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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: March 07, 2024 12:55 pm IST

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होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखना सीख सकते हैं।

होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है?

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in 500 words)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

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होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) - भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व भारतीय संस्कृति में बुराई को जलाकर भस्म कर देने का उत्सव है। यह भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा है। होली पर निबंध (Holi per nibandh) से इस पर्व से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

होली पर निबंध (holi par nibandh): होलिका दहन का मुहूर्त

होली निबंध (essay holi in hindi) - होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें, होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली में रंगों का क्या महत्व है, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - उपसंहार (conclusion), होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines), देश में होली के लिए प्रसिद्ध शहर (famous cities for holi in the country).

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) -  Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

रंगों का त्योहार होली हमारे देश भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जैसै-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, लोगों में खासकर बच्चों में इसको लेकर काफी उत्साह नजर आता है। सब अपने लिए होली खेलने की योजनाएं तैयार करने में जुट जाते हैं। होली पर हिंदी निबंध (Essay on holi in hindi) में होली के त्योहार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि इस लेख में होली पर निबंध (holi par nibandh) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम तथा भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और छोटे अपने बड़ों से शुभाशीष प्राप्त करते हैं। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में हर धर्म-संप्रदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम तथा सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। होली के लोकगीत एक माह पहले से ही सुनाई पड़ने लगते हैं।

होली पर निबंध (holi par nibandh) विषय पर केंद्रित होली पर लेख में हमने रंगों के त्योहार होली (Festival of colours) के सार को समेटने का प्रयास किया है। पाठक इस होली पर निबंध हिंदी (Essay on holi in hindi) में से जानकारी जुटाकर न केवल भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के बारे में अपनी जानकारी को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अक्सर परीक्षा में पूछे जाने वाले निबंध के प्रश्न की तैयारी भी कर पाएंगे तथा होली पर हिंदी में निबंध (Essay on holi in hindi) सीख कर परीक्षा में भी उसका लाभ उठा सकेंगे।

होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली की शुभकामनाएं (Holi Greetings in Hindi)

होली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को होली शुभकामना संदेश भेजते हैं। नीचे कुछ होली के शुभकामना संदेश दिए गए हैं-

  • हर कदम पर खुशियां मिलें, दुख से कभी न हो सामना; जीवन में सारी खुशियां मिलें, होली की है यही शुभकामना!
  • खुशियों से भरी रहे सदा आपकी झोली, रंग-बिरंगी और मंगल हो आपकी होली।
  • जीवन में हो हर्ष के सभी रंगों की भरमार, सबसे हैप्पी होलो हो तुम्हारी मेरे यार।
  • होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
  • होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
  • रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
  • रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!

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छात्र इस लेख के माध्यम से होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) भी जान सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है तथा उस दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 7 मिनट तक है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का अपना महत्व है। कहा जाता है कि होलिका दहन से आस-पास नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो होली पहले ही मौसम अनुकूल हो जाने के चलते बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार घातक सूक्ष्मजीवों की बाढ़ आ जाती है, होलिका की आग से कफी हद तक इनका विनाश भी हो जाता है।

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होली की प्रचलित कहानियां (Famous stories related to Holi in hindi)

होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व विख्यात है। यह त्योहार जीवन के उत्साह, उल्लास तथा उमंग को दर्शाता है। होली के पर्व को सतयुग में विष्णु भक्ति के प्रतिफल के रूप में भी मनाया जाता है।

होली की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है। इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।

होली पर हिंदी निबंध (Holi Essay in Hindi) - प्रस्तावना

विद्यार्थियों को परीक्षा में होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words in hindi) या होली पर लेख (holi par lekh) या होली पर निबंध 300 शब्दों में (Holi Essay in Hindi 300 words) या हिंदी में होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध ( holi par nibandh) की शुरुआत इस त्योहार के बारे में बताकर कर सकते हैं। होली, जिसे "रंगो का त्योहार" के नाम से भी दुनिया भर में जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है।

आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2024 में होली कब मनाई जाएगी? साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।

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होली के त्योहार के लिए लोग अपने-अपने ढंग से तैयारी में जुट जाते हैं। फागुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है, फाग लोकगीतों के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। पहले तो लोगों को फाग सुनकर ही ही पता लगता था कि होली आने वाली है। ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम के साथ लोग अपने रसीले फाग गायन कौशल से दिल जीत लेते हैं। फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस अवसर पर किया जाता है। होली से पहले पहले और होली के दिन दोपहर तक फगुआ गाया जाता है। इसमें होली से जुड़े लोकभाषा के गीत होते हैं। होली के दिन रात में चैता गाने की भी परंपरा है।

होली के त्योहार को लेकर विशेषकर बच्चों में काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जमा करने लगते हैं। गाँवों में तो हालांकि लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर आदि की तलाश करते हैं और अमूमन वे दूसरों से माँगकर होलिका की व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। आजकल शहरों में आमतौर पर किसी चौक-चौराहे पर दो-चार दिन पहले से ही लोग पेड़ की सूखी टहनियां, लकड़ी, बांस आदि जमा करने लगते हैं। पहाड़ जैसे इस ढेर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करते हैं। लोगों के घरों में पकवान बनता है। होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए महिलाएं मिठाइयां, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है।

फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएं होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।इस दिन तो ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही "बुरा न मानो, होली है" का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए।

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होली रंगों का त्योहार है। होली की पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं। बड़े शहरों की बड़ी सोसायटियों में होली के अवसर पर खास आयोजन होने लगे हैं। इस सामूहिक आयोजन में लोग रेन डांस में रंगों से सरोबार होकर नाचते-झूमते हैं। शहरों के बाहर बने वाटर पार्क में भी होली को लेकर कई तरह के आयोजन होने लगे हैं।

होली अब विश्व प्रसिद्ध

राग-रंग के इस लोकप्रिय त्योहार होली को वसंत का संदेशवाहक भी कहा जाता है। होली अब भारत के साथ विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन होली मनाते हैंं। इसे धुलेंडी व धुरड्डी व कई अन्य नाम से भी मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और एकता का संदेश देते हैं। कई प्रदेशों में रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिला कर खुशियां बांटते हैं।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ समाज के शरारती तत्व होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।

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होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली क्यों मनाते हैं - होली का इतिहास

होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन-रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था। ऐसे में जब किसी भी तरह से प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में उसे सफलता हाथ नहीं लगी, तो उसने प्रह्लाद को जान से मारने का आदेश दिया। हाथी के पैरों तले कुचलने और पहाड़ से फेंककर भी जब प्रहलाद को नहीं मार सका, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी। इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। इस होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलकर भस्म हो गई। मान्यता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली का त्योहार मनाया जा रहा है।

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होली का त्योहार आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ घुल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। छोटे-छोटे बच्चे अपनी इच्छानुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिल-जुलकर, प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है। इसलिए रंगों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए और पानी या रंग भरे बैलून चलाने से बचना चाहिए। होली का त्योहार हमें हमेशा सन्मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।

ये भी देखें :

1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।

2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।

4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।

6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।

8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।

9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।

10) होली (holi essay in hindi) हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।

उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। हैप्पी होली!

हमें उम्मीद है कि आपको होली पर निबंध (holi par nibandh) लिखने में इस लेख से मदद मिलेगी। परीक्षा में हिंदी में होली निबंध (holi essay in hindi) या holi par nibandh in hindi भी पूछा जाता है। इस लेख की सहायता से आप होली पर निबंध ( holi per nibandh) लिख सकते हैं।

देश में कुछ शहरों में होली के आयोजन बहुत प्रसिद्ध हैं और उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यूपी के बरसाना और नंदगांव में हर साल लट्‌ठमार होली का आयोजन होता है। इस दौरान देश-दुनिया के पर्यटक इस त्योहार को देखने और उसमें हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस त्योहार का आयोजन लगभग एक सप्ताह चलता है और रंगपंचमी के दिन संपन्न होता है। बरसाना की लट्‌ठमार होली सामान्यत: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के ग्वाल बाल बरसाना में होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन पक्ष शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाल बाल नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं।

इसी तरह मध्यप्रदेश के इंदौर में भी होली या धुलेंडी के पांच दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रंगपंचमी होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और यह परंपरा अब तक बरकरार है। इस दौरान इंदौर में छुट्‌टी घोषित रहती है और शहर के अलग-अलग दिशाओं से लोग रंगों में सरोबार होकर गेर यात्रा के साथ इंदौर के हृदयस्थल राजबाड़ा पहुंचते हैं। इस दौरान साथ चल रहे टैंकर के पानी में रंग घुला रहता है और उससे लोगों पर बौछार की जाती है। इस फाग यात्रा को गेर कहा जाता है। रंगारंग गेर चारों दिशाओं से आकर राजबाड़ा में इकट्‌ठा होती है और लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। स्थानीय नगर निगम और जिला प्रशासन पूरा मुस्तैद रहता है।

महत्वपूर्ण प्रश्न :

होली का त्योहार (holi ka tyohar) वर्ष 2024 में कब है?

अक्सर लोग यह पूछते हैं कि कब है होली? (Kab Hai Holi 2024)। तो इसका जवाब है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समापन होगा। 24 मार्च को होलिका दहन होगा। वर्ष 2024 में होली का त्योहार (holi ka tyohar) 25 मार्च को मनाया जाएगा।

क्या होली के दिन चंद्रग्रहण लगेगा?

इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार होली के दिन साल का पहला चंद्रग्रहण लगने वाला है। यह चंद्रग्रहण 25 मार्च को सुबह 10 बजकर 24 मिनट से दोपहर 3 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। लेकिन यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यह चंद्रग्रहण उत्तर पूर्व एशिया, यूरोप, अमेरिका, जापान, रूस, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, इटली आदि में दिखाई देगा।

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) कब है?

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) जानें- फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 7 मिनट तक है।

  • बिहार बोर्ड 10वीं रिजल्ट
  • बिहार बोर्ड 12वीं रिजल्ट

Frequently Asked Question (FAQs)

यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।

होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

बच्चों के लिए यह रंग, गुलाल, पिचकारी, पानी वाले गुब्बारों और ढेर सारी मस्ती का पर्याय है। वे सुबह से शुरू हो जाते हैं और दिन-भर लोगों को रंगने और भिगोने में व्यस्त रहते हैं। युवा अपनी टोलियों के साथ रंग की मस्ती में सरोबार रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों का त्योहार बच्चों और युवाओं के लिए होली के सामान दिलाने और बाद में उनका शिकार बनने से बचने में बीतता है। अपने हमउम्र लोगों के साथ वे भी मस्ती करते हैं। महिलाएं रसोईघर की भारी-भरकम जिम्मेदारियों के बीच भी समय निकालकर जोश-खरोश के साथ होली मनाती हैं, मनाएं भी क्यों न, रंगों से उनको सबसे अधिक प्यार जो होता है।

होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। कुछ जगह इसे धुलेड़ी या धुलेंडी, धुरखेल, धुरड्डी, धूलिवंदन और चैत बदी भी कहा जाता है।

होली आपसी प्रेम और भाई-चारे का संदेश देने वाला मस्ती भरा त्योहार है। रंग में भंग न हो इसके लिए होली पर कुछ सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं-

  • होलिका में किसी भी ऐसी वस्तु को जलाने से बचें जिससे वायु प्रदूषण हो। प्लास्टिक और रबर की चीजों का पुनर्चक्रीकरण किया जा सकता है, इनको जलाकर प्रदूषण न फैलाएं।
  • रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है।
  • आंख, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर रंग-गुलाल लगाने से बचें।
  • पानी के गुब्बारों से किसी को न मारें, विशेषकर ऊंचे भवनों से नीचे जा रहे लोगों पर गुब्बारे न फेंके।
  • जबरदस्ती किसी के साथ होली न खेलें। 
  • मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें। होली हैप्पी बनी रहे इसे ध्यान में रखकर काम करें।

साल 2023 में होली 8 मार्च को मनाई गई।

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होली पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - होली 2021 में कब है - होली त्योहार के पीछे की प्रसिद्ध कहानी - होली त्यौहार कैसे मनाया जाता है - होली के दिन - लोगों को संदेश - उपसंहार।

भारत त्योहारों का अनोखा देश है। यहाँ अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। उन सभी लोगों के अपने-अपने त्योहार हैं। होली हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह फाल्गुन महीने में भारत के अनेक राज्यों में बड़े आनंद के साथ मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि होली का त्योहार वसंत-ऋतु का स्वागत करता है। यह सभी के लिए हर्ष और उमंग का त्योहार है।

होली का पर्व फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, होली का यह त्यौहार 29 मार्च सोमवार के दिन अनेक राज्यों में बड़े आनंद के साथ मनाया गया है। वर्ष 2022 में, होली का त्योहार 19 मार्च शनिवार के दिन मनाया जायेगा।

होली मनाए जाने के पीछे कई कहानियाँ हैं। राजा हिरण्यकशिपु और उसके पुत्र प्रह्लाद से सम्बद्ध कहानी उनमें सबसे प्रसिद्ध है। राजा हिरण्यकशिपु चाहता था कि लोग उसे ईश्वर की तरह पूजा करें। परंतु, उसके पुत्र ने उसके आदेशों को स्वीकार नहीं किया। वह भगवान् विष्णु का उपासक था। इसलिए राजा ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को मार डालने को कहा। ईश्वर द्वारा उसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई। परंतु, चमत्कारिक रूप से वह जल गई और भगवान् विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया।

बुराई पर अच्छाई की इस जीत को व्यक्त करने के लिए होली की पूर्व-संध्या पर होलिका दहन होती है। यह माना जाता है कि सभी बुरी शक्तियाँ उस आग में जल जाती हैं। अगली सुबह लोग रंगों से खेलते हैं। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं। बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन गुब्बारे फेंकते हैं। वे पिचकारियों से खेलते हैं। बड़ी-बड़ी टंकियाँ रंगीन पानी से भर दी जाती हैं। लोग इस पानी को एक-दूसरे पर फेंकते हैं और आनंद लेते हैं। संध्या-काल में लोग एक-दूसरे के चेहरों पर गुलाल लगाते हैं। बच्चे अपने से बड़ों के पैरों पर गुलाल रखकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं। अनेक स्वादिष्ट व्यंजन, जैसे - गुलाब जामुन, गुजिया, दहीबड़ा, सवैयाँ एवं मालपुआ बनाए जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति उन्हें खाता है और त्योहार का आनंद लेता है।

होली भाईचारे और खुशियों का त्योहार है। हम सभी को इस दिन सभी से हुए बैर और ईर्ष्या को भूल जाना चाहिए। इस दिन हमें सकारात्मक भाव से लोगों से मिलना चाहिए। इस दिन हम सभी को अपने परिवार के संग होली का इस महा पर्व का आनंद लेना चाहिए।

भारत त्योहारों का अनोखा देश है। यहाँ अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। होली हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। वर्ष २०२१ में, होली का यह त्यौहार 29 मार्च सोमवार के दिन अनेक राज्यों में बड़े आनंद के साथ मनाया जायेगा। होली मनाये जाने के दिन की राजा हिरण्यकशिपु और उसके पुत्र प्रह्लाद से सम्बद्ध कहानी सबसे प्रसिद्ध है। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं। बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन गुब्बारे फेंकते हैं। वे पिचकारियों से खेलते हैं। होली भाईचारे और खुशियों का त्योहार है। हम सभी को इस दिन सभी से हुए बैर और ईर्ष्या को भूल जाना चाहिए। इस तरह होली का यह महा पर्व खुशियाँ के साथ मनाई जाती है।

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essay on holi in hindi class 10

प्रस्तावना (Introduction)

भारत त्यौहारों का देश है इसीलिए यहाँ प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। भारत का होली का त्यौहार विश्व प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। प्रकृति भी एक तरह से इस त्यौहार में सम्मिलित होती है। चारों ओर रंग बिरंगे फूल बिखेर कर बसंत ऋतु खुशियाँ लुटाती है। यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है, इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी-खुशी इस त्यौहार को मनाते है। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, साथ ही यह मौज-मस्ती का भी प्रतीक है। होली को ना जाने लोगों ने कितने रूप दिए, बचपन की होली हो या बुढ़ापे की उल्लास हमेशा एक सी ही होती है। इस पर एक मशहूर गाना हमेशा याद आता है ‘होली के दिन दिल खिल जाते है रंगों में रंग मिल जाते है।’

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होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस त्यौहार को फाल्गुन मास में मनाने की प्रथा है। यह त्यौहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है। जिसमें पहले दिन होली दहन किया जाता है, जिसमें लकड़ियाँ और गोबर के कंडे डालकर होलिका दहन किया जाता है।

होली के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है। जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग लगाते हैं। इस दिन भारत में लोग कोई भी जात-पात नहीं देखते। सभी एक दूसरे से गले मिलकर खूब धूमधाम से होली को मनाते है।

  • होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है।
  • पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।
  • हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा। प्रजा के कुछ लोग भय वश उसकी पूजा भी करने लगे।
  • समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के घर एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था। प्रह्लाद हिरण्यकश्यप को ईश्वर नहीं मानता था। बहुत समझाने पर भी वह नहीं समझा तो हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के कई उपाय किये, पर वह नहीं मरा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई।
  • प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा। भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

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होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है। जिसमें लकड़ी, घास और गाय के गोबर से बने कंडे इकट्ठे करते है। संध्या के समय महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है, लोटे से जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन कर दिया जाता है जैसे ही आग की लपटें बढ़ने लग जाती हैं, प्रहलाद के प्रतीक वाली लकड़ी को निकाल दिया जाता है और दर्शाया जाता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है। होलिका दहन के दौरान सभी इसके चारों ओर घूमकर अपने अच्छे स्वास्थ्य और यश की कामना करते है, साथ ही सभी बुराई को इसमें भस्म करते है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन बच्चे आपस में एक दूसरे को रंग लगाते हैं और सब की शुभकामनाएं लेते हैं और सब को बधाई देते हैं। फिर क्या बच्चे और क्या बड़े सभी पड़ोसियों और प्रियजनों के साथ पिचकारी और रंग भरे गुब्बारों से खेलना शुरु कर देते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते साथ ही मजेदार पकवानों का आनंद लेते हैं।

होली के त्यौहार का महत्व

होली का ऐतिहासिक महत्व – होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए लोगों को इस त्यौहार से शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, हमेशा अच्छाई की जीत होती है इसलिए वह हमेशा अच्छे रास्ते को ही अपनाए। सामाजिक महत्व – होली एक सौहार्दपूर्ण त्यौहार है। जिसमें लोग वर्षों पुरानी दुश्मनी, लड़ाई, झगड़ा भुलाकर एक दूसरे से गले मिल जाते हैं, इसीलिए इस त्यौहार को दोस्ती का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता। सभी लोग एक दूसरे को गले लगा कर होली का त्यौहार मनाते हैं। इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है इसलिए यह त्यौहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

भारत की विभिन्न प्रसिद्ध होलियाँ –

बरसाना की लट्ठमार होली – सबसे पहले बात होती है ब्रज की होली की, यहां भी सबसे ज्यादा मशहूर है- बरसाना की लट्ठमार होली। बरसाना राधा का जन्मस्थान है। इस दिन लट्ठ महिलाओं के हाथ में रहता है और नन्दगांव के पुरुषों (गोप) जो राधा के मन्दिर ‘लाडलीजी’ पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं, उन्हें महिलाओं के लट्ठ से बचना होता है। इस दौरान होरी भी गाई जाती है, जो श्रीकृष्ण और राधा के बीच वार्तालाप पर आधारित होती है। बिहार में फागुवा होली – बिहार में होली का त्यौहार तीन दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन रात में होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्‍सर दहन के नाम से भी जाना जाता है और लोग इस आग के चारों ओर घूमकर नृत्‍य करते हैं। अगले दिन इससे निकली राख से होली खेली जाती है, जो धुलेठी कहलाती है और तीसरा दिन रंगों का होता है। स्‍त्री और पुरुषों की टोलियां घर-घर जाकर डोल की थाप पर नृत्‍य करते हैं। फागुन मतलब लाल रंग होता है इसलिए इसे फगुवा होली भी कहते है। हरियाणा की धूलेंडी होली – भारत के हरियाणा में होली धुलेंडी के रूप में मनाते हैं और सूखी होली – गुलाल और अबीर से खेलते हैं। भाभियों को इस दिन पूरी छूट रहती है कि वे अपने देवरों को साल भर सताने का दण्ड दें। भाभियाँ देवरों को तरह-तरह से सताती हैं और देवर बेचारे चुपचाप झेलते हैं, क्योंकि यह दिन तो भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है। बंगाल में डोल पूर्णिमा – पश्चिम बंगाल की मिसाल सुंदरता के रूप में दी जाती है। यहां की होली भी बहुत खूबसूरत रूप से मनाई जाती है। इस दिन लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं और फूलों से श्रंगार करते हैं। सुबह से ही नृत्‍य और संगीत का कार्यक्रम चलता है। घरों में मीठे पकवान बनते हैं। इस पर्व को डोल जात्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर राधा-कृष्‍ण की प्रतिमा झूले में स्‍थापित की जाती है और महिलाएं बारी-बारी से इसे झुलाती हैं। महाराष्ट्र में रंगपंचमी – महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्यौहार का मतलब नाच-गाना और मस्ती होता है। क्योंकि सारे मछुआरे इस त्यौहार पर एक-दूसरे के घरों पर मिलने जाते हैं और काफी समय मस्ती में बीतता है। महाराष्‍ट्र में पूरनपोली नाम का  स्‍वादिष्‍ट मीठा पकवान बनाया जाता है। पंजाब में होला मोहल्ला का मेला – पंजाब में भी इस त्यौहार की बहुत धूम रहती है। सिखों के पवित्र धर्मस्थान आनन्दपुर साहिब में होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है। तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में सिख शौर्यता के हथियारों का प्रदर्शन किया जाता है और वीरता के करतब दिखाए जाते हैं। राजस्थान में तमाशा होली – राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें किसी नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच सज्जा कर कलाकार आते हैं और अपने पारंपरिक हुनर का नृत्य और अभिनय से परिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषय वस्तु पौराणिक कहानियों और चरित्रों के इर्दगिर्द घूमती हुई इन चरित्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर भी व्यंग्य करती है।

मध्यप्रदेश की भगौरिया होली – मध्यप्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली विशेष होती है। इस भील होली को भगौरिया कहते हैं। वयस्‍क होते लड़कों को इस दिन अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने की छूट होती है। भीलों का होली मनाने का तरीका विशिष्‍ट है। इस दिन वो आम की मंजरियों, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं। गुजरात में होली  – होली के मौके पर गुजरात में मस्‍त युवकों की टोलियां सड़कों पर नाचते-गाते चलती हैं। गलियों में ऊंचाई पर दही की मटकियां लगाई जाती हैं और युवकों को यहां तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह भगवान कृष्‍ण के गोपियों की मटकी फोड़ने से प्रेरित है। ऐसे में कौन युवक कन्‍हैया नहीं बनना चाहेगा और कौन होगी जो राधा नहीं बनना चाहेगी। मणिपुर की होली – मणिपुर में होली पूरे 6 दिनों तक चलती है, जिसे योसांग कहते हैं। यहां होली की शुरुआत में होलिका न बनाकर एक घासफूस की एक झोपड़ी बनाई जाती है और इसमें आग लगाते हैं। अगले दिन लड़कों की टोलियां लड़कियों के साथ होली खेलती है, इसके बदले में उन्‍हें लड़की को उपहार देना होता है।

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होली से मिलते-झुलते विदेशी त्यौहार –

न्‍यूजीलैंड का वानाका उत्‍सव – न्‍यूजीलैंड के अलग-अलग शहरों में हर वर्ष रंगीला त्‍योहार मनाया जाता है। इस दिन एक पार्क में शहर के बच्‍चे, बूढ़े और जवान इकट्ठे होते हैं। सभी अपने शरीर या दूसरों के शरीर पर पेंटिंग करते हैं। इस दौरान वे आपस में खूब मस्‍ती भी करते हैं। जहाँ बच्‍चों के लिए यह दिन धमा-चौकड़ी मनाने का होता है, वहीं बूढ़े लोग दूसरों लोगों को उत्‍सव में बढ़-चढ़कर धमाल करने के लिए उत्‍साहित करते हैं। उत्‍सव पूरे 6 दिनों तक मनाया जाता है। थाईलैंड का सोंगकरन पर्व – सोंगकरन थाई नववर्ष का पर्व है। इसमें पानी में खूब मस्‍ती होती है। त्यौहार के दौरान सभी लोग एक तालाब के पास एकत्र होते हैं और एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं। दो-चार लोग मिलकर एक व्‍यक्‍ति को तालाब में उछालते हैं और उसे डुबकी दिलाते हैं। इस त्यौहार में क्‍या बच्‍चे और क्‍या बूढ़े, क्‍या स्‍त्री और क्‍या पुरुष- सभी एक रंग में रंग जाते हैं। दिनभर गाने और डांस की धूम मची रहती है। त्यौहार सुबह 3 बजे से ही शुरू हो जाता है और देर शाम तक चलता रहता है। इस दौरान लोग एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। जापान का चेरी ब्‍लॉसम सीजन फेस्‍टिवल – जापान में मनाए जाने वाला यह उत्‍सव भी अपने अनूठेपन के लिए प्रसिद्ध है। उत्‍सव मार्च और अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, क्‍योंकि इस दौरान चेरी के पेड़ में फूल आते हैं। लोग अपने परिवार के साथ चेरी के बगीचे में बैठते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं। दिनभर चलने वाले इस त्यौहार पर विशेष भोजन और संगीत-नृत्‍य के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पेरू का इनकान उत्‍सव – पेरू में पांच दिन चलने वाले इस त्यौहार के दौरान लोग रंगीन परिवेश में पूरे शहर में घूमते हैं। इस दौरान वे टोलियों में होते हैं। हर टोली की एक थीम होती है। ये लोग ड्रम की थाप पर नृत्‍य करते हैं और अपने आपको दूसरे से बेहतर साबित करने की कोशिश करते हैं। रात में कुजको महल के सामने सभी एकत्र होते हैं और एक-दूसरे को उत्‍सव की शुभकामनाऐं देते हैं। पापुआ न्‍यूगिनिया का गोरोका उत्‍सव – पापुआ न्‍यूगिनिया में इस त्यौहार के दौरान लोग माउंट हेगन की तलहटी में एकत्र होते हैं और पारंपरिक आदिवासी नृत्‍य करते हैं। वे अपने शरीर पर पंछियों के पर और ऐसे ही कई पारंपरिक श्रंगार करते हैं। मस्‍ती और उल्‍लास के त्यौहार पर मज़ेदार भोज आयोजित होते हैं। चीन का पानी फेंकने का उत्‍सव – चीन के युवान प्रांत में मार्च-अप्रैल में पानी फेंकने का उत्‍सव मनाया जाता है। यह दाई लोगों के महत्‍वपूर्ण उत्‍सवों में से एक है। इस त्यौहार को बुद्ध के स्‍नान से भी जाना जाता है। त्यौहार के दौरान सभी लोग एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं। तिब्‍बत का स्‍नान पर्व – जुलाई माह के पहले दस दिन में तिब्‍बतियों का स्‍नान पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को गामारीजी नाम से जाना जाता है। तिब्‍बतियों की मान्‍यता है कि इस दौरान नदी या तालाब का पानी मीठा, ठंडा, मृदुल, हल्‍का, साफ और हानिरहित होता है, जो गले के लिए अच्‍छा होता है, बल्‍कि पेट के लिए नहीं। तिब्‍बती लोग इस दौरान नदी और झील के किनारे टेंट डालते हैं और स्‍नान को पर्व के रूप में मनाते हैं।

