत्व राज्यपाल या फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्धारा किया जाता है।

देश के हर प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद काफी अहम होता है, क्योंकि वह प्रदेश की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता समेत अन्य मामलों से जुड़े सभी अहम फैसलों को लेता है, इसके साथ  ही मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का भी प्रमुख है। 

वहीं केन्द्र और राज्य की सरकारें लोकतांत्रिक रुप से यानि की जनता के द्धारा चुनी जाती हैं और भारतीय संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्य सभा के नियमों का पालन करती हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर देश के राष्ट्रपति का चुनाव करती हैं, राष्ट्रपति का राज्यों का प्रमुख भी माना गया है।

लोकतांत्रिक देश भारत में चुनाव एक अहम प्रणाली –

सार्वभौम, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत में चुनाव एक अति महत्वपूर्ण और बेहद अहम प्रणाली है। सरकार बनाने के लिए, और प्रतिनिधि को चयन करने के लिए चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रणाली है।

लोकसभा के चुनाव हो या विधानसभा के चुनाव, इसमें देश के सभी नागरिक एक समान भाव से एक जुट होकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं और अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं, देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के हर नागरिक को अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है।

देश के नागरिकों को समय-समय पर अपने वोट देने के लिए जागरूक भी किया जाता है। आपको बता दें कि हमारे देश में हर 5 साल में चुनाव होते हैं, जिसमें देश के नागरिक अपने वोट का इस्तेमाल कर देश के विकास और प्रगति के लिए अपना प्रतिनिधि चुनते हैं।

भारत एक ऐसा लोकतंत्रात्मक देश हैं, जिसमें 29 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं, जिसमें हर 5 साल के अंतराल में चुनाव का आयोजन किया जाता है। वहीं इन चुनावों में राजनैतिक दल, केन्द्र और राज्य में जनता के ज्यादा वोट प्राप्त कर अपनी सरकार का निर्माण करते हैं।

आपको बता दें कि चुनाव के दौरान राजनैतिक दल जनता से विकास के तमाम वादे कर जनता से उनकी पार्टी को वोट देने के लिए भी उत्साहित करती  हैं, ऐसे में जनता के सामने सही और योग्य उम्मीदवार का चयन करना एक चुनौती भी होती है।

आपको बता दें भारत में कई राजनैतिक पार्टियां हैं जिनमें से बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- ( सीपीआईएम ), माकपा आदि प्रमुख पार्टी हैं। वहीं जनता किसी भी राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों का चयन, पार्टी के प्रतिनिधियों के द्धारा करवाए गए विकास कामों के आधार पर करती है।

भारत के 5 लोकतांत्रिक सिद्धांत

भारत एक ऐसा लोकतंत्रात्मक देश है जो मुख्य रुप से 5 लोकतांत्रिक सिद्धान्तों पर काम करता है – जैसे कि संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरेपक्षता और लोकतांत्रिक। जिनसे बारे में हम आपको नीचे संक्षिप्त में बता रहे हैं –

लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत संप्रभु के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ  है, हमारा भारत किसी भी विदेशी शक्ति, उसके नियम-कानून और उसके नियंत्रण के हस्तक्षेप से मुक्त है।

समाजवादी भी भारत का एक लोकतांत्रिक सिद्धान्त हैं, जिसका वोटलब है कि हमारा देश के हर नागरिक को जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग , रंग और पंथ  को अनदेखा कर आर्थिक समानता और सामाजिकता प्रदान करना।

  • धर्म निरपेक्षता –

भारत एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है, जिसका वोटलब है, भारत के सभी नागरिक को अपनी मर्जी और पसंद के अनुसार किसी भी धर्म को अपनाने और उसके पालन करने की स्वतंत्रता प्राप्त है, क्योंकि हमारे देश भारत में कोई भी आधिकारिक धर्म नहीं है।

  • लोकतांत्रिक –

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका अर्थ है कि भारत की सरकार का चयन, भारत के नागिरकों द्धारा किया जाता है, किसी भी जातिगत भेदभाव और आर्थिक असमानता के बिना सभी नागिरकों को समान भाव से वोट देने का अधिकार दिया गया है, ताकि वे अपनी पसंद की सरकार चुन सके जिससे देश के विकास को बल मिल सके और देश आर्थिक रुप से मजबूत बन सके।

गणतंत्र –

जब से हमारे देश का संविधान लागू हुआ है ,तब से भारत एक धर्मनिरेपक्ष और लोकतंत्र गणराज्य घोषित किया है, अर्थात हमारे देश का मुखिया कोई वंशानुगत राजा या रानी नहीं है बल्कि इसे लोकसभा और राज्यसभा द्धारा चुना जाता है, जिसका फैसला जनता-जर्नादन के हाथ में होता है।

सबसे बड़े लोकतंत्र में सुधार की जरूरत

हमारा देश भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसमें सुधार की बेहद जरूरत है, इसमें सुधार के लिए समय-समय पर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। वहीं हम आपको नीचे लोकतंत्र में सुधार के कुछ उपायों के बारे में बता रहे हैं –

  • ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा देकर।
  • देश से गरीबी की समस्या को जड़ से खत्म कर।
  • ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिक्षित कर और साक्षरता दर को बढ़ाकर।
  • जनता को सही और योग्य उम्मीदवार चुनने के लिए शिक्षित कर।
  • लोकसभा और विधानसभा में सभ्य और जिम्मेदार विपक्ष का निर्माण कर।
  • शिक्षित, सभ्य और योग्य लोगों तो प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रोत्साहित कर।
  • जातिगत भेदभाव को दूर कर।
  • निर्वाचित सदस्यों द्धारा करवाए गए विकास कामों और कामकाज की निगरानी कर।
  • सांप्रदायिकता का उन्मूलन।

भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को पूरे देश में सराहा जाता है, हालांकि भारत के लोकतंत्र में अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी जैसे तमाम कारकों को जड़ से खत्म करने की जरूरत है ताकि देश के लोकतंत्र को और अधिक मजबूती मिल सके और देश के विकास को बल मिल सके। 

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