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वर्तमान में होली का रूप –

(i) वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्त्व को नहीं समझ रहे हैं और इसी सौहार्दपूर्ण त्यौहार की जगह, नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं। (ii) आजकल की युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते है। कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं, लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करते है। (iii) इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के त्यौहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने लगे है। आजकल युवा लोग रंग की जगह गोबर नाली का पानी और पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है। यह सब चीजें होली के त्यौहार की छवि को खराब कर रही है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।

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उपसंहार (conclusion) –

होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। इस त्यौहार से एक और सीख मिलती है कि कभी भी हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमारे सोचने समझने की शक्ति को बंद कर देता है। हमें होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ खूब धूमधाम से मनाना चाहिए। होली का त्यौहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह दोस्ती का त्यौहार है इसलिए इसे दोस्ती का त्यौहार ही बने रहना देना चाहिए। इसे कोई और रूप देने का हमें कोई हक नहीं है। वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषताओं के बारे में बताना चाहिए, ताकि उनके विचार बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि बनी रहे। इस त्यौहार में लोग आपस के मत-भेद भूल कर नई जीवन की शुरुआत के साथ अपने अंदर नई ऊर्जा को भी ले आते हैं। हिन्दुओं में सारा परिवार इस अनोखे पर्व का पूरे साल इंतजार करता है। हर जगह रंग ही रंग दिखाई देता है। पूरा शहर रंगीन हो जाता है। और एक दूसरे को बहुत सारी खुशियां देता हैं। सबके घरों में तरह तरह के पकवान बनते हैं। शाम को सब एक दूसरे के घर जाते हैं और अबीर-गुलाल लगते हैं।

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Holi Essay in Hindi: होली पर आकर्षक निबंध

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Table of Contents

Holi Essay in Hindi: त्योहार भारतीय जीवन-शैली का एक अटूट हिस्सा है, जहां विभिन्न प्रकार के रंगीन और विविध त्योहारों का आयोजन होता है। इनमें से होली, जो साथी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण पर्व है, विशेष महत्व रखती है। होली, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जीवन के उत्साह, खुशी, और उमंग को बढ़ावा देने में मदद करती है। होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) में हमने होली के इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की है। यह आशा है कि इस होली के निबंध का उपयोग वे छात्र भी करेंगे जो होली हिंदी होली पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली पर निबंध के लिए सामग्री खोज रहे हैं।

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होली पर निबंध 100 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली हिंदी होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 200- 300शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है।

होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।

होली का इतिहास होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा। प्रजा के कुछ लोग भय वश उसकी पूजा भी करने लगे। समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के घर एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था। प्रह्लाद हिरण्यकश्यप को ईश्वर नहीं मानता था। बहुत समझाने पर भी वह नहीं समझा तो हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के कई उपाय किये, पर वह नहीं मरा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई। प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा। भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

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होली पर निबंध 350 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली, भारतीय सांस्कृतिक कला और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत और भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखता है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है।

इस अद्वितीय त्योहार की महत्वपूर्ण धारा रंग का खेल है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर विभिन्न रंगों का पाउडर फेंकते हैं और खुशियों का इज़हार करते हैं। होली का महत्व न केवल एक त्योहार मात्र है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है और यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक रंगीन और आनंददायक त्योहार के रूप में पहचाना जाता है।

होली का महत्व

होली का महत्व भारतीय समाज के लिए गहरा है और यह एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग साल भर बेताबी से इंतजार करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ मिलकर मनाया जाता है, और इसके तहत लोग अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं।

होली के त्योहार का महत्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक कथा है, जिसमें होली को हिरण्यकशिपु के खिलवाड़े और प्रह्लाद के भक्ति की जीत के रूप में मनाने का प्रतीक माना जाता है। हिरण्यकशिपु, एक दुष्ट राक्षस राजा थे, जो भगवान विष्णु के खिलवाड़े से डरते थे। वे अपने पुत्र प्रह्लाद के भक्ति को बंद करने का प्रयास करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धा में अटल रहे। होली के दिन, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को उसके साथ बांधकर आग में डालने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बिना कोई कष्ट उठाए बच गए। होली के इस घड़ीघड़ी मोमें, होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रह्लाद अस्तित्व में बने रहे। इसी प्रकार, होली का त्योहार भक्ति और सच्चे दर्शन की जीत का प्रतीक बन गया, और यही कारण है कि होली को विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

इसके अलावा, होली का महत्व भारतीय ऋतुओं के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो भारत में बसंत ऋतु की आगमन का समय होता है। बसंत ऋतु के साथ आती हैं खुशियों की बहार और फूलों की महक, और होली इस ऋतु का आगाज़ और खुशियों का स्वागत करने का एक तरीका होता है। इसलिए, होली का महत्व भारतीय जीवन में बसंत के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है और यह एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।

होली का आयोजन

होली का आयोजन विभिन्न तरीकों से भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, और हर स्थान पर इसे अपने तरीके से मनाया जाता है। होली के पहले दिन, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, लोग होलिका के मूर्ति को आग में जलाते हैं। इसके पीछे का सन्देश है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की जीत पर होता है।

होली के दूसरे दिन, लोग रंगों के साथ खेलने और एक-दूसरे को रंगने का आनंद लेते हैं। यह दिन गुलाल, अबीर, और अन्य रंगीन पाउडर के साथ खेलने का होता है। होली के इस रंगीन खेल में लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आनंद और खुशी का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का स्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साथ मनाते हैं।

कुछ स्थानों में, होली के खेल में संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है। लोग रंगीन वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं और गीतों का आनंद लेते हैं।

होली के खास पकवान

होली के खास पकवान और मिठाइयाँ इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, और मिठाई जैसे विभिन्न पकवान खाए जाते हैं। इन पकवानों का आनंद लेना होली के त्योहार को और भी मजेदार बनाता है।

निषेध: खतरनाक रंगों का उपयोग

होली के खेल में खतरनाक या हानिकारक रंगों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे रंगों का उपयोग करने से क्षति हो सकती है और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें होली के खेल में सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।

होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक अद्वितीय त्योहार है जो खुशियों की खोज में लोगों को जोड़ता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ आनंद और खुशी का साथ मनाते हैं, और वे अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं। होली का महत्व भारतीय संस्कृति, परंपरा, और रंगीनता का प्रतीक है, और यह एक त्योहार के रूप में विश्वभर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसलिए, होली का त्योहार भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है और यह एक खुशी और एकता भरा समाजिक त्योहार होता है।

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होली पर निबंध FAQs

होली के बारे में निबंध कैसे लिखें.

होली के बारे में निबंध लिखते समय, पहले होली का महत्व और इसका इतिहास पर बताएं, फिर इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्व को विस्तार से व्यक्त करें।

होली क्यों मनाई जाती है 10 लाइन?

होली को मनाई जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और रंग-बिरंगे जीवन की खुशियों का प्रतीक है, साथ ही हिन्दू धर्म में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक मेलजोल को प्रमोट करने का मौका प्रदान करता है।

होली पर क्या लिखें?

होली पर रंगों का खेल और खुशियों का त्योहार मनाते हुए सभी को प्यार और खुशियाँ बांटने की शुभकामनाएं!

होली पर निबंध होली कैसे मनाई जाती है?

होली को भारत में फागुन माह के पूनम के दिन रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग फेंककर आपसी खुशियों का जश्न मनाते हैं।

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

होली

अपडेट किया गया: 20 फरवरी 2023

होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर मेंबड़े धूमधाम सेमनायाजाता है। यहमुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।नेपाल की तराई होलीविश्वप्रसिद्ध है। मंजीरा, ढोलकवमृदंग की ध्वनि से गूंजताऔर रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महीना जैसे होली कीउत्साह कोऔरभी बढ़ा देता है। इस त्यौहार में सभी की ऊर्जा देखतेही बनती है। होली के अवसर पर बच्चोंमें अलग ही उमंग देखने को मिलता है,वे रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते हैं और जोर-जोर से “होली है..” कहते हुए पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।

होली पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

अक्सर, बच्चों को विद्यालयमें होलीपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहाँ हमने आपकी आसानी के लिए होली पर कई निबंध दिए है, उम्मीद करते है की ये सभी निबंध आपको पसंद आयेंगे-

होली पर निबंध – 1 (100 -150 शब्द )

होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है।यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 2: (250 – 300 शब्द)

होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है।

होली की तैयारी

होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुनआदि प्रमुख हैं। लोग महीनो पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्यौहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े अवश्य खरीदता है।

होली कैसे मनाई जाती है

होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं,हम, लोगों का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेषतौर पर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ मैदान में आ जाते हैं।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन

होली के एक दिन पहले गांवों  व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का बोध कराती है।

होली आनंद से भरा रंगों का त्यौहार है, यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है, की इसकी मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है।

यूट्यूब पर देखें: Holi par nibandh

होली पर निबंध– 3  (300 शब्द)

होली रंगो का त्यौहार है, जो भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।यह त्यौहार शरद ऋतू के अंत और वसंत ऋतू के आरम्भ का प्रतिक भीमाना जाता है।होली का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्तम और भावपूर्ण उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।

होली का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?

होली के इस पावन त्यौहार को मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है, परन्तु सबसे मान्य कथा भक्त प्रह्लाद की है। प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप था, जो की क्रूर और आततायी था।  उसने स्वयं को ही भगवान मान लिया था और चाहता था की उसकी प्रजा भगवन की जगह उसकी पूजा करे , परन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद जो की विष्णु का अनन्य भक्त था उसने अपने पिता को पूजने से इंकार कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे तरह तरह की नीति अपनाकर वश में करने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रह्लाद अडिग रहा ।

  अतः उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लेकर एक षड़यंत्र रचा, परन्तु आग की होली में होलिका के प्रह्लाद को गोंद में लेकर बैठने पर भगवन के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया । तब से ही होली का पर्व मनाया जाता है, होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। फिर दूसरे दिन रंग और गुलाल से बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी मनाई जाती है।

होली का हमारे जीवन में महत्व

होली के त्यौहार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रतिक के रूप में यह सन्देश देता है की हमें सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। फिर चाहे हमारे पथ में हिरण्यकश्यप या होलिका जैसी विपत्तियां क्यों न आये ,जीत सदा सत्य की ही होती है। यह कथा और त्यौहार हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।

अतः हमें यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाना चाहिए और अपने से छोटो को इस त्यौहार के महत्व को बताना चाहिए, जिससे की होली के त्यौहार की तरह उनके जीवन में भी खुशियों के विभिन्न रंग और गुलाल भर जाये।

यूट्यूब पर देखें : Holi par nibandh

होली पर निबंध 4: 400 शब्द

प्राचीन समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलकव मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानोंमें होली

होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है मगर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होली की संध्या में मित्रों से मेल-मिलाप

दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है।

बाजारों की रौनक में, होली की परंपरागत रीति कहीं खो न जाए

होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।

समय के साथ होली का बदलता स्वरूप

परंपरागत विधि से आज इस त्यौहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्यौहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।

होली पर सभी मस्ती में डूबे नज़र आते हैं। जहां सामान्य व्यक्ति अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तथा ठंडाई का सेवन करते हैं। वहीं मनचलों को नशे में धुत्त होकर अपनी मनमानी करने का एक अवसर प्राप्त हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है इसे प्रेम पूर्वक खेलना चाहिए।

Holi Essay

होली पर निबंध 5: 500 शब्द

अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।

होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण

पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मंशा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा।

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली

“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “ होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों की शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथाघुड़सवारी,तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “ डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

उम्मीद करते हैं कि ये सभी होली के निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से कोई भी निबंध इस्तेमाल कर सकते हैं। धन्यवाद!

Frequently asked questions (FAQS) होली से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर- प्रह्लाद की बुआ होलिका के नाम पर इस त्यौहार का नाम होली पड़ा।

उत्तर- लठमार होली श्री कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतिक होने के कारण विशेष है।

उत्तर- प्रह्लाद विष्णु भगवान ( नरसिंह अवतार ) का उपासक था।

उत्तर- होली त्यौहार के प्रमुख व्यंजन गुजिया , गुलाब जामुन , ठंडाई आदि हैं।

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Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

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  • Updated on  
  • मार्च 21, 2024

Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।

This Blog Includes:

होली के बारे में, होली पर निबंध हिंदी में (holi essay in hindi) 10 लाइन, होली पर निबंध 150 शब्दों में, holi essay in hindi 200 शब्दों में, प्रस्तावना , होली मनाए जाने के पीछे कहानी , होली का वर्णन, हिंदुओं का पवित्र धार्मिक पर्व होली, होली से जुड़ी कथाएं, वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध, आज होली का रूप विकृत होना, holi essay in hindi for class 2, essay on holi in hindi class 4, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है होली, समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए है होली, होली का इतिहास क्या है.

रंगों का त्यौहार  होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

  • होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
  • हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
  • हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
  • होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
  • होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
  • होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
  • पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
  • होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
  • इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
  • भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।

Holi Essay in Hindi

150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।

200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।

होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली: रंगों का त्योहार





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होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का  मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है। 

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका।  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।

होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। 

Holi Essay in Hindi

होली पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं  जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है।  इसे होलिका दहन कहते हैं।

होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच  की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।

वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों  से  रंग बिरंगे  फव्वारे छूटते है  तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

 बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।

 होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:

काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। । 

होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।

Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः

होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।

Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः

भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।

भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है। 

Essay on Holi in Hindi Class 5

Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः

होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।

दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।

होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।

हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।

होली पर निबंध

 होली पर आधारित अन्य ब्लॉग्स

हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।

होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Holi Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य  निबंध के ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi

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होली पर निबंध (class 1 to 10) – Holi essay in hindi

  • Post author: Sachin Rathi
  • Post published: April 23, 2023
  • Post category: Hindi essay
  • Post comments: 0 Comments

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नमस्कार मित्रो, इस आर्टिकल में हमने  होली  पर एक सुन्दर निबंध लिखा है। यह निबंध एकदम सरल और आसान भाषा में लिखा गया है। यह निबंध सभी तरह के छात्रों जैसे स्कूल के, कॉलेज के, या किसी भी कम्पटीशन एग्जाम के छात्रों को ध्यान में रखकर लिखा गया है। इस निबंध को पूरा पढ़ने के बाद आपको कही ओर  Holi essay in hindi  खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

होली पर निबंध 500 शब्द (class 1 to 5)

Table of Contents

होली की रूपरेखा

होली एक ऐसा त्यौहार है जहाँ लोग विभिन्न रंगों की सुंदरता का जश्न मनाते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो विभिन्न धर्मों, पृष्ठभूमि और सामाजिक वर्गों के लोगों को एकजुट करता है। होली के दिन सभी खुश होते हैं और वे अपने मतभेद भूल जाते हैं और बस मस्ती करते हैं। लोग एक-दूसरे के चेहरे को ढंकने और एक साथ जश्न मनाने के लिए रंगीन पाउडर का इस्तेमाल करते हैं।

होली कई अलग-अलग धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है जो उत्सव में एक साथ आते हैं। चमकीले रंग के पाउडर से सजाया गया यह त्योहार लोगों के बीच दोस्ती और प्यार के बंधन का प्रतीक है। होली के दिन सभी आपसी मतभेद भूल जाते हैं और रंग खेलने में खूब मस्ती करते हैं। बच्चे और वयस्क समान रूप से खेल खेलने और एक साथ जश्न मनाने का आनंद लेते हैं। फाल्गुन के हिंदू महीने की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। होली से जुड़ी कई कहानियां हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि इसे मनाए जाने से एक रात पहले कैसे जलाया गया था।

क्यों मनाई जाती है होली

प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप ने कई बार चेतावनी दी थी कि उसे विष्णु की पूजा नहीं करनी चाहिए वरना उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा। लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की एक भी बात नहीं मानी और चेतावनी देने के बाद भी वह विष्णु की पूजा में लीन रहा। हिरण्यकश्यप ने कई बार अपने पुत्र को मारने का प्रयास किया, लेकिन वह इस प्रयास में असफल रहा। तमाम कोशिशों के बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद लेने का सोचा। होली मनाने के पीछे असुर राजा हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद की कहानी है। हिरण्यकश्यप असुरों का राजा था, जो खुद को भगवान मानता था। लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद एक भक्त विष्णु भक्त था और उस पर उसकी असीम आस्था थी। हिरण्यकश्यप को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी। हिरण्यकश्यप अपने पुत्र की विष्णु के प्रति अत्यधिक भक्ति का विरोध करता था और उससे अप्रसन्न रहता था। उसने सोचा कि उसके अलावा किसी और को भगवान नहीं माना जा सकता।

भगवान ने होलिका को विशेष सुरक्षा प्रदान की थी कि कोई भी उसे आग में नहीं जला सकता था। इसके बाद हिरण्यकश्यप द्वारा एक चिता का निर्माण किया गया, जिसमें प्रह्लाद को होलिका के साथ बैठाया गया। हालाँकि, भले ही वह चिता में बैठा था, प्रह्लाद अभी भी विष्णु की पूजा करने के लिए समर्पित था और होलिका को जिंदा जला दिया गया था। हालाँकि, अपनी दृढ़ भक्ति के कारण, प्रह्लाद आग में होते हुए भी सुरक्षित रहे।

होली पर, एक त्योहार जो सर्दियों के अंत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, लोग लकड़ी और कपड़े की होलिका की मूर्ति बनाते हैं। इस मूर्ति की पूजा इस आशा के प्रतीक के रूप में की जाती है कि एक दिन बुराई का अंत होगा। इस दिन लोग होलिका से अपने बुरे व्यवहार को खत्म करने में मदद करने के लिए कहते हैं।

होली पर निबंध 800 शब्द (class 6 to 10)

होली भारत में मनाया जाने वाला एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए रंगों और गुड़ियों से खेलते हैं। त्योहार के पहले दिन, होलिका (या बुराई) नामक गुड़िया को सत्य की आग में जलाया जाता है। अगले दिन लोग होली खेलकर जीत की खुशी मनाते हैं।

होली के दिन हमें फूलों और अबीर जैसे प्राकृतिक रंगों से त्योहार मनाना चाहिए। होली पर हमें अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाना चाहिए। हमें गुजिया, पापड़ और अन्य व्यंजन खाने चाहिए। भारत कई अलग-अलग धर्मों वाला देश है, और उन सभी लोगों के अपने-अपने त्योहार हैं। होली प्रसिद्ध हिंदू त्योहारों में से एक है। यह फाल्गुन के महीने में भारत के कई राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि होली का त्योहार बसंत ऋतु के आने का जश्न मनाता है। यह सभी के लिए खुशी और उत्साह का त्योहार है।

होली का   महत्व

होली पर अच्छाई बुराई पर विजय पाती है, इसलिए लोग शिक्षा प्राप्त कर त्योहार मनाते हैं। होली दोस्ती का त्योहार है और इस दिन लोग अपने मतभेद भूल जाते हैं और सिर्फ दोस्त बनकर खुश होते हैं। होली हर साल वसंत ऋतु में, मार्च में पूर्णिमा पर मनाई जाती है। होली के पहले दिन लोग लकड़ी की होलिका बनाते हैं और दूसरे दिन खुशी मनाते हैं। होली के दिन बच्चे घर-घर जाकर ढोलक और रंग बिरंगे पाउडर से दावत मांगते हैं। इस दौरान लोग उन्हें पैसे देते हैं। सभी अभी से होली की तैयारियों में लगे हुए हैं और सभी अपने-अपने रिश्तेदारों के घर मिठाई और रंग-बिरंगा पाउडर लेकर जा रहे हैं. होली पर लोग आपसी मतभेद भूल जाते हैं और खूब मस्ती करते हैं। होली की हर साल अलग-अलग तिथियां होती हैं, लेकिन यह हमेशा मार्च के महीने में पड़ती है।

होली की तैयारी

अगले दिन रंगों का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बच्चे एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और सभी को होली की शुभकामनाएं देते हैं। फिर बच्चे हों या बड़े अपने पड़ोसियों और अपनों के साथ पिचकारी और रंग-बिरंगे गुब्बारों से खेलने लगते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। इसके अतिरिक्त, होलिका विशेष तैयारी में एक दिन से अधिक समय लगता है। इस पर्व पर सभी के घरों में कई व्यंजन बनते हैं, जिनमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुन आदि प्रमुख हैं. लोग महीनों पहले से ही अपने घरों की छतों पर तरह-तरह के पापड़ और चिप्स आदि सुखाने लगते हैं। मध्यवर्गीय परिवार भी इस त्योहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े खरीदते हैं। रंगों का त्योहार होलिका दहन होली से एक दिन पहले होता है। इस दिन लोग लकड़ी, घास और गाय के गोबर से बने कंद इकट्ठा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। शाम को महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है, और एक बर्तन से जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है। जैसे ही लपटें उठने लगती हैं, प्रह्लाद के प्रतीक लकड़ी को हटा दिया जाता है।

होली में ध्यान रखने वाली बातें

त्योहार के दिन शराब न पिएं। होली खेलते समय अपनी आंखों को रंग-बिरंगी पिचकारियों और अन्य वस्तुओं से सुरक्षित रखना सुनिश्चित करें। इसके बजाय खेल खेलने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें। होली खेलते समय आंखों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। आप गेम खेलते समय चश्मा लगाकर ऐसा कर सकते हैं। साथ ही किसी भी वाहन पर पानी न फेंके। इससे हादसा हो सकता है। होली खेलते समय इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी तरह के केमिकल या कांच के रंगों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे आपकी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, कई लोगों को एलर्जी होती है और उन्हें चोट लग सकती है। और अंत में छोटे बच्चों को होली खेलते समय सुरक्षा नियमों के बारे में जरूर बताएं। सड़क पर गाड़ी चलाते समय अन्य लोगों पर पानी के गुब्बारे न फेंके। इससे हादसा हो सकता है।

होली एक ऐसा त्योहार है जहां लोग चमकीले रंग के कपड़े पहनते हैं और खूब मस्ती करते हैं। यह भारत में लंबे समय से मनाया जाता है, और यह विशेष रूप से विशेष है क्योंकि इसके दौरान लोग अपने मतभेदों को भूल जाते हैं और एक अच्छा समय बिताते हैं।

होली का त्योहार मौज-मस्ती करने और खुश रहने का समय है। हर कोई अलग-अलग रंग के कपड़े पहनकर और स्वादिष्ट खाने-पीने का आनंद लेकर उत्सव में भाग लेता है। शरारती लोग नशे में हो सकते हैं और अच्छा समय बिता सकते हैं, लेकिन यह जान लें कि उन्हें इस दौरान दयालु और कोमल भी होना चाहिए। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और हमें सिखाती है कि हमें कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। हमें अपने परिवारों और दोस्तों के साथ होली मनानी चाहिए और अपने छोटों को त्योहार के महत्व और विशेषताओं के बारे में बताना चाहिए।

अंतिम शब्द-  इस आर्टिकल में आपने  Holi essay in hindi  पढ़ा। आशा करते है, आपको ये निबंध पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

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होली रंगों और हँसी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। लोग इस दिन अलाव जलाते हैं और भगवान विष्णु को प्रह्लाद की भक्ति का जश्न मनाते हैं।

होली की शुभकामनाएं! हमें उम्मीद है कि रंगों का यह त्योहार खुशियों और इंद्रधनुष के सभी रंगों से भरा हो। सभी के लिए खुशी का समय हो और सभी के दिलों में प्यार हो।

होली भारत में वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला त्योहार है। इसे होलिका, होलिका या होलाका कहते हैं। लोग इसका खूब लुत्फ उठाते हैं क्योंकि यह रंग और खुशियों का उत्सव है।

रंग लगाने की परंपरा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण से हुई थी। उनकी मां कान्हा ने सुझाव दिया कि वह राधा को रंग लगाएं। तभी से लोग इसे परंपरा के तौर पर करने लगे हैं।

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दा इंडियन वायर

होली पर निबंध

essay on holi in hindi class 10

By विकास सिंह

holi essay in hindi

होली रंगों का त्यौहार है, जिसे मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाता है। होली को मुख्य रूप से हिन्दू धर्म का त्यौहार माना जाता है, लेकिन इसके अलावा जैन, बौद्ध और अन्य धर्मों के लोग भी इसे धूम-धाम से मनाते हैं।

विषय-सूचि

होली पर निबंध, holi essay in hindi (100 शब्द)

होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे प्रतिवर्ष वसंत के मौसम में मनाया जाता है। यह रंगों का त्यौहार है, जिसके दौरान लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और घरों और सड़कों को सजाते हैं।

होली को प्यार का त्यौहार भी कहते हैं क्योंकि इस दिन लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दुसरे को रंग लगाते हैं।

होली दो दिवसीय त्यौहार है। पहले दिन को छोटी होली कहते हैं, जिस दिन लोग होलिका दहन करते हैं। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

अगले दिन लोग रंगों से खेलते हैं और शाम को एक-दूसरे के घर जाकर बधाई और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों के घर आने का रिवाज एक हफ्ते से अधिक समय तक जारी रहता है।

holi essay in hindi

होली पर निबंध लिखिए, holi essay in hindi (150 शब्द)

होली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। इस दिन लोग दुश्मनी, घृणा, लालच आदि को भूलकर एक-दूसरे के साथ प्रेम से समय बिताते हैं।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली मुख्य रूप से फाल्गुन के महीने में मनाई जाती है, जिसे वसंत का आगमन भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर में यह त्यौहार फरवरी या मार्च के महीनें में आता है। होलिका दहन के साथ पूर्णिमा की रात को शुरू होने वाला यह दो दिनों का त्योहार है। होलिका दहन के अगले दिन मुख्य होली उत्सव मनाया जाता है। यह गेहूं की फसल के साथ भी मेल खाता है और समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।

वसंत सर्दियों के अंत का प्रतीक है और गर्मियों से पहले होता है। इसलिए, वसंत की जलवायु विशेष रूप से मनभावन होती है, जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। इस प्रकार, होली को प्रकृति के वसंत सौंदर्य और अच्छी फसल के उपलक्ष्य में, रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

essay holi in hindi

होली पर निबंध, essay on holi in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना:.

होली, ‘रंगों का त्योहार’ भारत के लगभग सभी हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह फाल्गुन माह के पूर्णिमा के दिन और मार्च के महीने में ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। लोग एक दूसरे के चेहरे को सूखे के साथ-साथ पानी के रंगों में रंगकर त्योहार मनाते हैं। लोक गीत और नृत्य गाकर भी लोग त्योहार का आनंद लेते हैं।

होली का उत्सव (holi festival)

होली से एक दिन पहले, ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान आयोजित किया जाता है, जिसमें शहरों और गांवों में अलाव का एक बड़ा ढेर जलाया जाता है। Of होलिका दहन ’बुरी और नकारात्मक शक्तियों को जलाने का प्रतीक है और हिरण्यकश्यप की दुष्ट बहन होलिका की कहानी को दर्शाता है, जिसने अलाव में बैठकर अपने भतीजे प्रह्लाद को मारने की कोशिश की थी।

लेकिन भगवान की कृपा से होलिका, जिसे अमरता का वरदान था, जलकर राख हो गई और प्रह्लाद को बचा लिया गया। लोग स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए भक्ति मंत्रों का उच्चारण करते हुए और भजन गाते हुए होलिका की परिक्रमा करते हैं।

दिन के दौरान, लोग एक दूसरे पर पानी के रंगों को छिड़क कर खेलते हैं। बच्चे त्योहार का आनंद लेने के लिए वाटर कैनन या पिचकारी पिचकारी ’का उपयोग करके पानी के रंग फेंकते हैं। शाम के समय, लोग आकर्षक पोशाक पहनते हैं और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और उन्हें ‘गुलाल’, सूखे रंग लगाकर गले लगाते हैं। प्रसिद्ध होली गीतों की धुन पर लोग लोक गीत भी गाते हैं और नाचते हैं।

निष्कर्ष:

होली वह त्योहार है जो प्रेम, भाईचारा, सद्भाव और खुशी फैलाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह वह त्योहार है जिसके दौरान लोग अपनी प्रतिद्वंद्विता को भूल जाते हैं और अपने दुश्मनों को गले लगाते हैं और नफरत और नकारात्मकता को भूल जाते हैं।

होली का निबंध, 300 शब्द :

प्रस्तावना :.

होली सभी का सबसे पसंदीदा त्योहार है क्योंकि इसमें बहुत सारी खुशियाँ और उल्लास होता हैं। यह हर साल विशेष रूप से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च के महीने (या फाल्गुन) में वसंत के मौसम की शुरुआत में आता है। हर कोई इस त्योहार का बहुत उत्साह के साथ इंतजार करता है और इसे मनाने की विशेष तैयारी करता है।

हम होली क्यों मनाते हैं? (why we celebrate holi?)

होली मनाने के पीछे प्रह्लाद की एक बड़ी कहानी है। एक बार प्रह्लाद (जो भगवान के बहुत बड़े भक्त थे) को उनके ही पिता ने मारने की कोशिश की क्योंकि उन्होंने भगवान के स्थान पर अपने ही पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया था। उसकी चाची होलिका, प्रह्लाद के पिता के आदेश पर उसे अपनी गोद में रखकर अग्नि में बैठ गई।

लेकिन भगवान् ने प्रह्लाद को बचा लिया और होलिका को जलते रहने दिया। उस दिन से, हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग बुराई पर अच्छाई की विजय को याद करने के लिए हर साल होली का त्योहार मनाने लगे।

होलिका जलाना:

होली के त्योहार से एक दिन पहले, लोग उस दिन को याद करने के लिए होलिका के जलते हुए रात में लकड़ियों और गोबर के कंडे का ढेर जलाते हैं। कुछ लोग होलिका में प्रत्येक परिवार के सदस्य की सरसों उबटन ’की मालिश को जलाने की विशेष रस्म का पालन करते हैं, यह मानते हुए कि यह घर और शरीर से सभी बुराइयों को दूर करेगा और घर में खुशी और सकारात्मकता लाएगा।

लोग अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ रंगों से खेलते हैं। घर के बच्चे एक दूसरे को रंग भरे गुब्बारे फेंकने या पिचकारी का उपयोग करके इस दिन का आनंद लेते हैं। सभी लोग गले मिलते हैं और एक-दूसरे के प्रति अपना प्यार और स्नेह दिखाते हुए माथे पर ‘अबीर’ और ‘गुलाल’ लगाते हैं। इस दिन के लिए विशेष तैयारी की जाती है जैसे कि मिठाई, चिप्स, नमकीन, दही बडे, पानी पूरी, पापड़ी, आदि की व्यवस्था होली का त्योहार है जो लोगों में प्यार और सद्भाव फैलाता है।

होली त्योहार पर निबंध, essay on holi festival in hindi (400 शब्द)

होली भारत का एक रंगीन और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हिंदू धर्म के लोगों द्वारा प्रति वर्ष मार्च (फाल्गुन) पूर्णिमा या ‘गरीबनमाशी’ के महीने में मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं और रंगों से खेलते और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ खाकर आनंद लेते हैं।

बच्चे दोस्तों के साथ आनंद लेने के लिए सुबह-सुबह अपने घरों से रंग और पिचकारी लेकर निकलते हैं। घरों की महिलाएं होली के उत्सव के लिए विशेष रूप से स्वादिष्ट व्यंजन, मिठाई, चिप्स, नमकीन और अन्य चीजों की तैयारी शुरू कर देती हैं ताकि होली पर अपने पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों का स्वागत किया जा सके।

होली – रंगों का त्योहार (holi festival of colour)

होली खुशी और खुशी का त्योहार है जो हर किसी के जीवन में रंग और खुशी फैलाता है। लोग एक दूसरे को पानी के रंग या रंगीन पाउडर (गुलाल) फेंकते हैं और उनके बीच भेदभाव की सभी बाधाओं को तोड़ते हैं। इस त्योहार को मनाने के पीछे प्रह्लाद और उसकी चाची होलिका का महान इतिहास है।

महोत्सव का इतिहास (history of holi)

बहुत समय पहले, एक शैतान राजा था, हिरण्यकश्यप। वह प्रह्लाद के पिता और होलिका के भाई थे। उन्हें भगवान ब्रह्मा ने वरदान दिया था कि उन्हें किसी भी आदमी या जानवर द्वारा नहीं मारा जा सकता है, न ही किसी हथियार से और न ही घर के बाहर या दिन या रात में। ऐसी शक्ति पाकर वह बहुत घमंडी हो गया और उसने अपने पुत्र सहित सभी को आदेश दिया कि वह ईश्वर की जगह उसकी पूजा करे।

उसके डर के कारण, लोग प्रह्लाद को छोड़कर उसकी पूजा करने लगे क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था। प्रह्लाद के इस प्रकार के व्यवहार को देखने के बाद, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए बहन होलिका के साथ एक योजना बनाई।

उसने अपनी बहन को प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। होलिका ने ऐसा किया, लेकिन सौभाग्य से वह आग में जल गई और प्रहलाद को नुकसान नहीं पहुंचा और यहां तक ​​कि आग से छुआ भी नहीं क्योंकि वह भगवान की सुरक्षा और आशीर्वाद के अधीन था।

तभी से लोगों ने होलिका के नाम पर इस आयोजन को होली के त्योहार के रूप में मनाना शुरू कर दिया। यह त्यौहार बुरी शक्ति पर अच्छाई की जीत को याद करने के लिए मनाया जाता है। होली के एक दिन पहले रात या शाम को, लोग पास के क्षेत्रों में लकड़ी का एक ढेर जलाते हैं जो होलिका जलाने का प्रतीक है।

हर कोई इस त्यौहार का आनंद गायन, नृत्य, रंग खेलने, एक दूसरे को गले लगाने और स्वादिष्ट भोजन खाने से लेता है। होली वह त्यौहार है जो लोगों को करीब लाता है और लोगों में प्यार और भाईचारा फैलाता है। लोग अपने दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों के साथ त्योहार को बहुत खुशी के साथ बिताते हैं और इस अवसर का विशेष आनंद लेते हैं।

होली पर्व पर निबंध, essay on holi in hindi (500 शब्द)

होली भारत के लोगों द्वारा हर साल या फाल्गुन ’या मार्च के महीने में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। यह विशेष रूप से उन बच्चों के लिए बहुत सारी मस्ती और मनमोहक गतिविधियों का त्योहार है, जो उत्सव से एक सप्ताह पहले शुरू करते हैं और त्योहार के एक सप्ताह बाद तक जारी रखते हैं। मार्च के महीने में विशेष रूप से उत्तर भारत में पूरे देश में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा होली मनाई जाती है।

फेस्टिवल के पीछे की कहानी और कहानी (story of holi in hindi)

भारत में होली मनाने के पीछे कई कहानियां और किंवदंतियां हैं। यह बहुत महत्व और महत्व का त्योहार है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि होली का जश्न बहुत पहले शुरू हो गया था जब होलिका आग में जल गई थी और आग में अपने ही भतीजे को मारने की कोशिश कर रही थी।

ऐसा माना जाता है कि छोटे प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था, जिसने अपने ही बेटे को आग में मारने की कोशिश की थी जब प्रह्लाद ने उसे पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था।

जब प्रहलाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप अपनी कई रणनीतियों में विफल हो गया, तो उसने अपनी ही बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए क्योंकि उसे कभी भी आग से नुकसान न पहुंचाने का वरदान प्राप्त था।

हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसे उसके भगवान ने बचा लिया था। होलिका आग में जल गई और प्रह्लाद बच गया। उस दिन से, हिंदू धर्म के लोग हर साल होली का जश्न मनाने लगे।

होलिका और उसके रीति-रिवाज:

होली के एक दिन पहले, लोग क्रॉस सड़कों पर लकड़ियों का ढेर लगाते हैं और इसे होलिका के प्रतीक के रूप में जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग होलिका के जलने के कई चक्कर लगाते हैं और अग्नि में सभी पापों और रोगों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसकी पूजा करते हैं।

उत्तर भारत में भी एक प्रथा है जहां लोग सरसों के पेस्ट का उपयोग करके शरीर की मालिश करते हैं और फिर इसे होलिका में जलाकर शरीर के सभी रोगों और बुराइयों से छुटकारा पाने की उम्मीद करते हैं।

हम होली कैसे मनाते हैं?

अगली सुबह हमहोलिका दहन ’के बाद, लोग होली के रंगीन त्योहार को एक जगह पर एक साथ होने और एक-दूसरे को रंग खेलने के लिए मनाते हैं। मुख्य त्योहार से एक सप्ताह पहले होली की तैयारी शुरू हो जाती है। लोग, विशेष रूप से बच्चे, अत्यधिक उत्साही होते हैं जो दिन से एक सप्ताह पहले अलग-अलग रंग खरीदना शुरू करते हैं।

यहां तक ​​कि वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ पिचकारी ’और छोटे गुब्बारों के साथ रंगों से खेलना शुरू कर देते हैं। उत्सव सुबह शुरू होता है जब बहुत सारे रंगों वाले लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और उन्हें रंग देते हैं। होली व्यंजनों में गुझिया, मिठाइयाँ,पानी पुरी’, ’दही बाडे’, चिप्स आदि शामिल हैं जो मेहमानों द्वारा और साथ ही साथ मेजबानों द्वारा पसंद किए जाते हैं।

होली वह त्योहार है जो ज्यादातर भाईचारे और प्रेम को फैलाने पर केंद्रित है। त्योहार में उपयोग किए जाने वाले रंग उज्ज्वल हैं जो समृद्धि और खुशी दिखाते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जो कि अधिकांश भारतीय त्योहारों की आत्मा है। यह हमें धार्मिक मार्ग पर चलना और समाज की बुराइयों से दूर रहना भी सिखाता है।

होली पर निबंध (1000 शब्द)

होली एक ऐसा त्योहार है जिसका नाम सुनते ही हमारे मन मे रंगो का प्रतिबिम्ब बन जाता है। यह त्योहार पूरे भारत मे धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन माह यानी मार्च के महीनें मे मनाया जाता है। इस त्योहार को खुशी, जश्न और मौज मस्ती का त्योहार कहा जाता है।

होली का त्योहार रंगो के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। छोटी होली के दिन पूजा की जाती है, और दुलहंडी के दिन रंगो और पानी के साथ होली के पर्व को धूम धाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को रंगो से भरा त्योहार माना जाता है। यह त्योहार हिंदु धर्म मे बेहद महत्व रखता है। भारत और भारत के कुछ पडोसी देशो मे यह त्योहार पूरी श्रद्धा और पूरे जोश के साथ मनाया जाता है।

हर धर्म के लोग इस अनोखे त्योहार को प्रेम के साथ मनाते है। इस त्योहार के साथ वसंत का समय भी शुरू हो जाता है। वसंत के माह मे पूरा पर्यावरण बेहद खूबसूरत हो जाता है। पौधो पर नए फूल आ जाते है जिससे प्रकृति की खूबसूरती निखर जाती है।

होली का पर्व

फाल्गुन माह के अंतिम दिन पर होली मनाई जाती है। सभी लोग विभिन्न प्रकार की लकड़ियां इकट्ठा करते है और रात के समय मिलजुल कर भुसे और लकडी के बडे ढेर मे आग लगा कर त्योहार मनाते है और पूजा करते है। सभी लोग ढोलक और ढोल को बजा कर गाने गाते और नाचते है। जैसे ही होली के ढेर का दहन हो जाता है सभी लोग वापस अपने घर चले जाते है।

दूसरे दिन मुख्य त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सभी लोग आपस मे रंग लगा कर बधाई देते है। गले मिलते है, बडे बुर्जुर्ग आशीर्वाद देते है और हम उम्र लोग आपस मे रंगो और पानी के साथ त्योहार का आनंद लेते है। सभी लोग सारे मतभेद भूल कर होली खेलते है उस समय कोई दूसरे धर्म का नही होती कोई अमीरी गरीबी नही होती सभी लोग मिलकर बस जशन मनाते है। छोटे बच्चे सभी पर रंगीन पानी से भरी पिचकारी से पानी डालते है।

होली के दिन हर कोई खुशी से झूम रहा होता है वे नाचने, गाने और उत्सव मनाने मे व्यस्त होते है। शाम के समय सब अपने दोस्तो और रिशतेदारो से मिलने उन्के घर जाते है। होली के थकावट भरे जशन के बाद लजीज पकवानो से सभी अपना पेट भरते है।

होली क्यो मनाते है?

होली का त्योहार मनाने के पीछे एक बहुत पुरानी और मनोरंजक कहानी जुड़ी है।

होली त्योहार को अपना नाम होलिका से मिला जो राक्षस हिरणयकश्यप की बहन थी। हिरणयकश्यप को भगवान विष्णु से यह वरदान मिला था कि उसे न कोई दिन मे मार सकता है ना ही रात मे, उसे ना कोई मनुष्य मार सकता है ना ही कोई जानवर, उसकी मृत्यु घर मे नही होगी और बाहर भी नही, वो ना ही जमीन पर मरेगा ना ही आसमान मे। इस वरदान के कारण हिरणयकश्यपम अत्यधिक घमंड आ गया और उसने ऐलान कर दिया कि सभी लोग मेरी पूजा करेंगे भगवान की पूजा नही होगी।

परंतु भक्त प्रहलाद ने अपने पिता के वचनो का पालन नही किया और भगवान विष्णु की भक्ति की जिससे हिरणयकश्यप को क्रोध आ गया। हिरणयकश्यप ने यह आदेश दिया कि प्रहलाद को पहाड से फेक दिया जाए परंतु प्रहलाद को कोई चोट नही लगी। राक्षस हिरणयकश्यप ने प्रहलाद को कुए मे फिकवाया परंतु उसे खरोच तक नही आई, बाद मे हिरणयकश्यप ने प्रहलाद को जहर दिया और वो जहर शहद मे बदल गया। विशालकाय हाथीयो को प्रहलाद के पीछे छोडा गया पर प्रहलाद को कोई हानि नही हुई।

अगली बार प्रहलाद के पिता ने सांपो के बंद कमरे मे प्रहलाद को बंद कर दिया पर प्रहलाद जीवित वापस आ गया। अंत मे हिरणयकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया और उसे कहा कि तुम प्रहलाद को लेकर आग मे बैठ जाओ। होलिका को आग से बचाने के लिए एक शोल दे दिया गया था। पर एक हवा के झोके से शोल प्रहलाद पर आ गिरा और होलिका का शोल हट गया जिसके कारण प्रहलाद बच गया और होलिका बच गई। भगवान विष्णु ने एक ऐसा अवतार लिया जो ना तो इंसान था और ना ही जानवर।

वह अवतार आधा मनुष्य था और आधा शेर था उस अवतार ने हिरणयकश्यप को शाम के समय उसके घर की दहलीज पर मार गिराया। इसलिए हर वर्ष होलिका दहन होता है और दर्शाता है कि बुराई हमेशा हारती है। होली को होलिका दहन के अगले दिन मनाया जाता है। होली मनाने का एक कारण यह भी है कि यह वसंत की शुरूआत का संदेश देती है। नई उर्जा और नए जीवन की महत्वता यह त्योहार बताता है।

होली का महत्व

होली हिंदु धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह एक मौज मस्ती और ऊर्जा से भरा त्योहार है। यह त्योहार हमे दोस्ती करने व अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करता है। यह पर्व हमे सीखाता है कि अगर हम एक दिन के लिए सभी भेदभाव, लडाई झगडे भूल जाए, अमीरी गरीबी का फर्क भूल जाए तो हम खुशी खुशी रह सकते है।

होली के कुछ ‘रावण’

होली के दिन कुछ लोग शराब पीकर इस सुंदर पर्व को खराब करते है। कुछ लोग बदतमीजी से व्यवहार करते है और हानिकारक रंगो का प्रयोग करते है।

इसके अलावा कई लोग जश्न के नाम पर लोगों को परेशान करते हैं। ऐसे में हमें ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए।

अंत मे बस इतना ही कि हमे अपनी सेहत और त्वचा का ध्यान रख कर होली खेलनी चाहिए। सभी को अपनी आँखों का ध्यान रखना चाहिए। पानी की बरबादी कम करे। इस खुशनुमे त्योहार को बेहद प्यार से मनाए और मिठाइयाँ बांटकर खुशियाँ फैलाएं।

होली का निबंध, holi essay in hindi (1500 शब्द)

होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जिसे पूरे भारत और साथ ही उपमहाद्वीप के अन्य देशों में बहुत मज़े और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली के जश्न के रीति-रिवाज भारत के विभिन्न क्षेत्रों के बीच भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इन सभी में रंगों के साथ खुशी का खेल शामिल है।

यह चंचल साहसी के साथ-साथ भोजन वालों के लिए, और बच्चों के लिए एक बहुप्रतीक्षित त्योहार है। फाल्गुन माह में मनाया जाने वाला त्योहार वसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। उत्सव आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार फरवरी के अंत या मार्च के मध्य में आता है।

होली – रंग, खुशी और प्यार का त्योहार:

होली अन्य हिंदू त्योहारों से इस तरह से अलग है कि इसमें किसी भी देवता की वंदना की आवश्यकता नहीं है, जैसा कि अन्य त्योहारों के साथ अनिवार्य है। त्यौहार शुद्ध आनंद का आह्वान करता है, जिसमें कोई धार्मिक दायित्व नहीं है।

रंगों के बिना होली के उत्सव की कल्पना करना असंभव है। यह वास्तव में भी कहा जाता है- रंगों का त्योहार। लोग स्थानीय रूप से गुलाल कहे जाने वाले रंगीन पाउडर से खेलते हैं। वे दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर गुलाल छिड़कते हैं, एक दूसरे को “हैप्पी होली” और गले मिलते हैं। बच्चों को विभिन्न प्रकार की पानी की बंदूकों (पिचकारी) के साथ समूह में खेलते देखा जा सकता है।

घरों और सड़कों पर सभी सुंदर और चमकीले लाल, पीले, नीले, नारंगी और बैंगनी रंग के संयोजन के साथ रंगीन होते हैं। सर्दियों की सर्द हवाओं के साथ, लोग कपड़े खो देते हैं और रंगों और रंगीन पानी के साथ एक-दूसरे को छिड़कते हैं। सभी को टिप से पैर की अंगुली तक अलग-अलग रंगों में चित्रित किया गया है; इतना ही, कि एक-एक निकटतम मित्र को पहचानने में भी एक-दो क्षण लग जाते हैं।

होलिका दहन की पौराणिक कथा (holi story in hindi)

फाल्गुन के हिंदू महीने में पूर्णिमा (पूर्णिमा) की शाम को शुरू होने वाला होली एक दो दिवसीय त्योहार है। दूसरे दिन सुबह रंग होली खेली जाती है।

होली के पहले दिन को चोती (छोटी) होली कहा जाता है और शाम को होलिका दहन की एक रस्म का पालन किया जाता है। बाजार, सड़कों, गलियों, कॉलोनियों आदि में सड़क के जंक्शनों या अन्य उपयुक्त स्थानों पर बोनफ़ायर बनाए जाते हैं। लोग अपने पुराने सामानों को आग में जलाते हैं, उनकी ईर्ष्या, घृणा और दुश्मनी की भावनाओं को जलाने के लिए प्रतीकात्मक। अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होलिका दहन की आमतौर पर स्वीकृत किंवदंतियों में से एक दानव राजा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है। प्रह्लाद भगवान विष्णु का प्रबल भक्त था; इसने हिरण्यकश्यप को, जो खुद को भगवान के रूप में समझता था, को अमरता का वरदान दिया जो उसे प्रदान किया गया था। हालाँकि, उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु की पूजा करने के संकल्प में अडिग था और अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से इनकार कर दिया।

अपने ही पुत्र द्वारा निर्वासित, हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और प्रह्लाद को यातना के अधीन करना शुरू कर दिया, ताकि वह उसे मनाने के लिए राजी हो जाए। जब प्रह्लाद ने नियमित रूप से मना कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को उसके साथ जलती हुई चिता पर बैठने के लिए छल करने की साजिश रची। होलिका को आग में जलने से अपनी सुरक्षा प्रदान करने का वरदान प्राप्त था। बुराई की योजना प्रह्लाद को चिता में जलाने की थी, जबकि होलिका को वरदान की रक्षा होगी।

होलिका अंततः प्रह्लाद को अपने साथ चिता में बैठने के लिए सहमत करने में सफल रही। प्रह्लाद सहमत हो गया क्योंकि उसे अपने देवता विष्णु पर अत्यधिक विश्वास था। होलिका अपनी गोद में बच्चे प्रह्लाद के साथ चिता में बैठ गई। जैसे ही चिता जलाई गई, भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और वरदान के बावजूद होलिका जलकर राख हो गई। होलिका को दिया गया वरदान काम नहीं आया, क्योंकि; अमरता उसे केवल तभी दी गई थी जब वह अकेले अग्नि में प्रवेश करती है।

इस प्रकार, लोग बुराई की होलिका को जलाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से चोती होली पर चिता जलाते हैं और अगले दिन रंगारंग समारोहों का स्वागत करते हैं।

बरसाना में लट्ठ मार होली:

मथुरा के पास एक छोटे से शहर बरसाना में राधा रानी मंदिर के परिसर में, सदियों से लठ मार होली का रिवाज मनाया जा रहा है। आस-पास के नंदगाँव के लोग बरसाना आते हैं जहाँ महिलाएँ लाठी से मारती हैं, जिसे पारंपरिक रूप से हिंदी में लाठियाँ कहा जाता है। दूसरी ओर, पुरुष खुद को ढाल के साथ सुरक्षित रखेंगे और जो पकड़े गए वे महिलाओं के परिधान पहनकर नृत्य करेंगे।

बरसाना की लठ मार होली इतनी लोकप्रिय हो गई है कि लाखों देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी सैलानी भी इस समारोह का गवाह बनने के लिए बरसाना आते हैं।

अपने अवरोध छोडो और रंगों के साथ खेलो:

होली के त्योहार का एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के साथ-साथ सामाजिक संबंधों पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह आपके शर्म को त्यागने और नए दोस्त बनाने का त्योहार है। रंगों से खेलने के बजाय नए दोस्त बनाने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है?

त्योहार आपको आंतरिक आनंद की पहचान करने में मदद करता है, जो आपके अंदर दबा हुआ था। अपनी शर्म, झिझक और उन सभी भावनाओं को त्यागें जो आपको दैनिक जीवन में वापस रखती हैं। अपनी तरफ से थोड़े से प्रयास से, आप रंग, प्रेम और आनंद की एक नई दुनिया में स्थानांतरित हो जाएंगे।

बिना किसी हिचकिचाहट के आप जो भी कर सकते हैं उस पर स्प्रे रंग डालें, इस प्रकार, आप नए दोस्त बनाएंगे और निश्चित रूप से समारोहों को याद रखेंगे। आपको बस इतना करना है कि अपने सभी अवरोधों को बहाकर अपनी आत्मा को हल्का करना है।

क्षमा करने और भूलने का समय:

होली खुशी का त्योहार है। सच्चा आनंद शरीर के बजाय आत्मा का विषय है। यदि हम शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, लेकिन किसी के प्रति घृणा या दुश्मनी की भावना रखते हैं, तो हम सच्चे अर्थों में खुश नहीं हो सकते। चाहे आपने किसी पर गलत किया हो या किसी ने आप पर गलत किया हो, दोनों ही मामलों में यह आपके भीतर का आनंद है जो ग्रस्त है।

होली का उत्सव आपकी दुश्मनी को दोस्ती में बदलने या टूटे रिश्ते को सुधारने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है। अपनी सारी घृणा बहाओ और पापी को क्षमा कर दो, या यह भूल जाओ कि किसी ने या किसी चीज ने तुम्हें नाराज किया है या तुम्हें दुखी किया है। जब हम सभी बुरी भावनाओं को बहा देंगे और खुशी और एक नई दुनिया के लिए अपनी बाहें खोलेंगे, तो हम अधिक खुश होंगे।

दोस्तों और रिश्तेदारों के घरों में जाने का रिवाज़ होली के मौसम के दौरान एक प्रमुख अनुष्ठान है। होली के उत्सव के बाद भी यह रिवाज हफ्तों तक जारी रहता है। टूटे हुए रिश्तों को सुधारने या भुला दिए गए लोगों को नवीनीकृत करने का सबसे अच्छा समय है।

भारतीय होली में मिठाइयों का महत्त्व:

होली निस्संदेह रंगों का त्योहार है, लेकिन यह उन लोगों के लिए भी मिठाई का त्योहार है जो मिठाई और अन्य माउथवॉटर व्यंजनों की भूख के साथ हैं। भारत के विभिन्न कोनों में होली के दौरान सैकड़ों वस्तुतः मुंह में पानी लाने वाले व्यंजन हैं। भारत के हर क्षेत्र और संस्कृति की अपनी एक अलग पहचान है।

हवा मीठी सुगंध के मिश्रण से भर जाती है और कई तली हुई व्यंजनों का सार हर घर में बहुतायत में तैयार किया जाता है। घुइया, उत्तर भारत में लोकप्रिय एक स्वादिष्ट व्यंजन है, जो खोये (एक प्रकार के दूध से भरा भोजन) और नट्स से भरे हुए गहरे आटे की जेब से तैयार किया जाता है, यह मेरे पसंदीदा में से एक है। दही वड़ा एक और होली विनम्रता है जिसकी जड़ें उत्तरी भारत में हैं।

महाराष्ट्र राज्य में, होली के त्योहार के दौरान पूरन पोली तैयार की जाती है। यह महाराष्ट्र का त्योहार भी पसंदीदा है और लगभग सभी त्योहारों में तैयार किया जाता है। यह मूल रूप से मीठे चने की दाल से भरी चपटे आटे की चपाती है।

इस होली सिंथेटिक रंगों को ना कहो:

होली रंगों का त्यौहार होने के कारण, कई अस्थायी दुकानों को चीक रंगों की बिक्री करते देखा जा सकता है। पाउडर के रूप में उपलब्ध रंग अक्सर तांबा, पारा, एल्यूमीनियम और सीसा जैसी जहरीली धातुओं का निर्माण करते हैं। उनमें हानिकारक डाई और पेंट भी हो सकते हैं, जो मनुष्यों द्वारा उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

सस्ते सिंथेटिक रंगों का उपयोग, कई बीमारियों के परिणामस्वरूप, हल्के त्वचा के चकत्ते से कैंसर के रूप में गंभीर हो सकता है। त्वचा के घावों, जलन और आंखों में जलन के मामले होली के त्योहार के दौरान दिखाई देते हैं, संभवतः रंगों में विषाक्त यौगिकों के कारण। सिंथेटिक रंग अक्सर मकई स्टार्च या आटे के आधार के साथ तैयार किए जाते हैं, जिनके संदूषण से स्थिति सबसे खराब हो जाती है।

सौभाग्य से, लोग सिंथेटिक रंगों के हानिकारक प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक हो रहे हैं। स्वाभाविक रूप से व्युत्पन्न रंगों का उपयोग करने का रिवाज विकसित हो रहा है और व्यापक रूप से प्रचलित हो रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त रंगों पर स्विच करके, हम न केवल अपने स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के स्वास्थ्य को भी बचाते हैं। मिट्टी या जल संसाधनों में प्रवेश करते समय प्राकृतिक रंग उन्हें प्रदूषित नहीं करते हैं जैसे सिंथेटिक रंग करते हैं।

प्राकृतिक रंग प्राकृतिक हानिरहित खनिजों जैसे गुलाल, मेहंदी, हल्दी आदि से प्राप्त होते हैं। फूलों का उपयोग रंगों के उत्पादन के लिए भी किया जाता है, जैसे गुलाब से लाल रंग उत्पन्न होता है; पीला रंग सूरजमुखी से उत्पन्न होता है। इसके अलावा, पौधों और फूलों से कई प्राकृतिक रंग डाई का उत्पादन किया जा सकता है।

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें।

अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों की मरम्मत करें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Holi Essay in Hindi: होली पर निबंध यहां देखें

होली का त्योहार नजदीक आ गया है। ऐसे में स्कूलों से लेकर कुछ संस्थाओं में होली पर निबंध लेखन दिया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपके बीच होली पर निबंध बताने जा रहे हैं। साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि किस तरह से निबंध लिखा जाए।.

Kishan Kumar

रंगों का त्योहार यानि होली नजदीक आ गया है। उत्साह, उल्लास और उमंग के इस त्योहार के रंग में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सराबोर हो जाता है। यही वजह है कि इस त्योहार का रंग हर उम्र के लोगों पर चढ़कर बोलता है। वहीं, त्योहार के नजदीक आते ही कुछ स्कूलों से लेकर संस्थानों में भी होली पर निबंध लेखन दिया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपके के साथ होली पर निबंध के साथ निबंध लिखने के कुछ टिप्स भी साझा कर रहे हैं, जिससे आप एक अच्छा लेख लिखकर अपने सहपाठियों या सहकर्मचारियों के बीच अच्छा इंप्रैशन जमा सके।

क्या होता है निबंध

निबंध एक गद्य रचना होती है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध तरीके से लिखी जाती है।

क्या होते हैं निबंध के विषय

निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। ये विषय सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक और अन्य हो सकते हैं।

कैसे लिखें अच्छा निबंध

1.निबंध लेखन से पहले विचार करें कि किस विषय पर निबंध लिखना है। इसके बाद उस विषय पर विभिन्न स्त्रोतों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करें।

2.निबंध लिखते हुए ध्यान रखें कि भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे आपका लिखा हुआ किसी भी व्यक्ति के समझ में आ जाए।

3.लेखन के दौरान अपने विचारों को क्रमबद्ध रूप से स्पष्ट करें, किसी भी लाइन को किसी भी लाइन के साथ जोड़ने से बचें।

4.भाषा संबंधी गलती से बचना चाहिए। हिंदी के निबंध में मात्राओं का विशेष ध्यान रखें।

5.लेखन के दौरान दोहराव से बचना चाहिए। प्रत्येक नए पैराग्राफ में कुछ नया बताएं।

6.निबंध लिखने के बाद उसे एक बार जरूर पढ़ लें, जिससे सुधार की जरूरत होने पर उसमें सुधार किया जा सके।

7.निबंध कॉपी के एक या दो पेज से अधिक नहीं होना चाहिए।

होली पर निबंध

विविधता पूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक त्यौहार है होली, जो आपस में प्रेम और सद्भावना को मजबूत बनाए रखता है। उत्साह, उल्लास और उमंग का यह पर्व सर्दी की विदाई के साथ फागुन की शुरुआत में आता है। होली का यह पर्व फागुन महीने की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगोत्सव यानी रंगों से होली खेलकर उत्सव मनाया जाता है। होली के अवसर पर फाग गाने की भी परंपरा है, जिसमें ढोलक और मंजीरे के साथ गीत गाए जाते हैं। इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल- अबीर लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। वहीं, पुराने गिले-शिकवे भी बुलाए जाते हैं।

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एक रात और एक पूरे दिन का पर्व

होली का यह पर्व एक रात और एक पूरे दिन तक मनाया जाता है इसकी शुरुआत छोटी होली से शुरू हो जाती है। इस दिन किसी बड़े पार्क या खुली जगह पर लकड़ियों को इकट्ठा कर जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। वहीं, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी याद किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु द्वारा हिरनाकश्यप पर की गई जीत के लिए भी याद किया जाता है। 

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अलग-अलग नाम से होती है होली

भारत में अलग-अलग राज्यों में इस पर्व की अलग ही छटां देखने को मिलती हैं। इस पर्व को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे धुलंडी व रंग होली आदि। इस पर्व को लेकर खास तौर पर बच्चों में अधिक उत्साह देखने को मिलता है। बच्चे इस दिन रंग और पानी के साथ होली खेलते हैं।

अलग-अलग तरह की होती है होली

भारत के विभिन्न राज्यों में अनूठे अंदाज में होली खेलने की परंपरा है। उत्तर प्रदेश में लठ मार होली खेली जाती है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों को डंडे से मारने का अधिकार दिया जाता है। वहीं, पुरुष को बचने के लिए एक ढाल दी जाती है। उत्तर भारत के राज्य हरियाणा में हंटर वाली होली खेलने का चलन है। इस होली में महिलाएं पुरुषों को कोड़े मारती है, जो कि कपड़े को गीले कर बनाए गए होते हैं। भारत में इस तरह से होली खेलने की परंपरा कई वर्षों से है।

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होली पर निबंध 2023 | Holi Essay in Hindi 300-400 शब्द

essay on holi in hindi class 10

होली का पर्व हिन्दुओं के द्वारा मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। हर भारतवासी होली का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। सभी लोग इस दिन अपने सारे गिले, शिकवे भुला कर एक दुसरे को गले लगाते हैं। होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ता है और रिश्तों में प्रेम और अपनत्व के रंग भरता है। हमारी भारतीय संस्कृति का सबसे ख़ूबसूरत रंग होली के त्योहार को माना जाता है। सभी त्योहारों की तरह होली के त्योहार के पीछे भी कई मान्यताएं प्रचलित है। होली कैसे मनाते है , होली का महत्व क्या है , होलिका कौन थी इन सभी की जानकारी हम आपको अपने इस पोस्ट के जरिये देंगे। इसके साथ स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों से होली पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। हमारे इस पोस्ट से छात्र होली के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं जिससे वे स्कूल या कॉलेज में अच्छे से निबंध प्रतियोगिता में भाग ले सकें।

  • होली पर निबंध

होली हर साल फाल्गुन ( मार्च ) के महीने में महीने में विभिन्न प्रकार के रगों के साथ मनाई जाती है। सभी घरों में तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं। होली हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार के रूम में जाना जाता है। होली सिर्फ हिन्दुओं ही नहीं बल्कि सभी समुदाय के लोगों द्वारा उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का त्योहार लोग आपस में मिलकर, गले लगकर और एक दूसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। इस दौरान धार्मिक और फागुन गीत भी गाये जाते हैं। इस दिन पर हम लोग खासतौर से बने गुजिया, पापड़, हलवा, आदि खाते हैं। रंग की होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। 

होली पर निबंध (400 शब्दों में)

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास है। प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम के एक असुर हुआ करता था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था। हिरण्यकश्यप के एक पुत्र थे जिसका नाम प्रह्लाद था। वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी था। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत रोका। लेकिन प्रह्लाद ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया। इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन जिस पर विष्णु की कृपा हो उसे क्या हो सकता है और प्रह्लाद आग में सुरक्षित बचे रहे जबकि होलिका उस आग में जल कर भस्म हो गई।

यह कहानी ये बताती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी सभी लोग लकड़ी, घास और गोबर के ढ़ेर को रात में जलाकर होलिका दहन करते हैं और उसके अगले दिन सब लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालकर होली खेलते हैं। होली हर साल फाल्गुन महीने में मनाई जाती है। जैसे जैसे होली का त्योहार पास आता है हमारा उत्साह भी बढ़ता जाता है। होली सच्चे अर्थों में भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिसके रंग अनेकता में एकता को दर्शाते हैं। लोग एक दूसरे को प्रेम-स्नेह की गुलाल लगाते हैं , सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, लोकगीत गाये जाते हैं और एक दूसरे का मुँह मीठा करवाते हैं।

भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। आज भी ब्रज की होली सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। लठमार होली जो कि  बरसाने की है वो भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी तरह मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाते हैं। कुमाऊँ की गीत बैठकी होती है जिसमें शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। होली के कई दिनों पहले यह सब शुरू हो जाता है। हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा प्रचलित है। विभिन्न देशों में बसे हुए प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग तरीके से होली के शृंगार व उत्सव मनाया जाता है। जिसमें अनेक समानताएँ भी और अनेक भिन्नताएँ हैं।

होली लेखन हिंदी में

  • होली पर भाषण
  • होली पर बधाई संदेश
  • होली पर 10 पंक्तियाँ

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होली पर निबंध 10 lines (Holi Essay in Hindi) 100,150, 200, 250, 300 शब्दों मे Long and Short Essay in Hindi

essay on holi in hindi class 10

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। मार्च में पूर्णिमा के दिन भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन “ होलिका दहन ” (Holika Dahan) मनाते हैं और चारों ओर इकट्ठा होते हैं और लकड़ी और गाय के गोबर के ढेर जलाते हैं, और होली से संबंधित भजन गाते हैं।

फिर अगले दिन, सभी उम्र के लोग “गुलाल” नामक रंगों और “दुलाहांडी” नामक रंगीन पानी के साथ खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और “गुजिया” नामक दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाई खाते हैं और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेली जानी चाहिए। उपयोग किए गए गुलाल को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और जहां भी यह संपर्क में आता है। लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है। होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शिक्षण संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Holi 10 lines in Hindi)

  • होली भारत में मुख्य रूप से हर साल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
  • मार्च वह महीना है जब देश में ज्यादातर होली मनाई जाती है, कभी-कभी यह त्योहार दो दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है,
  • भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग तरीकों से होली मनाते हैं और प्रत्येक उत्सव अद्वितीय और सुंदर होता है।
  • होली से एक दिन पहले, एक अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दानन’ कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे हर कोई खेलता है।
  • लोग एक विशाल अलाव बनाते हैं और विभिन्न समारोह करते हैं, और इस तरह ‘होलिका दानन’ दिखाया जाता है।
  • होली एक खुशी और खुशी का त्योहार है जो सभी को खुश करता है।
  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होली के उत्सव की शुरुआत राधा और कृष्ण ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार से मिलते हैं और दोस्त एक दूसरे को उत्सव के रूप में रंग लगाते हैं।
  • उत्तर भारत में होली मनाने के तरीके के रूप में गीत गाने की परंपरा है।
  • होली के लिए कई अनोखी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सबसे आम में से एक है ‘गुजिया’।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (short Essay on Holi in 100 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रंगों, खुशी और दोस्ती का त्योहार है। यह मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं। होली को और रंगीन बनाने के लिए लोग वाटर गन, पिचकारी और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं।

लोग अपनी दुश्मनी भूलकर रंगों का त्योहार मनाते हैं। लोग सफेद कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन मिठाई और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग अपनों को उपहार बांटते हैं। होली एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है।

इनके बारे मे भी जाने

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होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) -होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार वसंत ऋतु में दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत त्योहार से एक रात पहले होलिका दहन से होती है और अगले दिन को होली कहा जाता है।

होली के मौके पर लोगों में काफी खुशी है। वे अपनी चिंताओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। वे स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। उन्होंने नए कपड़े पहने। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे दूसरों के चेहरों पर रंगीन पाउडर बिखेरते हैं। वे गाते हैं, नाचते हैं और उछल-कूद करते हैं। वे ढोल बजाते हैं और होली के गीत गाते हैं। वे लगभग खुशी से पागल हैं। वे भूल जाते हैं कि वे क्या हैं। शाम को वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलने जाते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। वे दूसरों के चेहरे पर अबीर का धब्बा लगाते हैं।

होली एक खुशी का अवसर है जब हम सभी के साथ खुलकर घुलमिल जाते हैं। हम अमीर और गरीब के बीच के सामाजिक भेद को भूल जाते हैं। त्योहार का यह रंग लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।

होली निबंध 200 शब्दों में (Holi Essay in 200 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार उनमें से एक है। होली रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह वसंत की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। प्रकृति अपनी गहरी नींद से जागती हुई प्रतीत होती है। पेड़ नए पत्ते लाते हैं। फूल खिलने लगते हैं।

इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।

लेकिन कुछ लोग होली को बहुत ही अश्लील तरीके से मनाते हैं। वे शराब पीते हैं और हंगामा करते हैं। वे झगड़ा करते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं। वे दूसरों पर कीचड़ और गंदगी फेंकते हैं। ऐसी बुराइयों को रोकना चाहिए। लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करने के बजाय खुशी और उल्लास लाने के लिए त्योहार मनाए जाने चाहिए।

होली निबंध 250 शब्दों में (Holi Essay in 250 words in Hindi)

Essay on Holi – कई संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के देश के रूप में, भारत पूरे वर्ष अपने कैलेंडर में अनगिनत त्योहार मनाता है। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात त्योहारों में, हम होली को सरल शब्दों में रंगों का उत्सव पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम थोड़ा गहरा गोता लगाते हैं, होली अपने साथ कई अर्थ और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व लेकर आती है।

होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।

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होली निबंध 300 शब्दों में (long Essay on Holi in 300 words in Hindi)

Essay on Holi – होली का त्योहार हर साल मार्च (फागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे एकता, प्रेम, खुशी, खुशी और जीत के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी का इजहार करने के लिए इस त्योहार को चमकीले और आकर्षक रंगों में खेलते हैं। इसका अपना महत्व है साथ ही इसे मनाने के कई कारण, कहानियां और मान्यताएं भी हैं।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे। इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।

इस त्योहार के मौके पर सभी अपने अपनों से मिलते हैं, रंग और अबीर से होली खेलते हैं, साथ ही कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो एक दूसरे के लिए खुशी दर्शाती हैं। ऐसे में लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के साथ जश्न मनाते हैं.

होली निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हिंदी में (FAQs)

होली किस महीने में मनाई जाती है.

जिस महीने मार्च में होली मनाई जाती है वह देश में गर्मी का चरम होता है।

होली का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?

होली का त्योहार ज्यादातर पांच दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे पांच दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है।

क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?

होली भारत में मनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने देश में इस त्योहार के आयोजन में हिस्सा लिया है।

प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सिफारिश क्यों की जाती है?

देश ने कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न तीव्रता के त्वचा रोगों में वृद्धि देखी है।

होली मनाने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?

भारत का हर हिस्सा अपने तरीके से मनाता है लेकिन मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा में होली का भव्य उत्सव मनाया जा सकता है।

Chhoti Badi Baatein

  • हिंदी निबंध संग्रह - Hindi Essay Collection

होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) – होली क्यों मनाई जाती है?

Holi par nibandh in Hindi (Essay on Holi in Hindi) – साल भर मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे संस्कृति प्रधान देश में कई रंग-बिरंगे और विविध त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से होली का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है, जिसे आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का पर्व कहा जाता है।

होली भारत की विविध संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह को बनाए रखने की भूमिका निभाता है।

इस लेख में हम होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी साझा करने जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि विभिन्न शब्द संख्याओं में उपलब्ध यह Holi ka nibandh (होली पर निबंध) सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

(होली की जानकारी और छोटे-बड़े निबंध – Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

होली पर निबंध – 1  (250 शब्दों में) (Holi Essay in Hindi)

प्रस्तावना:

होली भारत में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत लोकप्रिय त्योहार है। होली का मुख्य दिन फाल्गुन पूर्णिमा है, जो मार्च या अप्रैल के बीच में पड़ता है।

होली त्योहार क्या है?

होली एक हिंदू त्योहार (Hindu festival) है जो भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इसे “फागू पर्व (Fagu festival)” भी कहा जाता है क्योंकि इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं और यह रंगों से भरा होता है। 

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो फरवरी या मार्च के महीने में आता है। 

लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंगों से रंगते हैं। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा होली पर लोग एक दूसरे के साथ मिठाइयां खाने का भी लुत्फ उठाते हैं। 

भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है, जैसे उत्तर भारत में लोग लोहड़ी जलाते हैं और मथुरा और वृंदावन में ब्रज भूमि के रंगोत्सव का आयोजन किया जाता है।

हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन इस त्योहार में विभिन्न समुदायों के लोग उत्साह और उमंग के साथ एक साथ आते हैं, जो वयस्कों को भी बचकाना बना देता है।

होली का उत्सव और वसंत ऋतु का आगमन अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और ऊर्जा को चारों ओर फैला देता है जैसे आकाश में गुलाल बिखर जाता है।

निष्कर्ष: 

होली एक सामाजिक और धार्मिक त्योहार है, जो लोगों को एक साथ आने और पुरे उत्साह के साथ आनंद का अनुभव करने का मौका देता है।

होली पर निबंध – 2  (600 शब्दों में) (Essay on Holi in Hindi)

भारत देश में विविध संस्कृति के साथ कई त्यौहार मनाए जाते हैं। होली, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इस दिन लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं, रंग लगाते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटते हैं। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नाचते हैं और मिठाई खाते हैं। 

होली का आगमन और उत्सव

होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने-अपने तरीके से होली के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं। इस समय फागुन मास की शुरुआत ठंड को विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम सुहावना होने लगता है।

इस पर्व पर फाग गीतों की भी परंपरा रही है; फाग लोकगीतों के बिना यह पर्व कुछ अधूरा सा लगता है। पहले फाग सुनने से ही लोगों को पता चल जाता था कि होली आने वाली है।

खासकर बच्चों में होली के त्योहार को लेकर खासा उत्साह होता है। वे काफी पहले से ही होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। 

वैसे तो गांवों में लकड़ियां आसानी से मिल जाती है, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर, लकड़ी के बेकार सामान आदि से ही होलिका दहन की व्यवस्था करते हैं। इसके साथ ही होलिका तैयार करने में सभी वर्ग के लोग लकड़ी का योगदान करते हैं।

लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ तरह-तरह के रंग और गुलाल की खरीदारी करने लगते हैं। महिलाएं होली के त्योहार पर घर आने वाले लोगों के लिए मिठाई, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है।

लोग समूह में एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, “बुरा ना मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि लोग इस दिन रंग और गुलाल लगाने के लिए स्वतंत्र हैं और इससे किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।

होली में रंगों का क्या महत्व है?

होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है। तरह-तरह के रंगों में सराबोर चेहरे, कपड़े सबके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस त्योहार के रंगों में बुजुर्गों को भी बच्चों में बदलने की ताकत है।

होली को और किन नामों से जाना जाता है?

होली को आमतौर पर सभी राज्यों में होली के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर होली को आका, डोल भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत और नेपाल में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • होली: भारत में होली नाम से जाना जाता है और यह फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • फागु पूर्णिमा: उत्तर प्रदेश और बिहार में यह फागु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • दोल यात्रा: बंगाल में होली को दोल यात्रा के नाम से जाना जाता है।
  • बसंतोत्सव: होली को भारत के कुछ हिस्सों में बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • फाल्गुन महोत्सव: नेपाल में होली को फाल्गुन महोत्सव के नाम से जाना जाता है।

शहरी संस्कृति ने “होली मिलन” कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनीतिक दल, संगठन बड़े पैमाने पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं।

  • भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि कई देशों में भी होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली खुशी और एकता के साथ मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ रंगों से खेलते हैं, मस्ती करते हैं और सभी गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।

होली पर निबंध – 3  (1300 शब्दों में) (Holi par nibandh in Hindi)

होली एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो फरवरी और मार्च के बीच आता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।

होली का इतिहास

पुराणों के अनुसार होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने स्वयं को देवता मानकर अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और दिन-रात हरि भक्ति में लगा रहता था।

राजा हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद का यह व्यवहार बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने प्रह्लाद का मन बदलने की हर संभव कोशिश की। ऐसे में जब प्रह्लाद को किसी भी तरह से भगवान की पूजा करने से रोकने में सफलता नहीं मिली तो उसने प्रह्लाद को मारने का आदेश दे दिया।

जब हाथी के पैरों तले कुचलकर पहाड़ से फेंके जाने पर भी प्रह्लाद को नहीं मारा जा सका तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

दरअसल होलिका को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ी के ढेर पर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई।

होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसे किसी प्रकार की हानि नहीं हुई, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट कामनाओं के कारण जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

होली मनाने के इतिहास के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह पर्व प्राचीन आर्यों के समय से मनाया जाता रहा है। जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि होली फाल्गुन के महीने में भारत में प्रचलित लोक नृत्यों और गीतों से जुड़ी है।

होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली एक सामाजिक त्योहार है जो बहुत सारी रंगीन और मनोरंजक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ सामाजिक कुरीतियां भी होती हैं जो होली के दौरान देखी जाती हैं। 

कुछ असामाजिक लोग होली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार को भी बदनाम करने से नहीं चूकते। कुछ नशेड़ी और दुराचारी लोग नशीले पदार्थ का सेवन कर बेकाबू हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं।

कुछ लोग होलिका में हानिकारक पदार्थ जैसे टायर, प्लास्टिक आदि जलाते हैं, उन्हें इस बात का अहसास नहीं होता कि इससे पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। 

कुछ अति मौज-मस्ती करने वाले लोग होली के दौरान नाभिक रंग, केमिकल रंग या अन्य अनुचित रंगों का उपयोग दूसरों को लगाने का गंदा काम करते हैं, जिससे लोगों को शारीरिक हानि होने की संभावना रहती है।

यदि इन बुराइयों को होली से दूर रखा जाए तो होली का त्योहार वास्तव में मनुष्य और पर्यावरण के लिए हैप्पी होली बन जाएगा।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली परंपराएं

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृन्दावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। होली की विभिन्न परंपराएं भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों में भी पाई जाती हैं।

ब्रजभूमि की लट्ठमार होली (Lathmar Holi of Braj Bhoomi):- “सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात ब्रज की होली सारे विश्व से निराली है। ब्रज के बरसाना गांव में होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। 

इस होली में बड़ी संख्या में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाना की।

जहां पुरुषों का ध्यान महिलाओं को पिचकारी से सराबोर करने पर होता है, वहीं महिलाएं अपना बचाव करती हैं और उनके रंगों का जवाब लाठियों से मारकर देती हैं।

मथुरा और वृंदावन की होली (Holi of Mathura and Vrindavan):- पूरे भारतवर्ष से परे मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही रंग होता है। यहां होली की धूम 16 दिनों तक रहती है। लोग “फाग खेलन आयो नंद किशोर” और “उदत गुलाल लाल भाए बदरा” जैसे लोक गीत गाकर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

बिहार की फगुनवा होली (Phagunwa Holi of Bihar):- बिहार में तीन दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है। पहले दिन रात को होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्सर दहन भी कहा जाता है और लोग इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। अगले दिन इसकी राख से होली खेली जाती है, जिसे धुलेटी कहा जाता है और तीसरा दिन रंगों से भरा होता है।

पुरुषों और महिलाओं के समूह घर-घर जाते हैं और डोल की ताल पर नृत्य करते हैं। फागुन का अर्थ लाल रंग होता है, इसलिए इसे फगुवा होली भी कहा जाता है।

मध्य प्रदेश की भगोरिया होली (Bhagoria Holi of Madhya Pradesh):- मध्य प्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली खास होती है। इस भील होली को भगोरिया कहा जाता है। इस दिन बड़े हो रहे लड़कों को अपना मनपसंद जीवन साथी चुनने की छूट होती है।

भीलों का होली मनाने का एक विशेष तरीका है। इस दिन वे आम के बाग, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाराष्ट्र की रंगपंचमी (Rangpanchami of Maharashtra):- महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्योहार का मतलब है नाचना, गाना और मस्ती करना होता है। क्योंकि इस त्योहार पर सभी मछुआरे एक-दूसरे के घर जाते हैं और मौज-मस्ती में काफी समय बीत जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली नामक स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाया जाता है।

गुजरात की मटकी फोड़ होली (Gujarat’s Matki Phod Holi):- गुजरात में होली के मौके पर जोशीले युवाओं की टोलियां सड़कों पर नाचती-गाती चलती है। गुजरात में होली का त्यौहार श्री कृष्ण की बाल लीला के उपलक्ष्य में होली के दिन मनाया जाता है। महिलाएं माखन से भरे मटकियों को गलियों में ऊंचाई पर टांगती हैं, पुरुष उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं और गीत-नृत्य के साथ होली खेलते हैं। 

पंजाब का “होला मोहल्ला” (“Hola Mohalla” of Punjab):- पंजाब में होली के इस पर्व को मर्दों की ताकत के तौर पर देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिखों के पवित्र तीर्थ “आनंदपुर साहिब” में छह दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और घुड़सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

हरियाणा की धुलंडी होली (Dhulandi Holi of Haryana):- हरियाणा, भारत में, होली को धुलंडी और सूखी होली के रूप में मनाया जाता है – इसे गुलाल और अबीर के साथ खेला जाता है। इस दिन भाभियों को साल भर परेशान करने वाले अपने देवर को सजा देने की पूरी आजादी होती है।

भाभियां अपने देवरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती हैं और बेचारे देवर चुपचाप सब सह लेते हैं, क्योंकि यह दिन भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है।

राजस्थान में तमाशा होली (Tamasha Holi in Rajasthan):- राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें कलाकार नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच को सजाकर आते हैं और नृत्य और अभिनय से भरपूर अपने पारंपरिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषयवस्तु पौराणिक कथाओं और पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है और इन पात्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करती है।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (“Dol Purnima” Holi of Bengal):- बंगाल और उड़ीसा में होली “डोल पूर्णिमा” के नाम से प्रचलित है। इस दिन भजन-कीर्तन गाते हुए पूरे गांव में राधा-कृष्ण की मूर्ति को जुलूस के लिए निकाला जाता है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली (Holi of Manipur):- होली पर मणिपुर में “थबल चोंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह उत्सव पूरे छह दिनों तक चलता है जिसमें नृत्य-गीत और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं।

होली के दिन लोग अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं और दुश्मनी खत्म करते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और अन्य रंगों से रंगते हैं जो खुशी, प्रेम और मेल-मिलाप की अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं। 

इसके अलावा, होली का अधिक महत्व है क्योंकि यह मानवता के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह ऐसा पर्व है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति की बंधनों की सीमाओं से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है।

होली पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Holi in Hindi)

  • होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
  • यह हिंदुओं के सबसे पसंदीदा और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
  • यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।
  • होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • रंग, गुलाल, पिचकारी और रंग-बिरंगे पानी के गुब्बारों से बच्चे इस त्योहार को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है।
  • इस त्योहार के अवसर पर, सभी लोग जीवन में सभी बुराईयों पर अच्छाई की जीत के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
  • इस मौके पर अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर त्योहार मनाया जाता है।

Q – होली का नाम किसके नाम पर रखा गया है? A – होली का नाम हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।

Q – साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी? A – इस वर्ष होली 08 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : दोस्तों आज हमने होली पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है इस Holi Par Nibandh की सहायता से हमने होली त्योहार को कैसे मनाया जाता है,

इसका इतिहास क्या है और वर्तमान में Holi को किस तरह से भारत और अन्य देशों में मनाया जाता है इस पर हमने विस्तारपूर्वक निबंध लिखा है। यह निबंध हमने विद्यार्थियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए अलग- अलग शब्द सीमा में लिखा है।

Holi Essay in Hindi

Get Some Essays on Holi in Hindi for students under 150, 300, 500 and 1500 words।

Short Holi Essay in Hindi 150 Words

होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। Holi का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल बांग्लादेश अमेरिका ऑस्ट्रेलिया कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है।

यह त्यौहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है जिसने पहले दिन होली दहन किया जाता है जिसमें लकड़ियां और गोबर के कंडे डालकर होलिका दहन किया जाता है।

Holi के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग लगाते है इस दिन भारत में लोग कोई भी जात-पात नहीं देखते सभी एक दूसरे से गले मिलकर खूब धूमधाम से होली को मनाते है।

यह भी पढ़ें – 10+ होली पर कविता – Hindi Poem on Holi

इस त्यौहार को प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि जिस दिन सभी लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर दोस्ती कर लेते हैं और पूरे हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते है। भारत में नंदगांव, वृंदावन और बरसाने की होली बहुत अधिक प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते है।

Essay on Holi in Hindi 300 Words

हिंदू धर्म का होली का त्योहार विश्व प्रसिद्ध है यह त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाया जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है

जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे कोई भी नहीं मार सकता है इसलिए फिर वह वरदान पा कर इतना कुरुर हो गया कि वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दुश्मन था।

हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जो कि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था काफी समझाने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करना नहीं छोड़ रहा था तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से उसे मारने की कोशिश की,

होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान था इसलिए वह प्रहलाद को लेकर जलती आग की चिता पर बैठ गई थी लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलीका जलकर भस्म हो गई।

यह भी पढ़ें –  होली की शायरी – Happy Holi Shayari in Hindi

इसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना गया और होली त्यौहार का उदय हुआ। इसीलिए वर्तमान में लोग अब जगह जगह होली के दिन होलिका का दहन करते है। होलिका का दहन करने के लिए घास फूस और सूखी लकड़ियां साथ में गोबर की बहुत सारे कंडे इस्तेमाल में लिए जाते है।

होलिका दहन से पहले महिलाएं होली की पूजा करती है और इसके बाद होलिका दहन कर दिया जाता है। होली का दूसरा दिन मौज मस्ती का होता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल रंग लगाते है और एक दूसरे को रंग बिरंगे रंगों से रंग देते है।

वृंदावन में फूलों की होली भी खेली जाती है यह त्योहार सच में सौहार्द का त्यौहार है क्योंकि इस दिन सभी लोग अपने देश में भूलाकर दोस्ती कर लेते है।

Holi Par Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए होली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण है हिंदू धर्म को मानने वालों के अनुसार होली का त्यौहार हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है।

इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग बनाते हैं वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है।

यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी खुशी इस त्योहार को मनाते है इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है।

होली मनाने का कारण –

हिंदू धर्म में Holi मनाने का एक प्रमुख कारण है इसके पीछे एक पुरानी कथा जुड़ी हुई है इस कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था जो कि अपनी भक्ति और शक्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध था।

उसे देवताओं से एक वरदान मिला हुआ था जिसके अनुसार उसकी मृत्यु कभी नहीं हो सकती है।

यह भी पढ़ें –  मकर संक्रांति पर निबंध – Makar Sankranti Essay in Hindi

यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा और अपनी प्रजा से स्वयं की पूजा करने को कहने लगा। प्रजा उसके क्रोध के कारण उसकी पूजा भी करने लगी लेकिन कुछ समय पश्चात ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया।

प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त बन गया अपने पिता हिरण्यकश्यप के लाख समझाने के बावजूद भी है भगवान विष्णु की ही पूजा करता था इसलिए हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर अपनी बहन होलिका को अपने ही बेटे को मारने का फरमान सुना दिया। होलिका को वरदान था कि वह किसी भी प्रकार की अग्नि उसे जला नहीं सकती।

होलीका प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।

जिसके बाद यह माना गया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है। इसके बाद से ही होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली की मनाने की प्रक्रिया –

होली त्योहार की तैयारियां लोग कई दिनों पहले से ही करने लग जाते हैं बाजारों में रंग बिरंगे गुलाल नए कपड़े और मिठाइयां बिकने को आ जाती है। बाजारों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है होली के पहले दिन संध्या के समय होलिका दहन किया जाता है। सभी लोग होलिका दहन के बाद एक दूसरे को गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं और पूरे मोहल्ले भर में मिठाइयां बांटते है।

होली का दूसरा दिन धुलण्डी के रूप में जाना जाता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग से रंगते है। और पूरे दिन भर रंगो से खेलते है। इस दिन लोग खूब मौज मस्ती करते हैं और नई मिठाईयां खाते है।

उपसंहार –

होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है इस त्यौहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। इस त्यौहार से में एक और सीखने को मिलती है कि कभी भी हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमारे सोचने समझने की शक्ति को बंद कर देता है।

हमें होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ खूब धूमधाम से मनाना चाहिए।

Long Essay on Holi in Hindi 1500 Words

रूपरेखा –

भारत त्योहारों का देश है इसीलिए आप प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या अधिक है इसलिए यहां पर बहुत त्योहार मनाए जाते है। होली का त्यौहार भी एनी त्योहारों में से एक है लेकिन यह त्यौहार अपनी एक अलग पहचान रखता है।

ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जाता है जा रहा है होली के त्यौहार की कृष्ण की रासलीला में भी जिक्र किया गया है भगवान कृष्ण को भी होली का त्योहार बहुत अधिक प्रिय था। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है साथ ही यह मौज मस्ती का भी प्रतीक है।

होली कब मनाई जाती है –

होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस जोहार को फाल्गुन मास में मनाने की प्रथा है। इस वर्ष 2019 में होली का त्यौहार 20 मार्च 2019 को मनाया जाएगा ।

होली का इतिहास –

होली के त्यौहार का जिक्र है पुराने ग्रंथों में इसे भी देखने को मिलता है जो कि यह बतलाता है कि होली का त्यौहार बहुत बड़ा है। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही अच्छी और प्रसिद्ध कथा है।

पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया जिसके बाद ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को वरदान मांगने के लिए कहा तो विनय कश्यप ने वरदान में मांगा कि उसे ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से उसकी हत्या नहीं की जा सकती है।

हिरण्यकश्यप को यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह सोचने लगा कि वही इस सृष्टि का दाता है और वही सबसे बड़ा भगवान है। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा।

वह भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। प्रजा के कुछ लोगों ने भय वश उसकी पूजा भी करने लगे।

समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम पहलाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था वह सुबह शाम की पूजा करता था। जैसे ही हिरण्यकश्यप को पता चला कि उसका बेटा भगवान विष्णु का भक्त है तो उसने अपने बेटे को समझाने की कोशिश की लेकिन प्रहलाद में अपने पिता की एक बात ने सुनी।

हिरण्यकश्यप को इस बात को लेकर बहुत क्रोध आया और उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया और अपने ही बेटे को मारने को कहा। होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई।

प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली कैसे मनाई जाती है –

होली का पर्व भारत के साथ साथ नेपाल अमेरिका ऑस्ट्रेलिया भूटान कनाडा मॉरिशस जैसे देशों में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है होली के त्यौहार की तैयारियां कई दिनों पहले से ही होनी प्रारंभ हो जाती है। महीनों पहले ही बाजारों में रौनक आ जाती है और बाजार रंग बिरंगी रंगों से सजे जाते है।

Holi मनाने के लिए लोग नए कपड़े खरीदते हैं और खूब सारी मिठाइयां खरीदते है। होली के दिन एक जगह चिन्हित कर ली जाती है जहां पर होली जलाई जानी होती है वहां पर पूरे दिन भर लोग लकड़ियां और गोबर के कंडे इकट्ठे करते है शाम तक यह एक बड़े ढेर में बदल जाता है। इस ढेर के बीचो-बीच पहलाद के प्रतीक के रूप में एक लकड़ी लगाई जाती है।

संध्या के समय महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है लोटे से जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन कर दिया जाता है जैसे ही आग की लपटें बढ़ने लग जाती हैं पहलाद के प्रतीक वाली लकड़ी को निकाल दिया जाता है और दर्शाया जाता है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है।

होलिका दहन होते समय कुछ लोग इसमें मीठे व्यंजन भी डालते हैं सब लोग अपनी प्रथा के अनुसार होलिका दहन में वस्तुएं डालते है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होली का धुआं जिस दिशा की ओर जाता है उस दिशा में उस साल बहुत अच्छी फसल होती है। होलिका दहन के पश्चात सभी लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते है और खूब सारी मिठाइयां बांटते है।

धुलण्डी –

होली का दूसरा दिन जिसे धुलण्डी का नाम दिया गया है यह दिल मौज मस्ती का दिन होता है इस दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी मौज मस्ती करते हैं और एक दूसरे को रंग बिरंगी रंग लगाते है। सभी लोग एक दूसरे को ऐसे रंग देते हैं कि शाम होते-होते यह समझ ही नहीं आता है कि कौन सा व्यक्ति कौन है।

कुछ लोग इस दिन पक्के रंगों का भी इस्तेमाल करते हैं जिससे लोगों की सेहत खराब हो जाती है तो हमें पक्के रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए हमेशा गुलाल से ही धुलण्डी खेलनी चाहिए। बच्चे जिन पार्टियों में पानी भर लेते हैं और पिचकारी उसे एक दूसरे के ऊपर रंग उड़ाते है।

सभी लोग अपनी-अपनी टोलियां बनाकर पूरे मोहल्ले भर में सभी को रंग लगाते फिरते हैं और एक बार आग लगाने के बाद उसे अपनी टोली में शामिल कर लेते हैं और ढोल नगाड़े बजाते हुए निकलते है। इस दिन लोग इतनी मौज मस्ती करते हैं कि सड़कों पर ही नाचने गाने लग जाते है।

भारत की प्रसिद्ध होली –

हमारे भारत देश में कुछ ऐसी जगह है जहां पर Holi का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है यहां की होली जो भी एक बार वे दूसरी बार यहां पर जरूर आना चाहता है इनमें से कुछ जगह इस प्रकार हैं

वृंदावन की होली – यहां के लोग रंगों की वजह फूलों से होली खेलते हैं सभी लोग एक दूसरे पर रंग बिरंगे फूल उड़ाते है। भगवान श्री कृष्ण भी यहां पर होली खेला करते थे और वृंदावन भी उन्हीं की नगरी है इसीलिए लोगों में उत्साह है और बढ़ जाता है।

यहां की होली देखने कई विदेशों से पर्यटक आते हैं जो कि यहां पर आकर बहुत ही धूमधाम से होली खेलते है।

बरसाने की होली – यह माता राधा का जन्म स्थान है यहां पर भगवान श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ नंद गांव से बरसाने में होली खेलने आते थे। उसी तरह आज भी लोग नंद गांव से बरसाने में होली खेले जाते हैं यहां की होली इसलिए प्रमुख है क्योंकि यहां पर महिलाएं पुरुषों पर रंगो की वजह लकड़ी की लाठियों से उन्हें पीटती है।

यह देखने में बहुत ही सुंदर लगता है इसीलिए यहां की होली को लठमार होली भी कहा जाता है। कुछ इसी तरह की होली हरियाणा राज्य में भी खेली जाती है जहां भाभी देवर पर लाठियां बरसाती है। इसमें किसी को चोट नहीं आती क्योंकि पुरुषों के पास बचाव के लिए ढाल होती है।

राजस्थान की होली – राजस्थान की होली हमारे देश के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर होली का त्यौहार आने से महीनों पहले ही ढप और चंग की ताल पर पौराणिक होली के प्रसिद्ध गीत गाए जाते है। यहां पर लोग मोहल्लों में इकट्ठा हो जाते हैं और पूरी रात रात भर गीत गाते हैं और नाचते है।

राजस्थान की होली जो भी एक बार देख लेता है उसका मन यहां पर आने काम दूसरी बात भी करता है।

होली के त्यौहार का महत्व –

होली का ऐतिहासिक महत्व – होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए लोगों को इस त्यौहार से शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है इसलिए वह हमेशा अच्छे रास्ते को अपनाते है।

सामाजिक महत्व – होली एक सौहार्दपूर्ण त्यौहार है जिसमें लोग वर्षों पुरानी दुश्मनी लड़ाई झगड़ा भुलाकर एक दूसरे से गले मिल जाते है इसीलिए इस त्यौहार को दोस्ती का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता सभी लोग एक दूसरे को गले लगा कर होली का त्यौहार मनाते है।

इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है इसलिए यह त्योहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

वर्तमान में होली का रूप –

वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसी सौहार्दपूर्ण त्योहार की जगह है नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं

आजकल की युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते है कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करते है।

इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के त्यौहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने लगे है। आजकल युवा लोग रंग की जगह गोबर नाली का पानी और पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है

यह सब चीजें Holi के त्यौहार की छवि को खराब कर रहे है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।

निष्कर्ष –

होली का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यह दोस्ती का त्योहार है इसलिए इसे दोस्ती का त्यौहार ही बने रहना देना चाहिए इसे कोई और रूप देने का हमें कोई हक नहीं होता है।

वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषता के बारे में बताना चाहिए ताकि उनके विचार विचार के प्रति बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि बनी रहे।

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Holi Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

20 thoughts on “होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi”

Very nice essay on holi

Thank you Rubi devi

needs imporvement but overall its ok

thank you Kenisha

ভালো খুব ভালো । Good very good essay. अच्छा है काफी अच्छा है निबन्ध।

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदित्य दास, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Very good essay

thank you Mayank for appreciation.

Hey the full stop in hindi is | not this’.’

We have corrected all the mistakes, thank you Sparsh.

Write the fifty line essay on Holi in Hindi and English

We will soon write fifty lines essay on Holi

Very good essay. Super!

Thank you Charchit for appreciation.

bahut hi achha nibandh tha

Dhanyawad Aman ji aise hi website par aakar hamara manobal badhate rahe

bahut hi acha tyohar hai holi ka

Holi ka lekh aap ko pasand aaya hame bhut khushi hui, aise hi website par aate rahe, Dhanyawad.

बहुत ही अच्छा लेख है, एक लेख ऐसा ही मैंने लिखा है अगर आपको पसन्द आये तो ज़रूर बताइये ये रहा

प्रखर जी आप को हमारे द्वारा लिखा गया होली पर निबंध पसंद आया हमे बहुत खुशी हुई, प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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होली पर निबंध 2023 |Essay on Holi in Hindi for Students

Essay on Holi in Hindi: होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा उत्साह और उत्साह के साथ होली मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे हर साल रंगों के साथ खेलने और मनोरम व्यंजनों का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

 Essay on Holi in Hindi

होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के लिए है। लोग अपनी परेशानियों को भूल जाते हैं और भाईचारे का त्योहार मनाने के लिए इस त्योहार का आनंद लेते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं और त्योहार की भावना में पड़ जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों के साथ खेलते हैं और त्योहार के सार में रंग पाने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं।

Essay on Holi in Hindi | होली पर निबंध |1000 Words

हिंदू धर्म का मानना ​​है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन जिसका नाम होलिका था। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा पर भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद था। इस आशीर्वाद का मतलब कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया क्योंकि वह बहुत घमंडी हो गया था। उसने अपने राज्य को भगवान के बजाय उसकी पूजा करने का आदेश दिया, अपने पुत्र को नहीं बख्शा।

इसके बाद, सभी लोग अपने बेटे, प्रह्लाद को छोड़कर उसकी पूजा करने लगे। प्रह्लाद ने भगवान के बजाय अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा आस्तिक था। उसकी अवज्ञा को देखकर, शैतान राजा ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने उसे गोद में अपने बेटे के साथ आग में बैठाया, जहां होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित निकल आए। यह इंगित करता है कि वह अपनी भक्ति के कारण अपने प्रभु द्वारा संरक्षित था। इस प्रकार, लोगों ने होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

होली का उत्सव (The Celebration of Holi )

 होली का उत्सव (The Celebration of Holi )

लोग उत्तर भारत में विशेष रूप से उत्साह और उत्साह के साथ होली मनाते हैं। होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में, लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में लकड़ी के ढेर को जला देते हैं। यह होलिका और राजा हिरण्यकश्यप की कहानी को संशोधित करने वाली बुरी शक्तियों को जलाने का प्रतीक है। इसके अलावा, वे होलिका के चारों ओर आशीर्वाद लेने और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

अगला दिन शायद भारत का सबसे रंगीन दिन है। लोग सुबह उठते हैं और भगवान को पूजा अर्पित करते हैं। फिर, वे सफेद कपड़े पहनते हैं और रंगों से खेलते हैं। वे एक दूसरे पर पानी छिड़कते हैं। बच्चे पानी की बंदूकों का उपयोग करते हुए पानी के रंगों को बिखेरते हैं। इसी तरह, वयस्क भी इस दिन बच्चे बन जाते हैं। वे एक दूसरे के चेहरे पर रंग रगड़ते हैं और पानी में डुबो देते हैं।

शाम को, वे स्नान करते हैं और अपने दोस्तों और परिवार से मिलने के लिए अच्छे से तैयार होते हैं। वे दिन भर नृत्य करते हैं और ‘भांग’ नामक एक विशेष पेय पीते हैं। सभी उम्र के लोग होली की विशेष विनम्रता पर गर्व करते हैं।

संक्षेप में, होली प्रेम और भाईचारा फैलाती है। यह देश में सद्भाव और खुशी लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंगीन त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।

ऐतिहासिक महत्व – होलिका दहन (History of Holi)

 ऐतिहासिक महत्व - होलिका दहन (History of Holi)

 दानव राजा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद की कहानी इस त्योहार का निकट संबंधी पौराणिक महत्व है। प्रह्लाद, जो भगवान विष्णु के एक भक्त थे, ने अपने पिता के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया जब बाद वाले ने उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए कहा। राजा ने कई तरीके आजमाए ताकि उसका बेटा अपने भगवान की जगह राजा की पूजा करे।

बहुत सारे सलाहकार और गुरु नियुक्त किए गए ताकि वे राजकुमार को अपने पिता की पूजा करने के लिए मना सकें लेकिन वे सभी असफल रहे। उसके बाद, राजा अपने बेटे को मारने के लिए अलग-अलग तरीके से आया। लेकिन हर बार, प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने बचा लिया। इसके बाद, राजा ने अपनी बहन होलिका के साथ, अपने बेटे को मारने की साजिश रची। होलिका को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि वह कभी अग्नि की चिता में नहीं समा पाएगी.

होली खेलते समय सावधानियां

 होली खेलते समय सावधानियां

 होली निस्संदेह एक अवसर है जब हम पूर्ण आनंद लेते हैं, हालांकि, हमें कुछ सावधानियों का भी पालन करने की आवश्यकता है। सिंथेटिक के बजाय प्राकृतिक और जैविक रंगों का उपयोग करने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, यदि आप पीले रंग से खेलना चाहते हैं, तो आप ‘हल्दी’ का उपयोग कर सकते हैं। सिंथेटिक रंग उनकी आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं।

होली का महत्व

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली.

“ सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों के शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथा घोड़े सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

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होली पर निबंध 2024 | Essay On Holi In Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आज हम आपके साथ होली पर निबंध 2024 Essay On Holi In Hindi  अर्थात मेरा प्रिय त्योहार होली का निबंध में आपकों कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में यहाँ छोटा बड़ा होली एस्से Essay On Holi In Hindi पढ़ने को मिलेगा.

रंगो के त्योहार होली पर निबंध | Essay On Holi In Hindi

होली पर निबंध 2024 | Essay On Holi In Hindi

Essay On Holi Festival In Hindi And English : India is a colorful & religious country here over the year celebrate many of the Festivals,  Holi Festival (होली पर निबंध) one of them.

this is a great Hindu festival, it is celebrated all over the world on Phalguna Purnima (in approx march month).

Essay On Holi Festival In English

India is a country of festivals and fairs. Holi is the most popular of all seasonal festivals. it foretells the coming spring.

to celebrate this festival of color, people throw colored water and rub the faces of one another with the powder called gulal.

it is a special day for students. they seem to be full of health, vigor, and vitality. on this day they forget their enemies with one another.

the people celebrate this festival with great enthusiasm. they use big hoses to shower colored water on the passengers. to be precise a complete sense of merriment prevails on the day of the Holi festival.

(100 शब्द) होली पर निबंध Essay On Holi Festival In Hindi

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। होली सभी मौसमी त्यौहारों में सबसे लोकप्रिय है। आगामी बसंत ऋतू के आगमन की खबर देने के रूप में होली का पर्व आता है.

रंग के इस उत्सव का जश्न मनाने के लिए, रंगों के साथ पानी फेंकते हैं और एक दूसरे के चेहरे पर गलाल के साथ रगड़ते हैं।

यह छात्रों,बड़े बूढों सभी के लिए एक विशेष दिन है। वे स्वास्थ्य, शक्ति और जीवन शक्ति से भरे हुए प्रतीत होते हैं। इस दिन वे अपने दुश्मनी को एक दूसरे के साथ भूल जाते हैं।

लोग होली के उत्सव को बहुत उत्साह से मनाते हैं। वे यात्रियों पर रंगो एवं गुलाल का पानी को स्नान करने के लिए बड़ी नली का उपयोग करते हैं। होली त्यौहार के दिन मौज मस्ती मजाक को कोई भी दिल पर नही लेता है. इस तरह यह होली का त्यौहार आपसी प्रेम व भाईचारें को बढाता है.

(150 शब्द) होली पर निबंध

होली हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे रंगो का त्योहार भी कहते है. होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस त्योहार का संबंध प्रहलाद की कथा से माना जाता है.

उसे सजा देने के उसके पिता हिरन्यकश्यप ने अपनी बहिन होलिका की गोद में उसे रखकर आग में बैठाया. तब होलिका तो जल गई परन्तु भक्त प्रहलाद बच गया. तब से यह त्योहार उनकी याद में मनाया जाता है. संध्या के समय होली जलाई जाती है.

होली में नयें अनाज की बालियों को सेका जाता है. अगले दिन धुलंडी होती है. सभी लोग रंग, अबीर, गुलाल आदि से खेलते है और अपनी ख़ुशी प्रकट करते है. इस दिन आपसी मतभेद भुलाकर सभी लोग गले मिलते है. घरों में मिठाई और अच्छे पकवान परोसे जाते है.

इस होली के त्योहार पर कुछ लोग कीचड़ उछालते है और शराब आदि का नशा करते है. यह बुराई नहीं अपनानी चाहिए. होली का त्योहार आपसी मेल-जोल, प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने वाला है.

(400 शब्द) Essay On Holi In Hindi For Kids

हमारे देश में वर्ष पर्यन्त त्यौहार मनाए जाते है. अलग-अलग धर्मो के अनुयायी अपने अपने व्रत त्योहारों को बड़ी लग्न व् श्रद्धा के साथ मनाते है. भारत के मुख्य त्योहारों में दीपावली, रक्षाबन्धन, दशहरा और होली प्रमुख चार बड़े पर्व है.

इन चारो त्योहारों का विभाजन वर्णों के आधार पर किया गया है. रक्षाबन्धन जिन्हें ब्राह्मणों का त्यौहार माना जाता है. दशहरा क्षत्रियो का दीपावली को वैश्यों का तो होली का त्यौहार शुद्रो का माना जाता है.

इसे रंगों का त्यौहार Color festival भी कहते है. पूर्व में चाहे जो भी स्थति रही हो. आज के समय में न सिर्फ हिन्दू धर्म के चारों वर्ण मनाते है. बल्कि सिख, जैन सहित सभी धर्मो के अनुयायी भी इस पर्व को धूमधाम से मनाते आ रहे है.

विभिन्नता में यही एकता हमारे भारतवर्ष की पहचान है. जिन्हें निरंतर आगे बढ़ाने में ऐसें जैसे फैस्टिवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

विशिष्ट त्यौहार- बंसत ऋतू का पहला त्यौहार बसंत पंचमी है. इसके बाद यह पर्व आता है. हर साल हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. उसी रात को अथवा दुसरे दिन प्रत्येक गाँव नगर या स्थान स्थान पर होलीका दहन किया जाता है.

इस होली की आग से प्रत्येक सनातनधर्मी अपने घर के आस-पास होली की स्थापना कर सही मुहूर्त पर इसका दहन करते है.

मनाने का तरीका- इस अवसर पर नये पके हुए अन्न को आग में भुना जाता है. तथा इस भुने हुए अन्न को प्रसाद को सभी मित्रों व् रिश्तेदारों में वितरित किया जाता है. संस्कृत भाषा में होली के इस पके हुए अन्न को होलक कहा जाता है.

इसी कारण इस उत्सव को होलिकोउत्सव या होली कहते है. कुछ लोग इस त्यौहार का सम्बन्ध प्रहलाद की बुआ होलिका से मानते है. इसके मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई है तथा प्राचीन काल से होली का त्योंहार मनाया जाता रहा है.

होली खेलना- होलिका दहन के उपरांत लोग रंग और गुलाल से खेलते है. अपरान्ह में स्नान भोजन इत्यादि करने के पश्चात सभी लोग साफ़ तथा नवीन वस्त्र धारण करके एक दुसरे के यहाँ जाते है. और एक दुसरे से मिलते है.

होली के इस अवसर पर शत्रु भी मित्र के समान परस्पर मिलते है. और ऐसा जान पड़ता है. मानो आज उनकी सालों की दुश्मनी समाप्त हो गई है.

उपसंहार(महत्व)-  देश और स्थान के भेद के कराण भारत में इस पर्व को मनाने के ढंग और उनकी रीतियों में भी थोड़ा अंतर पाया जाता है. ब्रज में कई दिनों तक रंग की होली होती हैं.

और होली नामक गीत लगभग सम्पुरण उत्तर भारत में बड़े प्रेम के साथ गाया जाता हैं. ब्रज की होली प्रसिद्ध है. परन्तु किसी किसी प्रदेश में पंचमी के दिन भी खेली जाती हैं.

(500 शब्द) होली निबंध essay on holi in hindi for class 3

एक ही तरह का जीवन जीते जीते व्यक्ति उब जाता हैं. इसके लिए समाज ने अनेक पर्वों त्योहारों एवं मेलों आदि की व्यवस्था की हैं. हमारे देश में सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. सभी के अपने अपने त्योहार हैं. हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में होली का महत्वपूर्ण स्थान हैं.

होली मनाने का कारण – होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. वसंत ऋतू के आगमन से चारों ओर वातावरण सुगन्धित हो जाता हैं. खेतों में फसले पकने के लिए तैयार हो जाती हैं.

किसान फसलों को देखकर खुश हो उठता हैं. उसकी यही ख़ुशी होली के त्योहार के रूप में फूट पड़ती हैं. यह भी कहा जाता है कि प्राचीनकाल में दैत्यराज हिरन्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहिन होलिका को बुलाया था.

होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नही जलेगी. वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, भगवान की कृपा से प्रहलाद तो बच गया परन्तु होलिका जल गई. इसी ख़ुशी में प्रतिवर्ष होली के दिन होलिका का दहन किया जाता हैं.

होली मनाने का तरीका -होली का त्योहार की तैयारी एक माह पहले से होने लगती हैं. घरों व मुहल्लों में उपले लकड़ियाँ एकत्रित कर जलाई जाती है, होली के शुभ मुहूर्त में आग लगाई जाती हैं. क्षेत्रीय परम्पराओं के अनुसार होली का त्योहार मनाया जाता हैं.

मथुरा में जलती होली के बिच से पंडा निकलता हैं. सभी एक दूसरे पर रंग, अबीर, गुलाल डालते है तथा आपस में गले मिलते हैं. बरसाने की लट्टमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं.

होली में जौ एवं गेहूं की बालियाँ भुनकर सब एक दूसरे से प्रेम सहित भेट करते हैं. पुराने गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले मिलते हैं. होली को प्रीति पर्व भी कहा जाता हैं. सब एक दुसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं.

होली की अच्छाईयां – होली का त्योहार परस्पर प्रेम और सौहार्द की भावना को बढ़ाता हैं. होली पर अमीर गरीब का भेद मिट जाता हैं. सभी में नया उत्साह, नई उमंग, नया जोश दिखाई देता हैं.

होली की बुराइयां – होली के त्योहार के साथ कुछ बुराइयां भी जुड़ी हुई हैं. इस दिन कई लोग शराब भांग आदि का सेवन करते हैं. और नशे में एक दूसरे से झगड़ा कर बैठते हैं. रंग लगाने के बहाने लोग दूसरों पर कीचड़, कोलतार, तेज़ाब आदि भी डाल देते हैं. जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता हैं.

उपसंहार – होली के त्योहार के साथ जुड़ी हुई ये छोटी सी बुराइयां यदि दूर हो जाये तो इससे अच्छा और कोई त्योहार नही हैं. यह मेल मिलाप और भाईचारे की भावना को विकसित करता हैं. आपस में भेदभाव भुलाकर हम सबकों होली का त्यौहार मनाना चाहिए.

(600 शब्द) होली निबंध Short Essay On Holi In Hindi

होली का इतिहास- होली को मनाए जाने के पीछे कई कथाएँ एवं कारण बताए जाते हैं. पुराणों में दैत्यों के राजा हिरन्यक्ष्यप की कथा आती हैं. यह भगवान विष्णु का विरोधी था. इसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था. हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद से रुष्ट होकर उसे मरवाने के प्रयास किये. किन्तु सफल न हुआ.

अंत में उसकी बहिन ने प्रहलाद को मारने का उपाय सुझाया. उसके पास एक अग्निरोधक चादर थी. वह उसे ओढ़कर और प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि के बीच बैठ गई, किन्तु आंधी से चादर प्रहलाद पर लिपट गई और वह बच गया. उसकी बुआ जलकर मर गई.

इसी स्मृति में होली जलाई जाती हैं. कुछ लोग इसे ऋतु या फसल का उत्सव भी मानते हैं. नई फसल के होलो या बालों को आग में भूना जाता हैं. और बांटा जाता हैं.

मनाने का समय और स्वरूप- होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. यह त्योहार दो दिन चलता हैं. पहले दिन लकड़ी के उपलों का ढेर लगाकर उसमें आग लगाई जाती हैं. लोग इसकी आग में गेहूं की बालें और चने के पौधे या होले भूनते हैं इसकी परिक्रमा लगाते और जयकार करते हैं.

अगले दिन रंग की होली होती हैं स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध सभी होली के रंग में मस्त हो जाते हैं. घरों पर मिलने जाते हैं. एक दूसरों को गुलाल लगाते हैं. आने वालों को ठंडाई और पकवानों से स्वागत किया जाता हैं.

गलियों और बाजारों में लोग समूहों में गाते, बजाते, रंग गुलाल उड़ाते घूमते हैं. सायंकाल स्थान स्थान पर होली मिलन समारोह आयोजित होते हैं. मन्दिरों में भी भक्तिभाव से होली खेली जाती हैं.

महत्व- होली उल्लास और मस्ती का त्योहार है. यह वर्ष भर के बैर विरोध को भुलाकर गले मिलने का पर्व हैं. कुछ लोग शराब आदि का सेवन करके अशोभनीय उत्पात भी करते हैं. इसे रोका जाना चाहिए. होली के द्वारा हमें सामाजिक प्रेमभाव को बढ़ाने के अवसर प्राप्त होते हैं.

संदेश- मेल मिलाप और प्रेम की वृद्धि होली के त्योहार का लक्ष्य हैं. होली का त्योहार हिन्दू धर्म से सम्बन्धित होने पर भी धार्मिक भेदभाव से युक्त हैं. इस त्योहार का आधार सामाजिकता हैं. लोगों को मतभेद भुलाकर परस्पर प्रेम एवं मेल से रहने का संदेश होली देती हैं.

एक दूसरे के गले मिलकर सारे गिले शिकवे दूर किये जाते हैं. दूसरों की हंसी उड़ाने की आदत तो मनुष्यों की होती ही हैं. परन्तु होली अपने ऊपर ही हंसने का अवसर देती हैं. इससे आदमी के दोष उसके सामने आते हैं. तथा उनसे बचने का अवसर उसको प्राप्त होता हैं.

(1000 शब्द) होली पर निबंध 2024 Short & Long essay on holi in hindi

भारत को त्योहारों के देश के रूप में जाना जाता है यहाँ भांति भांति के पर्व त्यौहार मनाए जाते है. होली हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है.

इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है फाल्गुन माह की पूर्णिमा को यह हर साल मनाया जाता है. जिस तरह हर पर्व त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा कहानी व कई कारण जुड़े होते है. होली मनाने के पीछे भी कुछ स्टोरीज जुड़ी है

हम होली क्यों मनाते है (Why We Celebrate Holi)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन के महीने में होली (जिसे फगवा या भोजपुरी भी कहा जाता है) फाल्गुन पूर्णिमा (या पूरनमाशी, पूर्ण चंद्रमा) पर मनाया जाता है।

यह पूर्णिमा की शाम से शुरू होने वाली रात और एक दिन तक रहता है। पहली शाम को होलीका दहन या छोटी होली और अगले दिन होली, रंगवाली होली, धुलेटी, धुलंडी या फगवा के नाम से जाना जाता है.

इसकों मनाने की तिथि हिन्दू पंचाग के अनुसार निर्धारित होती है. हर साल यह सर्द ऋतु की समाप्ति एवं बसंत के आगमन के समय फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि को मनाते है. जो हर साल मार्च के पहले से तीसरे सप्ताह में अमूमन होती है.

होली क्यों मनाई जाती है, होली मनाने का कारण व कहानी हिंदी में (Why We Celebrate Holi festival In Hindi)

एक समय की बात है कि भारतवर्ष में एक हिरण्यकशिपु नाम का राक्षस राज करता था. उसके एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था. प्रहलाद भगवान का परम भक्त था. परन्तु उसका पिता भगवान को अपना शत्रु मानता था. वह अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने तक को मना करता था.

परन्तु वह अपने पुत्र प्रहलाद को ईश्वर भजन से न रोक सका. इस पर हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को पहाड़ से भी गिराया, सर्पो की कोठरी में बंद कराया. हाथी के सामने डलवाया परन्तु उस भक्त का कुछ भी न हुआ.

अतः में हिरण्यकशिपु बोला कि मेरी बहिन होलिका को बुलाओं और उससे कहो कि प्रहलाद को अग्नि में लेकर बैठ जाय जिससे प्रहलाद तो जलकर मर जाएगा. और अग्नि होलिका का कुछ नही बिगाड़ सकती.

क्योंकि होलिका को यह वरदान था कि उसे अग्नि नही जला सकती. अतः होलिका को बुलाया गया. उसने अपने भाई की बात मानी और अग्नि के बीच होलिका प्रहलाद को लेकर बैठ गईं.

प्रहलाद भगवान् को याद करता रहा. भगवान की कृपा से अग्नि प्रहलाद के लिए बर्फ के समान शीतल हो गई और उस अग्नि ने होलिका को भस्म कर दिया. उसी दिन से यह होलिका जलाई जाती है. हे भगवान तुमने भक्त जैसे प्रहलाद की रक्षा की वैसे सबकी रक्षा करना.

यह होली का पर्व फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है. इस दिन सभी स्त्री पुरुष बच्चे होली का पूजन करते है. पूजन के बाद होलिका को जलाया जाता है. इस पर्व पर व्रत भी करना चाहिए.

होली के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पहले हनुमान जी भैरोजी आदि देवताओं की पूजा करे. फिर उन पर जल, रोली, माला, चावल, फूल, प्रसाद, गुलाल, चन्दन, नारियल आदि चढावे. दीपक से आरती करके दंडवत प्रणाम करे. फिर सबके रोली से तिलक लगादे. और जिन देवताओं को आप मानते है उनकी पूजा करें.

फिर थोड़े से तेल को सब बच्चों का हाथ लगाकर किसी चौराहे पर भैरों के नाम से एक ईट पर चढ़ा देवे. यदि कोई लड़का हुए का या लड़की के विवाह का उजमन करता होवे तो वह होली के दिन ही उजमन करे.

इस उद्यापन में एक थाली में १३ जगह ४-४ पूरी और सीरा रखे उन पर अपनी श्रद्धानुसार रूपये कपड़े तथा १३ गोबर की सुपाड़ी की माला रखें. फिर उन पर हाथ फेरकर अपनी सासूजी को पाय लगकर देवे. सुपाड़ी की माला अपने घर में ही टांग देवे.

इस दिन अच्छे अच्छे भोजन, मिठाई, नमकीन पकवान बनावें. फिर थोड़ा थोड़ा सभी सामान एक थाली में देवताओं के नाम का निकाल कर ब्राह्मणी को दे देवें. भगवान का भोग लगाकर स्वयं भोजन कर लेवें.

होली की पूजा विधि और सामग्री (Holi Puja Vidhi in Hindi, Holi puja kaise Kare, Holi Puja Niyam)

पहले जमीन पर थोड़े गोबर और जल का चौका लगा देवे. चौका लगा देने के बाद एक सीधी लकड़ी के चारो तरफ गुलरी की माला लगा देवे. उन मालाओं के आस-पास गोबर की ढाल, तलवार खिलोने आदि रख दे.

जो होली पूजन का समय नियत हो, उस समय जल, मोली, रोली, चावल, फूल, गुलाल, गुड़, आदि से होलिका पूजन करने के बाद ढाल तलवार अपने घर में रख लेवे. चार जेल माला अपने घर में पीतर जी, हनुमान जी, शीतलामाता तथा घर के नाम की उठाकर अलग रख देवे.

यदि आपके यहाँ घर में होली न जलती हो तो सब ओर यदि होली घर में ही जलाते हो तो एक माला ऊख, पूजा की समस्त सामग्री, कच्चे सूत की कुकड़ी, जल का लौटा, नारियल, बूट (कच्चे चने की डाली), पापड़ आदि सब सामान गाँव या शहर की होली जिस स्थान पर जलाते है वहां लेकर चले जाये.

वहां जाकर डंडी होली का पूजन करे. जेल माला, नारियल आदि चढ़ा देवे. परिक्रमा देवे, पापड़ बुटं आदि होली जलने पर भुन लेवे. सभी बांटकर खा लेवे. ऊख घर वापिस ले आए. यदि घर पर होली जलावे तो शहर गाँव वाली होली में से ही अग्नि लाकर घर ही होली जलावें. फिर घर आकर पुरूष अपने घर की होली का पूजन करने के बाद जलावें.

घर की होली में अग्नि लगाते ही उस डंडा या लकड़ी को बाहर निकाल लेवे. इस डंडे को भक्त प्रहलाद मानते है. स्त्रियाँ होली जलाते ही एक घंटी से सात बार जल का अर्ध्य देकर रोली चावल चढ़ावे.

फिर होली के गीत या बंधाएं गावें. पुरूष घर की होली में बुन्ट और जौ की बाल पापड़ आदि भुनकर तथा उन्हें बांटकर खा लेवें. होली पूजन के बाद बच्चे तथा पुरूष रोली से तिलक टीका लगावे. छोटे अपने बड़ों के पाँव छूकर आशीर्वाद लेवे.

यह ध्यान रहे कि जिस लड़की का विवाह जिस साल हुआ हो, वह उस साल ससुराल की जलती हुई होली को न देखे. यदि हो सके तो अपने मायके चली जावें.

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  • निबंध ( Hindi Essay)

essay on holi in hindi class 10

Essay on Holi in Hindi | होली पर निबंध हिंदी में

Essay on holi in Hindi

आज आपके लिए लेकर आएं हैं Essay on Holi in Hindi. जिसमे आपको 10 Lines on Holi in Hindi, Paragraph on Holi in Hindi के साथ साथ Short Essay on Holi in Hindi और Long Essay On Holi In Hindi भी मिलेगा।

यह निबंध कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11 और 12 तक के विद्यार्थी उपयोग में ला सकते हैं।

Table of Contents

10 Lines On Holi In Hindi

Set-1. यह Set कक्षा 1,2,3,4 और 5 के विद्यार्थियों के लिए है।

  • होली पर्व प्रति वर्ष भारत मे हिंदुओं के द्वारा मनाया जाता है।
  • होली का पर्व प्रतिवर्ष मार्च महीने में मनाया जाता है , कभी कभी यह त्यौहार दो दिनों से भी ज्यादा चलता है।
  • हर प्रदेश में होली पर्व अलग अलग तरीक़े से मनाया जाता है।
  • होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।
  • होलिका दहन के दिन लोग लकड़ी इकट्ठा करके आग जलाते है और उसके चारों तरफ परिक्रमा करते हैं।
  • होली एक खुशी का त्यौहार है जो सबके जीवन मे प्रसन्नता लाता है।
  • ग्रंथो के आधार पर होली की शुरुआत कृष्ण और राधा रानी ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार , दोस्त से मिलते हैं, उन्हें रंग लगाते है।
  • होली के दिन उत्तर भारत मे गाना गाने का रिवाज है।
  • होली के लिए कई मिठाईयां बनती है , जिसमे से गुझियाँ सबसे आम है।

Set-2 यह कक्षा 6,7 और 8 के लिए उपयोगी है।

  • होली एक ऐसा त्यौहार जिसे पूरे भारत मे खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • होली एक ऐसा त्यौहार है जो लोगो को जोड़ता है, उनमें भाईचारा बढ़ाता है, जिससे शांति और खुशियाँ बढ़ती है।
  • होली में सब एक साथ मिलकर जश्न मनाते है , जिससे लोगो मे एकता बढ़ती है।
  • यह त्यौहार प्रति वर्ष हिंदी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में मनाया जाता है।
  • फाल्गुन माह को गर्मी और ठंडी का संधिकाल कहा जाता है।
  • होली में कई अलग अलग रंग खेले जाते हैं जो अलग अलग भावनाओं की व्याख्या करते हैं।
  • होली को लेकर एक सबसे प्रचलित बात यह है कि इस दिन लोग अपने दुश्मनों को भी माफ कर देते हैं और उन्हें भी गले लगा लेते हैं।
  • यदि होली का असली रंग देखना है तो शाम को देखना चाहिये जब सबसे ऊपर प्रेम का रंग चढ़ा होता है। सभी एक साथ गाना गाते हैं और नृत्य करते हैं।
  • होली पर्व हमें तीन बड़े संदेश देता है, असत्य कभी अमर नही है, दुख हमेशा नही रह सकता और हमेशा अच्छे की ही जीत होती है।
  • वयस्क लोग एक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते है, और बहुत ही मस्ती भरे अंदाज में त्यौहार मनाते हैं।

Paragraph on My Favourite Festival Holi

भारत और नेपाल में मनाया जाने वाला होली एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। होली का पर्व प्रति वर्ष मार्च माह में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोग अपने अपने घरों पर मिठाई, गुझिया, नमकीन जैसे तरह तरह के पकवान बनाते हैं।

होली के दिन छोटे बच्चों को यह पूरी छूट रहती है कि वह किसी पर भी रंग डाल सकते हैं, क्योंकि उनके हाथ मे पिचकारी रहती है। हर तरफ नजारा बिलकुल रंगीन होता है , किसी का चेहरा पहचानना बहुत मुश्किल होता है। यही एक ऐसा दिन है जब लोग किसी की शक्ल से ज्यादा प्रेमभाव को अहमियत देते हैं। इस त्यौहार की यही विशेषता है। इसी वजह से होली का पर्व पूरे देश मे इतने उल्लास के साथ मनाया जाता है।

Short Essay On Holi in Hindi (300 Words)

हमारा देश त्योहारों का देश है जहाँ त्यौहार आते ही रहते हैं। लेकिन कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं जिनका सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। ऐसा ही एक त्यौहार होली का त्यौहार है जो आपसी भाईचारे को बढ़ाने वाला त्यौहार है।

प्रतिवर्ष बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक सभी को होली के आगमन का इंतजार रहता है क्योंकि यह त्यौहार है ही कुछ खास जिसका आनंद सभी उठाते हैं।

दो दिन मनाते हैं होली का त्यौहार

होली का उत्सव दो दिनों तक चलता है। इस पावन त्यौहार की शुरुआत होलिका दहन से हो जाती है , जिस दिन प्रतीकात्मक होलिका बनाकर उसका दहन किया जाता है, और सभी लोग ऐसी कामना करते हैं कि होलिका दहन के साथ उनके जीवन के सभी दुखों का भी दहन हो गया है।

कुछ लोग घर मे ही होलिका दहन करते हैं। इसके लिए वो गाय के गोबर से छोटे छोटे गोल आकार के उपले बना लेते हैं और उन्हें सुखवा लेते हैं।

फिर होलिका दहन के दिन उन्ही उपलों का दहन करते हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन रंग, अबीर, गुलाल खेला जाता है।

इस दिन को होली धुलेंडी कहते हैं। इस दिन क्या बच्चे, क्या युवा सभी मस्ती में चूर होते हैं। सुबह से लोग रंग खेलना शुरू कर देते हैं।

लोग सभी के घर जाते हैं, रंग लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं। करीब दोपहर तक रंग खेलने का कार्यक्रम चलता है।

इसके बाद सब लोग नहाकर और नए वस्त्र धारण करते हैं। शाम के वक़्त लोग अपने सगे संबंधियों से मिलते हैं और उन्हें होली पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।

विद्यालयों और कार्यालयों में होली

सभी विद्यालयों में होली के पहले ही छुट्टी घोषित कर दी जाती है, लेकिन बच्चे अपने मित्रों को रंग लगाने से बिलकुल भी नही चूकते।

स्कूल का समापन होने के बाद विद्यार्थी स्कूल प्रांगण में ही जमकर रंगों की बारिश कर देते हैं। जो बच्चे सुबह साफ सुथरे स्कूल परिधान में घर से निकले थे उन्हें अब पहचानना भी बहुत मुश्किल हो रहा होता है।

वही कार्यालयों में लोग मर्यादित रहते हैं। होली के वक़्त जो लोग एक दूसरे से नही मिल पाएंगे वो पहले से ही होली की बधाई दे देते हैं।

माथे पर अबीर और गले लगकर एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन सभी कार्यलयों का अवकाश रहता है।

होली आनंद और मस्ती का त्यौहार है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लोग आपसी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। यही इस त्यौहार की सबसे बड़ी खूबी है।

Essay On Holi in Hindi (600 Words)

रंगों का त्यौहार होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जो देश में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। वैसे तो यह त्यौहार हिंदुओं का त्यौहार है लेकिन फिर भी देश के अलावा विदेशों में भी होली खेली जाती है।

सबसे ज्यादा हिन्दू भारत मे ही रहते हैं। भारत के अलावा नेपाल में भी होली काफी धूमधाम से मनाई जाती है। पाकिस्तान और बाकी के अन्य देश जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक है वहाँ भी होली का पर्व सब मिलजुल कर मनाते हैं।

होली कब मनाई जाती है? | When is Holi celebrated?

हिन्दू कैलेंडर के आधार पर होली का पर्व प्रति वर्ष मार्च के फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यदि आम कैलेंडर के अनुसार देखे तो यह कभी कभी फरवरी में भी पड़ जाता है।

होली एक ऐसा पर्व है जिसमे लोग अपने सभी दुख भूलकर खुलकर हँसते है, मस्ती करते हैं और अपने गिले शिकवे भूलकर गले मिलते है, एक साथ वक़्त गुजारते है और परिवार के लोगो से मिलते जुलते हैं।

होली मनाने के पीछे की वजह | Why we Celebrate Holi in Hindi.

होली त्यौहार मनाने के पीछे की अनेक वजहें है लेकिन सभी का सार यही निकलता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है।

सच कभी हारता नही है, परेशान भले हो सकता है, लेकिन अंत मे विजय सत्य की ही होती है। फाल्गुन मास में मनाया जाने वाला त्यौहार होली फगवाह नाम से भी जाना जाता है।

होली त्यौहार ठंडी और गर्मी के संधिकाल में मनाया जाता है। इसी दौरान खेतों में फसलें लहराने लगती है, सरसों खेतों में पूरी तरह खिल चुकी होती है।

धान की बालियां अब पक चुकी होती है। होली का संबंध भी फसलों से है। होली शब्द की उत्पत्ति होला से हुई है। इसका शाब्दिक अर्थ है भगवान की पूजा करना ताकि नई और अच्छी फसल मिल सकें।

होली से जुड़ी पौराणिक कहानियाँ | Mythological stories related to Holi.

कोई हिन्दू त्यौहार हो और उसके पीछे कोई पौराणिक कहानी न हो ऐसा बहुत कम होता है। होली से संबंधित भी कई पौराणिक कहानियाँ प्रचलित है जो निम्नलिखित है:-

होलिका की कहानी

होलिका की कहानी सबसे ज्यादा लोकप्रिय कहानी है होली के संबंध में। बहुत पहले की बात है एक दैत्य था जिसका नाम हिरणकश्यप था, उसकी एक बहन होलिका और पुत्र प्रह्लाद था।

हिरणकश्यप खुद को भगवान मानता था और सभी को यह कहता था कि उसकी पूजा करें लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त थे और उन्ही की आराधना करते थे।

हिरणकश्यप को यह बात बिलकुल भी अच्छी नही लगती, इसलिए वह प्रह्लाद को जान से मारने की कोशिश करने लगा।

इसके लिए पहले उसने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे फिकवाया लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें बचा लिया। इसके बाद उन्हें गर्म तेल के कड़ाहे में डाल दिया पर प्रह्लाद वहाँ भी बच गये।

अपने सारे तरीके असफल होते देखकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका के पास एक साड़ी थी। उसे पहनकर यदि वो आग में भी बैठ जाती तो भी नही जलती।

इसलिए वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई। लेकिन तभी तेज हवाएं चलने लगी और वह साड़ी होलिका के शरीर से अलग हो गई और प्रह्लाद के शरीर से लिपट गई, जिससे प्रह्लाद तो आग से बच गए लेकिन होलिका जल गई।

होलिका का दहन होना इस बात का प्रतीक था कि बुराई कभी भी अच्छाई को हरा नही सकती। इसी वजह से हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है।

कामदेव से जुड़ी एक कहानी

होली और होलिका दहन की एक कहानी कामदेव से भी जुड़ी है। शिव से ध्यान में लीन थे, पार्वती बहुत कोशिश कर रही थी कि शिव ध्यान से उठे क्योंकि उन्हें विवाह करना था लेकिन वह सफल नही हुई।

तब उन्होंने कामदेव से मदद माँगी। कामदेव ने एक पुष्प बाण चलाई, और वह जाकर शिव जी की तीसरी आँख में लग गई।

शिव जी गुस्सा हो गए और तीसरी आँख खोल दी जिससे कामदेव भस्म हो गए। लेकिन उनकी पत्नी रति का रो रो कर बुरा हाल हो गया।

अगले दिन शिव जी का गुस्सा जब शांत हुआ तो उन्होंने कामदेव को वापस जीवनदान दिया। जिस दिन कामदेव भस्म हुए थे उस दिन होलिका दहन मनाई जाने लगी और जिस दिन उन्हें दूसरा जीवन मिला, वह होली के तौर पर मनाई जाने लगी।

कृष्ण और पूतना की कहानी

कंस कृष्ण को मारना चाहता था इसीलिए उसने पूतना को गोकुल भेजा। कृष्ण को मारने के मकसद से पूतना नामक राक्षसी ने कृष्ण को अपनी गोद में लिया और उसे स्तनपान कराने लगी।

स्तनपान के दौरान उसने श्रीकृष्ण को विषपान कराया लेकिन कृष्ण को कुछ नहीं हुआ बल्कि पूतना की मृत्यु हो गई। ऐसा कहा जाता है उसी वक्त से होली का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कृष्ण से जुड़ी नगरी जैसे ब्रज, मथुरा,वृंदावन,बरसाने,काशी आदि शहरों में होली की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है।

महाभारत से जुड़ी एक प्राचीन कहानी

एक कथा महाभारत से भी जुड़ी है एक कथा के मुताबिक युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण को बताया कि जब श्री राम के पूर्वज रघु का शासन हुआ करता था उस वक्त एक महिला को कोई मार नहीं सकता था वह महिला एक असुर थी और बहुत अत्याचार करती थी।

तभी एक दिन गुरु वशिष्ट ने कहा कि उस औरत को भी मारा जा सकता है लेकिन इसके लिए बच्चों को विशेष कार्य करने होंगे।

उन्होंने बताया कि यदि बच्चे लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े लें और शहर के बाहर किसी इलाके में जाएं और उन लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़ों को घास से ढक कर उन्हें जला दें और फिर उस जलती हुई आग के चारों तरफ जश्न मनाए, तालियां बजाए, गाने गाए और परिक्रमा करें। जब उन बच्चों ने ऐसा किया तो उस राक्षसी की मृत्यु हो गई।

पहले रासायनिक रंगों का चलन इतना ज्यादा नही था। अधिकतर रंग प्राकृतिक होते थे। लेकिन आज होली में जिन रंगों का उपयोग किया जाता है वो पक्के रंग होते हैं जो महीनों बाद भी नही छूटते। इसलिए होली खेले, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि किसी को यदि रंगों से दिक्कत है तो उसे जबरन न रंगे, किसी पर पक्का रंग न लगाएं और पूरे मर्यादित तरीके से यह त्यौहार मनाएँ।

मेरा प्रिय त्यौहार होली पर निबंध (My Favorite Festival Essay on Holi in Hindi)

होली के त्यौहार में ना सिर्फ लोगों को रंगा जाता है बल्कि यह त्यौहार लोगों के जीवन में नई खुशियाँ लेकर आता है।

भारत जैसे देश में जहां हर माह कोई न कोई त्यौहार आता है, वहां होली जैसे त्यौहार का विशेष तौर पर इंतजार रहता है यह इस बात का घोतक है कि हमारे जीवन में होली का कितना ज्यादा महत्व है।

होली का त्यौहार एक जश्न है, एक उमंग है, एक आशा है, एक उम्मीद की किरण है। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें निर्धन और अमीर के बीच कोई भेद नहीं रहता क्योंकि सभी एक रंग में रंगे नजर आते हैं।

रंगो के इस पवित्र त्यौहार से जुड़ी कई प्राचीन मान्यताएं हैं। वक्त के साथ यह त्यौहार अपने नए-नए रूप भी दिखाता रहा है, त्योहार को मनाने के तौर तरीकों में आज भले ही बदलाव आ गया हो लेकिन भावना वही है जो पहले हुआ करती थी।

होली त्यौहार से जुड़ी कुछ प्राचीन परम्पराएं | Some ancient traditions related to Holi festival.

होली त्योहार से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जिनको जानने के बाद हमें यह पता चलता है कि यह त्यौहार कितना प्राचीन है। इस त्यौहार की जड़े उतनी ही पुरानी है जितना पुराना हमारे देश का इतिहास है।

प्राचीन काल में यह त्यौहार महिलाओं के द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता था। इस त्यौहार के दिन महिलाएं चंद्र देव की पूजा करती थी और अपने घर एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना करती थी।

धीरे-धीरे यह त्यौहार किसानों के द्वारा भी मनाया जाने लगा। किसान अपने कच्चे अन्न का यज्ञ में दान किया करते थे और उसका प्रसाद लेते थे। ऐसा करने का उद्देश्य था फसल की पैदावार अच्छी हो।

उस जमाने में अन्न को होला नाम से पुकारा जाता था इसी वजह से इस त्यौहार का नाम होलिकोत्सव पड़ गया।

भारतीय कैलेंडर के हिसाब से देखें तो चैत्र नवरात्रि से नव वर्ष प्रारंभ हो जाता है होली का पर्व चैत्र नवरात्रि के कुछ पहले ही मनाया जाता है। इस आधार यह भी कहा जा सकता है कि होली पर्व नवसंवत और वसंत मौसम के आगमन का भी प्रतीक है।

ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन पृथ्वी के प्रथम पुरुष मनु जन्मे थे इसी वजह से इस दिन को मन्वादि तिथि भी कहा जाता है।

भारत में मनाए जाने वाली कुछ विशिष्ट होली | Some special Holi celebrated in India.

मथुरा और वृंदावन में होली का उत्सव.

भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और उनकी लीलास्थली मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही जश्न देखने को मिलता है।

यहां मनाई जाने वाली होली इतनी प्रसिद्ध है कि देश के कोने-कोने से लोग होली के पर्व में सम्मिलित होने के लिए यहां आते हैं।

मथुरा और वृंदावन में मनाई जाने वाली होली प्रेम और भक्ति का अनोखा संगम है, जिसमें होली मनाते वक्त तरह-तरह की प्रेम लीलाएं की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि होली पर्व की शुरुआत श्री कृष्ण और राधा रानी के द्वारा ही की गई थी।

बरसाने की लठमार होली

बरसाना उत्तर प्रदेश का एक गांव है जहां पर मनाई जाने वाली लठमार होली पूरे देश में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इसके चर्चे हमें हर जगह सुनने को मिल जाते हैं।

बरसाने के आस-पास के गांव में रहने वाले लोग इस होली को देखने के लिए विशेष रूप से होली के दिन एकत्रित होते हैं। यह होली बरसाना और नंदगांव कि महिलाओं और पुरुषों के बीच खेली जाती है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण जब अपने बाल्यावस्था में थे तब वह राधा रानी को देखने के लिए बरसाने आए थे लेकिन इस दौरान उन्होंने राधा रानी को तो परेशान किया ही साथ ही साथ उनकी सखियों को भी छेड़ दिया था जिसके बाद सखियां उनके पीछे दौड़ी थी ऐसा कहा जाता है तभी से यहां लट्ठमार होली की प्रथा चली आ रही है।

इस दिन महिलाएं पुरुषों को लाठी से मारती हैं। इस होली को मनाने के लिए सभी लोग बरसाने की राधा रानी मंदिर में एकत्रित हो जाते हैं। जिसके बाद नंदगांव के चरवाहे बरसाने की महिला चरवाहों के साथ और बरसाने के चरवाहे नंदगांव की महिला चरवाहों के साथ होली खेलते हैं। यह होली देखने में बहुत ही मनोरंजक लगती है।

बंगाल में मनाई जाने वाली डोल पूर्णिमा होली.

यह होली बंगाल और ओडिशा में मनाई जाती है। इस होली की खासियत यह है कि कृष्ण और राधा रानी को होली के दिन पहले एक डोल में बैठाया जाता है, इसके बाद पूरे गाँव मे घुमाया जाता है। साथ में भजन-कीर्तन और रंगों वाली होली भी चलती रहती है।

युगांश होली

भारत के पूर्वी राज्य मणिपुर में पूरे 6 दिनों तक होली मनाई जाती है इस होली को युगांश होली के नाम से जाना जाता है।

इस होली की शुरुआत भी होलिका दहन के दिन से होती है लेकिन यहां होलिका दहन के दिन घासफूस की एक झोपड़ी बनाई जाती है जिसके बाद उसमें आग लगाई जाती है और होलिका दहन मनाया जाता है।

इसके बाद अगले दिन लड़कों की टोलियां लड़कियों की टोलियों के साथ होली खेलते हैं। होली खेलने के बाद वह लड़कियों को उपहार भी देते हैं।

होली के पर्व के दौरान लोग भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में पीले और सफेद रंग के परिधान ही पहन कर जाते हैं और थाबल चोंगबा वाद्ययंत्र के साथ संगीत एवं नृत्य करते हैं।

यहां होली का पर्व विशेष इस वजह से भी होता है क्योंकि होली के पर्व के दिन लड़के-लड़कियों को एक दूसरे से मिलने का अवसर दिया जाता है।

लड़के-लड़कियां एक दूसरे के ऊपर गुलाल लगाते हैं और ढोल-ढोलक-चोलाम नामक नृत्य एक साथ करते हैं।

पंजाब की होली मोहल्ला

होली के अगले दिन पंजाब की एक जगह होलगढ़ में होला मोहल्ला मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सिख गुरु के द्वारा की गई थी होला-मोहल्ला एक तरह का बनावटी हमला है,जिसमें पैदल, घुड़सवार, तीरंदाज दो अलग-अलग गुटों में बढ़ जाते हैं और फिर एक दूसरे पर हमला करते हैं।

होला-मोहल्ला मे मोहल्ला शाब्दिक अर्थ है मय हल्ला जहां पर मय अर्थात बनावटी और हल्ला का मतलब हमला है।

सिख समुदाय के लिए होला-मोहल्ला का बहुत ज्यादा महत्व है। श्री गुरु गोविंद सिंह ने होला-मोहल्ला की शुरुआत इस वजह से की थी ताकि सिख समुदाय के लोगों मैं युद्ध कौशल का विकास हो सके।

मटकी फोड़ होली.

देश के कई राज्यों में मटकी फोड़ होली का बहुत ज्यादा चलन है खासकर महाराष्ट्र और गुजरात मे। मटकी फोड़ होली में एक मटकी को ऊँचाई पर बांध दिया जाता है जो मक्खन से भरी होती है। मटकी ऊँचाई पर टाँगने का काम महिलाएं करती है।

इसके बाद पुरुष टोली बनाकर इस मटकी तक पहुँचने का प्रयास करते हैं। पुरुषों की कई अलग अलग टोलियाँ इसे छूने का प्रयास करती है, लेकिन सभी सफल नही हो पाते। देखने मे यह बहुत ही दिलचस्प लगता है।

आपसी प्रेम और सद्भाव बढ़ाने वाला त्यौहार बड़ी ही सादगी से मनाया जाना चाहिए। जैसा कि आज हम सब जानते है कि दुनियाँ शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रही है। ऐसे में हमारा यह दायित्व बनता है कि रंगों की जगह गुलाल से होली खेले और बेशकीमती पानी को बचाएं।

Holi Quotes in Hindi

होली का पर्व तभी आनंददायक लगता है जब अपने दोस्तों और परिवार से मिलते हैं, बात करते हैं। लेकिन यदि वो हमसे बहुत दूर रह रहे हो तो फिर शुभकामनाएं संदेश भेजना सबसे बेहतर रहता है। होली त्यौहार से जुड़े कुछ प्रसिद्ध Quotes इस प्रकार है:-

रंगों के त्यौहार में सभी की हो भरमार, ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार, यही दुआ है भगवान् से हमारी हर बार, होली मुबारक हो मेरे यार|

राधा का रंग और कान्हा की पिचकारी , प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी , ये रंग न जाने कोई जात न कोई बोली मुबारक हो आपको रंग भरी होली !!

ये रंगो का त्यौहार आया है साथ अपने खुशियाँ लाया है हमसे पहले कोई रंग न दे आपको इसलिए हमने शुभकामनाओं का रंग सबसे पहले भिजवाया है हैप्पी होली।।

होलिका दहन क साथ बीते पूरे वर्ष की सारी कड़वी यादों, अनुभवों और दु:खों को जलाकर आने वाले नववर्ष में प्रेम, उल्लास, आनंद, उमंग और भाईचारे के साथ जीवन व्यतीत करें। होली की हार्दिक शुभकामनायें | |

रंगों के त्यौहार में सभी रंगों की हो बहार, ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार, यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार, होली मुबारक हो आपको दिल से हर बार। “Happy Holi

आज की होली में आपके सब सुख दर्द जल जाए और कल की रंगपंचमी के सारे रंग आपके जीवन में खुशियों से भर जाए। “Happy Holi.

इससे पहले की होली की शाम हो जाए, बधाईंयो का सिलसिला आम हो जाए.. और सारा नेटवर्क जाम हो जाए… क्यों ना एडवांस में होली की राम-राम हो जाए।

खाले गुजिया और पीले थोड़ी ठंडाई; सुंदर लगे तू रंगों में नहाई; मेरे संग भी खेल ले होली; और बन जा मेरी लुगाई! हैप्पी होली मुबारक हो!

साधे रंग को गलती से आप ना कोरा समझो, इसी में समाये इन्द्रधनुषी सातों रंग, जो दिखे आपको जिंदगी सादगी भरी किसी की, तो आप यूँ समझो सतरंगी है दुनिया उसकी, होली आयी सतरंगी रंगों की बौछार लायी, ढेर सारी मिठाई और मीठा-मीठा प्यार लायी। “Happy Holi

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Hindi Essay on “Holi ” , ” होली” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

निबंध नंबर : 01 

होली रंगो का त्यौहार है | यह त्यौहार बसन्त ऋतु के आगमन का संदेश वाहक है | इसके आगमन पर सभी प्राणी तथा यहा तक कि प्रकृति भी आनन्द तथा उमंग से इठला उठते है | हिन्दू लोग इसे हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाते है | यह त्यौहोर एकता , मिलन तथा पवित्र प्रेम का प्रतीक है |

इस त्यौहार को किसान लोग बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते है | इन दिनों किसानो की वर्ष भर के परिश्रम से उगाई गई फसल पक कर तैयार होती है | वे अपने फसल को लहराती हुई देखकर फुले नही समाते है | सभी किसान मिलकर नाचते गाते है | इस दिन सभी लोग रात को नए अनाज की बालो को होली की आग में भुनकर उसके दानो को सब में बांटते है तथा आपसी बैर-भाव को भुलाकर एक दुसरे से गले मिलते है | सध्या समय महिलाए और बच्चे होली का पूजन करते है |

होली से सम्बन्धित एक कथा बहुत प्रचलित है | दैत्यराज हिरण्यक्श्यपु का पुत्र प्रह्राद भगवान का परम भक्त था | परन्तु पिता हिरण्यक्श्यपु नास्तिक था | पिता ने पुत्र को भगवान का नाम लेने से कई बार मना किया परन्तु प्रह्राद नही माना | पिता ने पुत्र को अनेक प्रकार की यातनाएँ दी | यहाँ तक की उसे जान से मरवा डालने की कोशिश भी की परन्तु ईश्वर भक्त प्रह्राद अपने पथ से विचलित नही हुआ | अन्त में हिरण्यक्श्यपु ने उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बिठाकर आग लगा दी | होलिका को वरदान था कि वह आग में नही जल सकती है परन्तु परिणाम उल्टा हुआ | होलिका जलकर राख हो गई जबकि प्रह्राद का बाल भी बांका नही हुआ | अंत: होली को अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है | और तभी से इस घटना की याद में रात को होली जलाई जाती है |

होली का अगला दिन दुल्हैडी का होता है | इस दिन लगभग दोपहर के दो बजे तक रंग तथा गुलाल से होली खेली जाता है | इस होली के रंग गुलाल के स्थान पर बच्चे, युवा और वृद्ध नर –नारी सभी भाग लेते है | कुछ लोग गुलाल के स्थान पर चन्दन का टीका लगाते है तथा आपस में गले मिलते है | गली – मुहल्लों तथा सड़को पर अनेक टोलिया नाचती – गाती दिखाई पडती है ब्रज की होली बहुत प्रसिद्ध है | इस दिन लोग पकवान बनाते है तथा दुसरे लोगो को मिष्ठान आदि खिलाते है होली के दिन कुछ लोग हो भांग आदि का भी सेवन करते है |

निबंध नंबर – 02 

होली का पुनीत पर्व सर्वश्रेष्ट ऋतु बसंत में मनाया जाता है। इस पर्व का हिंदी कवियों ने विस्तृत वर्णन किया है। कवियों की होली जन-साधारण जैसी हुल्लड़बाजी की होली नहीं है। उन्होंने आत्माभिव्यक्ति एंव अपने युग के आहान को भी होली-कविता में व्यक्त किया है। अतएव हिंदी कविता में हाली का वार्णन विविध रूपों से हुआ है।

जन-साधारण तो होली रंग, गुलाल, केसर, कीचड़ आदि से खेलकर अपने-अपने घर आ जाते हैं ओर बहुत ही हुआ तो वह होलिका की जान लेते हैं। शाम को इधर-उधर घूमने निकल जाते हैं। यह तो रही होली के ऊपरी व्यवहार की बात। परंतु कवियों की होली केवल भावना का रंग लिए, भाषा रूपी पिचकारी से पाठक-हृदय को रंग डालती है। होली में अनुराग लाल रंग हृदय पर पढ़ जाता है।

वस्तुत: होली का महत्व कोई साधरण नहीं वरन असाधारण है। इसका अर्थ यह है कि इस दिन मानव अपनी आत्मा पर जमें कल्मष एंव द्रोह, द्वेष आदि गहन तिमिर की कालिमा को धोकर अनुराग का रंग आत्मा पर चढ़ाता है। यदि सब मनुष्यों का हृदय अनुराग के रंग से रंग जाए तो किसी प्रकार का कोई द्वेष-भाव नहीं रहे और मानव का जीवन नि:स्पन शांत रूपी ज्योत्सना के वातावरण में स्वस्थ और प्रफुल्लित रहे। तब मनुष्य सबको भाई-भाई समझे और ‘वसुधैव कटुंबकम’ का महामंत्र वास्तव में जग-जीवन में अनुभव करे।

वह दृश्य कितना रमणीक, अनुपम और मनोमुज्धकारी हो, यह तो कल्पना से भी दूर की बात आज प्रतीत होती है। हां, कविगण तो अवश्य ही इस महामंत्र से प्रभावित हुए दिाते हैं। वह भी कभी-कभी परिस्थितियों के चक्कर में पड्कर डगमगाते दृष्टिगोचर होते हैं। इतनी तो कवियों से आशा की जा सकती है कि वह एक न एक दिन अवश्य ही संसृति के कण-कण को अनुराग के रंग में रंग देंगे और इस मत्र्य को अमत्र्य बना देेंगे।

कवियों के भक्त वत्सल हृदय ने इस होली को बड़े पुनीत एंव सुंदर ढंग से अपने नायक एंव नायिकाओं की आपस में होली खिलाकर व्यक्त किया है। सूर का निष्कट, निष्पाप एंव छल-रहित ह्दय तभी गा उठता है।

स्याम-स्यामा खेलत दोड़ होरी। फागु मच्यौं अति ब्रज की खोरी।।

यह नहीं मीरा तो गिरधर की प्रेमिका बनी हुई है। वह तो बिना मोर-मुकुट-मुरलीधर के किसी के साथ होली नहीं खेल सकती। विरहिणी होने के कारण यह सब होली का सुख-दुख में बदल जाता है। तब ही मीरा का विरही हृदय गा उठता है-

होली पिया बिना मोहिन भावै, घर आगण न सुहावै दीपक जोय कहा करूंग होली, पिय परदेश रहायै। सूने सेज जहर ज्यां लागे, सुसक-सुसक जिय जावै।।

भक्त कवयित्री प्रताप कुंवरि बाई अपने ज्ञान एंव वैराज्य की उच्च भावनओं को होली-वर्णन में व्क्त करती है। यह निर्माण संप्रदाय की है। इन्होंने अपने इस बैरागी हृदय को निम्र चरण में बड़े सुंदर ढंग से प्रकट किया है।

होरि या रंग खेलत आओ। इड़ला प्रिड़ला सुखमणि नारी ता संग खेल खिलाओ सुरत पिचाकारी चलाओ। कायो रंग जगत को छोड़ो, सांची रंग लगाओ। बाहर भूल कबों मत जावों, काया नगर बसायो। तब गिरभै पद पाआ। पांयो उलट धरै धर भीतर अनहदनाव बजाओ सब बगवाद दूर तक दीर्ज, जान गीत नित गाओ पिया के मन तब ही भायो।

आपका भक्त हृदय अपने दृष्ट से ही होली खेलता है। आपका कच्चे रंग की आवश्यकता नहीं वरन ज्ञान के गुलाल से होली खेलती है। अनायास ही कवियित्री का हृदय गा उठता है।

होरी खेलन की रुत भारी नर-तन पाया अरे भज हरि को मास एक दिन चारी अरे अब तो चेन अनारी। ज्ञान गुलाल अबीर प्रेम करि, प्रीत मयी पिचाकारी लाल उसास राम रंग भर-भर सूरत सरीरी नारी खेल इन संग रचारी

रीतिकालीन कवियों में श्रंगारिक भावना प्रेम का बहुत प्रचार हुआ। इनके नायम-नायिका अनेक प्रकार के हो गए तथा सामान्य जन भी नायक-नायिका हो गए। इनके श्रंगार में मांरूल प्रेम की झलक अधिकांश में देखने को मिलती है। अधिकतर इस काल के कवियों के लिए किसी वस्तु का वर्णन करना हो तो किस-किस वस्तु की आवश्यकता होगी, उस सब सामग्री को इकट्ठ कर कविता होने लगी थी। इस काल में कवि बस इतना ही जानते थे कि राजा को प्रसन्न कर अच्छा इनाम पांए। अनेक कवियों ने इस उक्ति को कि कवि पैदा होता है, बनाया नहीं जाता को गलत करने का बीड़ा उठा लिया था। इसका कारण यह था कि उन्होंने संस्कृत के एक ग्रंथ ‘कवि कपर्टिका’ को कंटस्थ कर लिया था। इस ग्रंथकार की प्रतिज्ञा है कि –

यत्नादिमां कंडगतां विधाय, श्रुतोपदेशात विदितोपदेश:। अज्ञात शब्दार्थ विनिश्चयोज्यि: श्लोक करोत्येव समासु शीघ्रम।।

रसखान किस से कम है। वह भी पूर्व रसिक है। वह आनंद धन के होली वर्णन की छटा को भी फीका करने का दावा करते हुए कहते हैं कि-

खेलत फाग सहागभरी अनुरागहि लालिन कौंधरि के। भारत कुकुंभ केसरि के पिचारिन में रंग को भरि के।। गेरत लाल गुलाल लली मनमोहिनि मौज लुटा करके। जात चली रसखान अली मदस्त मनी मन की हरि के।।

हिंदी साहित्य में महिला कवियों ने भी बहुत कुछ दिया है। रसिक बिहारी भी एक अच्छी कवयित्री हुई हैं। आपको बनी ठनी जी भी कहा जाता है। आपने ब्रज की होली का वर्णन कितनी निपुणता से किया है। उसका एक उदहारण नीचे प्रस्तुत है-

होरी-होरी कहि बोले सब ब्रज की नारि। नंद गांव बरसानों हिल मिलि गावत इतउत रसकी गरि उड़त गुलाल अरुण भयो अंबर खेलत रंग पिचकारि धारि। रसिक बिहारी भानु दुलारी नायक संग खेलैं खिलवारि।।

जब भारत स्वतंत्र हुआ तो फिर कवियों को कुछ सोचने के लिए विश्राम प्राप्त हुआ। पर वह विश्राम आर्थिक समस्या को सुलझाने में लगा। पर कुछ ऐसे कवि थे जो अपना महाकाव्य लिखने में मस्त हो गए और कुछ रोमांटिक भावना का अनुकरण कने लगे तथा कुछ नई धाराओ की ओर झुक गए। फिर भी, कवियों ने निरंतर होली के माध्यम से सांस्कृतिक चेतना का परिचय दिया।

निबंध नंबर : 03

त्यौहारों के देश भारत में हर त्योहार का अपना अलग ही रंग और मस्ती है। उनमें रंगों का और मौज-मस्ती का त्योहार होली वास्तव में अपना सबसे अलग आनंद और महत्व रखता है। यों तो इस त्योहार के साथ एक पौराणिक कहानी भी जुड़ी है, पर वास्तव में यह ऋतु और मौसम संबंधी उत्सव या पर्व ही है। कुछ प्रांतों में इसे फाग या फगुआ भी कहा जाता है। फाल्गुन मास में मनाए जाने के कारण ही इस त्योहार के ये नाम पड़े स्वीकारे जाते हैं। ये नाम भी इसके ऋतु-संबंधी त्योहार होने की ओर ही संकेत करते हैं। फाल्गुन मास के आरंभ होते ही प्रकृति पर वसंत उतर जाता है। ऋतुराज वसंत अपने विविध रंग-रूपों के लिए विख्यात है। वह पतझड़ के बाद नए विकास, आनंद और उन्माद का संदेश लेकर आया करता है। चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण नए-नए, रंग-बिरंगे फूलों और उनकी महक से भर जाता हैह्व। उसे देख नवयुवकों के ही नहीं, बाल-वृद्धों के मन भी मस्ती से झूम उठते हैं। यह मस्ती ही होली के रूप में अनेक प्रकार के रंग-गुलाल से एक-दूसरे को रंग डालने, एक-दूसरे के गले मिलने, खाने-खिलाने के रूप में प्रगट हुआ करती है। मुख्यत-इसी कारण होली को ऋतु और मौसम का त्योहार माना जाता है। यह मान्यता बहुमान्य तो है ही, उचित भी प्रतीत होती है।

होली को फसल का त्योहार भी स्वीकार जाता है। इस मौसम के आते-आते खेतों में एक ओर जहां सरसों पीली पडक़र फूल-महक उठती है, वहां चने की फसल भी प्राय: पककर तैयार हो जाती है। लोग पके हुए पर हरे चने की बालियों सहित पौधे उखाडक़र उन्हें आग में भूनते हैं। इस प्रकार भुने हुए चने की बालियों ‘होलां’ या ‘होरां’ कही जाती हैं। लोग बड़े चाव से देहात में उन्हें आपस में बांट कर खाते हैं। चने की फसल पककर तैयार हो जाने, उस पर रंग-बिरंगा बासंती मौसम होने पर झूमते-गाते लोग रंग-गुलाल लुटाकर होली का त्योहार मनाते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि होली वास्तव में ऋतु और फसल का त्योहार ही है।

दूसरी ओर होली मनाने के मूल में धार्मिक कारण भी माना जाता है। पौराणिक कहानी के अनुसार हिरण्यकश्यपु नामक एक असुर राजा था। उसका राज्य मुल्ता तथा आसपास के इलाके में था। उसके बेटे का नाम था प्रह्लाद। वह अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध राम-नाम की भजन-भक्ति किया करता था। पिता के चाहने और अनेक कष्ट देने पर भी प्रह्लाद ने जब राम-नाम का भजन नहीं छोड़ा, तो हिरण्यकश्यपु ने उसे जलाकर मार डालने का निश्चय किया । उसने आग से न जलने का वरदान-प्राप्त अपनी होलिका नाम बहन को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए। उस ने ऐसा ही किया। परंतु भगवान की लीला, होलिका स्वंय जलकर राख हो गई, जबकि प्रह्लाद हंसता-खेलता बच गया। कहा जाता है कि तभी से लोग आसुरी शक्ति पर दैवी-शक्ति की विजय की याद में यह त्योहार रंग-गुलाल खेलते, खाते-पीते और गले मिलकर आनंद प्रगठ करते हैं। इससे उनकी धार्मिक और ऋतु-फसल संबंधी सभी प्रकार की धारणांए पूर्ण हो जाती हैं।

जो भी कारण हो, इतना स्पष्ट है कि होली आनंद-मंगल का त्योहार है और प्राय: सारे देश में किसी-न-किसी रूप में अवश्यक मनाया जाता है। किंतु अब कुछ दुष्प्रवृत्तियों वाले लोगों के कारण, कुछ जीवन-व्यवहार और दृष्टिकोण बदल जाने के कारण, अनेकविध अभावों और महंगाई के कारण होली का रंग-रूप फीका पड़ता जा रहा है। कई बार अनिच्छित लोगों पर रंग डालने के कारण दंगे तक भडक़ उठते हैं। कुछ लोग होली के नाम पर अश्लील हरकतें, धींगा-मुश्ती और मनमानी भी करने लगते हैं। लड़कियों पर रंग-भरे गुब्बारे मारकर छेड़छाड़ और शरारतें की जाती हैं। रंगों के नाम पर कीचड़ तथा विषैले तत्वों का प्रयोग भी किया जाता है। परिणामस्वरूप कई बार लोगों का अंग-भंग हो जाता है। इस प्रकार की बुराइयों की रोकथाम करके ही होली की पवित्रता और वास्तविक महत्व बनाए रखा जा सकता है। भांग-शराब पीना और हुड़दंग मचाना होली जैसे सांस्कृतिक पर्व का महत्व स्वत: ही घटा देता है। इन बुराइयों के कारण ही अधिकांश लोग अब होली के अवसर पर घरों में बंद रहना ही उचित समझते हैं। वातावरण और परिस्थितियों को देखते हुए उनका ऐस सोचना-करना अनुचित नहीं कहा जा सकता।

गंभीरता से विचार करके कहा जा सकता है कि होी वास्तव में मानव-मन की विविध और पवित्र, रंग-बिरंगी उमंगों का परिचय देने वाला त्योहार है। यह दिन सभी प्रकार के बैर-विरोध भुलाकर एक ही रंग में रंग जाने का संदेश देता है। अत: इसी रूप से इसे मनाकर ही हम इसके वास्तविक महत्व और स्वरूप को बनाए रख सकते हैं। गाना-बजाना, नाचना-कूदना, मिष्ठान खाना-पीना और हल्के एंव उचित रंग गुलाल का प्रयोग कर मन का उल्लास प्रकट करना ही वास्तविक होली है। वह सब नहीं, जो आज होकर इस सुंदर और पवित्र त्योहार को कुरूप और अपवित्र बना रहा है। इसकी सुंदरता और पवित्रता बनाए रखना हम सबका कर्तव्य है। सदभावनापूर्वक प्रयत्न करके ही इसे तथा इसके माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखा जा सकता है।

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essay on holi in hindi class 10

commentscomments

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Very good matter u have take

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it is very nice and very easy essay i like it … Please Send Vasant Panchami essay …. Also .. Tnq

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होली पर निबंध

Essay on Holi in Hindi: होली भारत में मनाए जाने वाला एक ऐसा पर्व है, जिसे भारत के संपूर्ण राज्यों में बड़ी ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली को एक अन्य नाम रंगीला त्यौहार से भी जाना जाता है।

होली के दिन सभी लोग अपनी दुश्मनी को भूल कर के एक दूसरे को रंग लगाते हैं और उनसे गले मिलते हैं। आज किस दिन दुश्मन लोग भी एक मित्र की तरह रहना पसंद करते हैं।

essay on holi in hindi

यहां पर अलग अलग शब्द सीमा में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) शेयर कर रहे हैं, जो हर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है।

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

होली पर निबंध 150 शब्दों में

होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे भारत समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। होली का त्योहार बसंत पंचमी के आगमन का प्रतीक होता है। यह त्योहार हर साल फागुन महीने के बसंत पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

रंगों का यह त्यौहार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है और पंचमी तक रहता है, इसलिए पांचवें दिन को रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है।

होली के 1 दिन पहले संध्या को होलिका दहन होता है, जिसमें सभी लोग लकड़ियों को इकट्ठा करके उसका ढेर बनाते हैं और होलिका दहन करके बुराई का अंत करते हैं। दूसरे ही दिन सुबह लोग एक दूसरे को रंग अबीर लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं।

होली के दिन सभी के घर पर स्वादिष्ट व्यंजन भी बनते हैं। लोग एक दूसरे के घर पर जाते हैं, अबीर का टीका लगाकर एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। इस दिन गाना बजाना भी होता है।

होली का त्योहार आपसी मनमुटाव को दूर करके एकजुट होने का त्यौहार है। इस दिन लोग अपने जात-धर्म, रंग, अमीरी-गरीबी सब कुछ भूल करके एक सामान्य मनुष्य की तरह रंगों के इस त्यौहार में डूब जाते हैं।

होली पर निबंध 200 शब्दों में

होली का त्योहार भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। लेकिन अन्य धर्म के लोग भी इस त्यौहार को मना कर आनंद बटोरते हैं।

होली का त्योहार हर साल फागुन महीने के पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार दो दिन का होता है। होली के 1 दिन पहले संध्या में होलिका दहन होता है और उसके दूसरे ही दिन धूलैंडी का त्यौहार मनाया जाता है।

धुलैंडी के दिन लोग सुबह उठकर सफेद कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं। गाना बजाना होता है, मौज मस्ती होती है। लोग भांग मिलाकर ठंडी छाछ पीते हैं। मीठे के रूप में इस दिन गुजिया व्यंजन काफी ज्यादा प्रसिद्ध है, जो सबके घर पर बनता है।

शाम के समय नहा धोकर नए कपड़े पहन कर लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और अभी को टिका लगाकर एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।

हर एक हिंदू त्योहारों की तरह होली त्यौहार को मनाने के पीछे भी एक प्रचलित पौरानीक कथा है और यह कथा राक्षस हिरणकश्यप से जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर राक्षस हिरणकश्यप का वध करके असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म का विजय प्राप्त की थी। होली का त्योहार देश के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

हालांकि इस त्यौहार को मनाने का तरीका भले ही अलग हो लेकिन हर जगह इस त्यौहार को रंगों से ही मनाया जाता है। होली का त्योहार प्रेम और भाईचारा को फैलाने का त्यौहार है। यह त्यौहार सद्भाव और खुशहाली लाता है। आपसी शत्रुता को भुलाकर मित्रता स्थापित करता है।

होली पर निबंध 250 शब्दों में

होली रंग बिरंगा त्यौहार है क्योंकि यह रंगों का त्यौहार है, इस दिन रंगों से खेला जाता है। एक दूसरे को रंग लगाया जाता है, इसीलिए इसे रंगोत्सव भी कहा जाता है। होली का त्यौहार फागुन महीने के पूर्णिमा को मनाया जाता है।

इससे सर्दियों का अंत हो जाता है और ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। होली के त्यौहार के बाद चारों ओर खेतों में सरसों के पीले फूल दिखने लगते हैं, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, प्रकृति का रंगीन वातावरण लोगों में नई उमंग ले आता है।

प्यार भरे रंगों से सजाया यह त्यौहार सामाजिक महत्व रखता है। क्योंकि यह त्यौहार सभी लोगों के बीच भाई चारा का संदेश देता है। लोग अपने पुराने गिले शिकवे भूल जाते हैं और एक दूसरे को गले लगा कर फिर से दोस्त बन जाते हैं।

इसलिए यह त्यौहार दोस्ती का त्यौहार है। यह त्योहार न केवल हिंदू धर्म के लोग बल्कि अन्य धर्म के लोग भी मनाते हैं।

होली के पूर्व संध्या पर होलिका दहन विशेष महत्व रखता है। होलिका दहन अधर्म पर धर्म के विजय का प्रतीक है। होलिका दहन करके लोग असत्य पर सत्य के विजय का संदेश देते हैं और अगले दिन एक दूसरे को रंग लगा के आपसी मतभेद को भुला देते हैं।

इस दिन सभी के घर पर अच्छे-अच्छे पकवान बनते हैं। सुबह रंगों से होली खेलकर शाम के समय एक दूसरे के घर जाकर अबीर से टीका लगाते हुए एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। 1 दिन की होली का त्योहार लोगों में एक महीने पहले से ही उत्साह ला देता है।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली का त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फागुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह हर साल आमतौर पर मार्च के महीने में ही आता है। होली को वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है।

यह त्यौहार आपसी प्रेम, एकता को स्थापित करने और आनंद भरे जीवन का आनंद लेने की शिक्षा देता है। सभी हिंदू त्यौहार की तरह ही होली त्यौहार को मनाने के पीछे भी कई सारी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। लेकिन इसकी एक प्रचलित कथा सतयुग से जुड़ा हुआ है।

इस कथा के अनुसार सतयुग में हिरणकश्यप नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जिसका बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से मन करता है लेकिन प्रहलाद अपने पिता की बात नहीं सुनता है।

तब हिरण कश्यप प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद लेता है। होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाती है। होलिका को वरदान के रूप में चुनरी मिली होती है, जिसे ओढ़ कर अग्नि में बैठने से अग्नि उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

लेकिन भगवान की कृपा से उस दिन होलिका की ओढनी उड़ जाती है, जिससे वह अग्नि में जलकर राख हो जाती हैं और प्रहलाद भगवान की कृपा से बच जाते हैं।

उसी दिन भगवान विष्णु नरसिंह का अवतार लेकर हिरण कश्यप का वध करते हैं और अधर्म पर धर्म का विजय स्थापित करते हैं। उसी दिन से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है।

होली के 1 दिन पहले संध्या को शहर गांव के मुख्य चौराहे पर लकड़ी को इकट्ठा करके होलिका दहन करते हैं, जिसमें गांव के लोग, शहर के लोग इकट्ठा होकर चारों तरफ परिक्रमा करते हैं, अग्नि देव को जल अर्पित करते हैं।

होलिका दहन होने के दूसरे दिन को धुलैंडी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुलाल और अबीर से लोग एक दूसरे को रगंते हैं। बच्चे गुबारे में पानी भरकर एक दूसरे के ऊपर फेंकते हैं, पिचकारी से एक दूसरे के ऊपर रंग लगाते हैं।

पहले होली का त्यौहार एक पवित्र और आनंदमय पर्व हुआ करता था। लेकिन आज के समय में होली का रूप विकृत होते जा रहा है। आज के लोग इस त्यौहार को आनंद और खुशी के उद्देश्य से ना खेलकर अलग ही मकसद से बना खेलते हैं।

आजकल होली में शोषण, दरिंदगी, आतंकवाद के मामले ज्यादा देखे जाते हैं। लोग प्राकृतिक रंगों के बजाय केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल करके एक दूसरे को नुकसान पहुंचाते हैं। युवा अत्यधिक मदिरा का सेवन करती है।

इस तरह के हरकतों से लोग होली के पावन महत्व को कम कर देते हैं। लेकिन सभी को होली के महत्व को समझते हुए एक साथ मिलकर प्रेम, खुशी और एकता से इस पर्व को मनाना चाहिए ताकि एक दूसरे की प्रती सद्भाव विकसित हो सके।

होली पर निबंध 500 शब्दों में

होली का त्योहार रंगों का त्यौहार होता है। हर साल यह त्यौहार फागुन महीने के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जित और अधर्म पर धर्म के विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के उन तमाम देशों में इस त्यौहार को मनाया जाता है, जहां पर हिंदू लोग रहते हैं। होली त्यौहार का लुफ्त उठाने के लिए हर साल विदेश से भी लोग फागुन महीने में भारत घूमने आते हैं।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

होली के पूर्व संध्या पर होलिका दहन होता है। होलिका दहन अधर्म पर धर्म के विजय का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए हर साल होली के एक दिन पहले संध्या में होलिका दहन किया जाता है और लोगों को असत्य पर सत्य के विजय की शिक्षा दी जाती हैं।

होलिका दहन के लिए गली मोहल्ले के लोग लड़कियां लाकर चौराहे पर इकट्ठा करते हैं। उसके बाद संध्या काल में शुभ समय में होलिका दहन होता है। उस समय गांव शहर की औरतें होलिका दहन वाले स्थान पर पहुंचती है। वे थाली में पूजा के लिए कुछ सामग्री और एक लोटे में जल लेकर आती है।

सभी लोग होली को अर्घ्य देते हुए चारों ओर परिक्रमा करते हैं। होलिका दहन के समय नव विवाहित जोड़े भी परिक्रमा करते हैं, इससे कहा जाता है कि बुरी आत्माएं और बुरी नजर उनसे दूर रहती है।

होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह धूलैंडी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन रंग और अबीर का दिन होता है। पूरे दिन लोग रंगों से खेलते हैं, एक दूसरे पर रंग डालते हैं। बच्चे पिचकारी और बैलून में रंग भर के एक दूसरे पर फेंकते हैं। चारों तरफ लोग हर्ष और उल्लास के रंग में रंगे होते हैं।

दोपहर तक रंगों से होली खेलने के बाद लोग नहा धोकर साफ सुथरे कपड़े पहनते हैं और फिर उनके घर पर बने हुए पकवान खाते हैं। इस दिन गुजिया, पोरन पोली, दही वड़ा जैसे कुछ व्यंजन काफी प्रचलित है।

इस दिन लोग भांग मिला हुआ ठंडा छाछ भी पीते हैं। शाम के समय लोग एक दूसरे के घर पर जाकर अबीर से टीका लगाते हैं और आपसी मतभेद को भूलकर गले मिलते हैं।

होली के विभिन्न रूप

भारत विभिन्नताओं में एकता वाला देश है। यहां पर हर एक राज्य में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, खान पान सब कुछ अलग होता है। ऐसे में उनके त्यौहार को मनाने के तरीके भी अलग होते हैं।

होली के त्यौहार भी भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जहां वृंदावन और मथुरा की लठमार होली प्रसिद्ध है तो वहीं गुजरात, महाराष्ट्र की मटकी फोड़ होली प्रसिद्ध है।

देश के हर कोने में अलग-अलग नाम से और अलग-अलग तरीके से होली के त्यौहार को मनाया जाता है लेकिन चारों तरफ एक समान हर्ष और उल्लास होता है।

आज के समय में होली का महत्व

भारत में हर एक त्यौहार का अपना ही महत्व है। होली का विशेष महत्व है क्योंकि होली न केवल रंगों का त्यौहार है बल्कि यह खुशियों का रंग फैलाता है। होली का त्यौहार जात-धर्म, रंगभेद, उच्च नीच सब कुछ भूला कर एक दूसरे को इंसान के रूप में देखना सीखाता है।

यह त्यौहार शत्रुता भूलाकर मित्रता स्थापित करने का त्यौहार है। लेकिन आज के इस बदलते दौर में लोगों के लिए त्यौहार को मनाने का तरीका और उनकी नजर में त्यौहार की महत्वता भी बदलता जा रहा है।

आज की युवा पहले की तरह सांस्कृतिक त्योहारों में रुचि नहीं रखते हैं, उनका क्रेज और इंटरेस्ट टेक्नोलॉजी और पार्टी की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है। जिसके कारण वे त्योहारों को भी पार्टी समझते हैं। इन सब चीजों ने होली जैसे त्यौहार को भी अभद्र आकर दे दिया है।

जहां इस त्यौहार में खुशियों का रंग लगाना चाहिए तो लोग अपने मौज मस्ती के लिए केमिकल रंगों का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं त्यौहार के बहाने दरिंदगी, छेड़खानी जैसे ना जाने कितने ही अभद्र घटनाएं घटित होती है।

त्योहार को हर्ष उल्लास, खुशी और आनंद के उद्देश्य से मनाया जाता है। होली का त्यौहार भी एक दूसरे की शत्रुता को भुलाकर गले मिलने और एकता स्थापित करने का दिन होता है।

किसी को भी अपने मतलब के लिए, अपने स्वार्थ के लिए, अपने मौज मस्ती के लिए किसी और के त्यौहार को खराब नहीं करना चाहिए। होली का त्योहार रंगों का त्यौहार है तो इस रंग के त्यौहार में अपनों के जीवन में खुशी के रंग लाने की कोशिश करें।

यहां पर होली पर निबंध (holi essay in hindi) अलग अलग शब्द सीमा में शेयर किये है। उम्मीद करते हैं आपको यह निबन्ध पसंद आये होंगे, इन्हें आगे शेयर जरुर करें।

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Essay on holi in hindi होली पर निबंध.

Essay On Holi in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और विद्यार्थियों के लिए होली के त्यौहार पर निबंध हिंदी में। What is Holi or why we celebrate Holi in Hindi? We have written a very short essay on Holi in Hindi/ Holi Nibandh. Now you can take an example to write a paragraph on Holi in Hindi and Holi essay in Hindi in a better way. We have added Holi festival essay in Hindi/ Essay on Holi in Hindi in 100, 200, 300, 350, 450 and 500 words. Now you can learn essay on Holi in Hindi language along with few lines on Holi in Hindi. If you get a chance to give Holi speech in Hindi you will find good sentences here. होली का त्योहार।

Essay on Holi in Hindi

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Essay on Holi in Hindi 200 Words

होली का त्यौहार हर फागुन मार्च के महीने में मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुडी है। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय कथा है। भक्त प्रहलाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। उन्होने प्रहलाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होने प्रहलाद को मारने का प्रयास किया था।

प्रहलाद के पिता ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी और होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई थी। होलिका प्रहलाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद बचे रहे और होलिका जल कर राख हो गई। इस कथा से इस बात की शिक्षा मिलती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हमेशा होती है। आज भी लोग होली जलाते है और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल और तरह-तरह के रंग डालते है इस दिन लोग सुबह उठकर रंगों को लेकर अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ मिलकर होली खेलते है।

सभी लोग अपनी दुश्मनी भूलकर कर दोस्तों की तरह एक दूसरे से गले लगते है वह एक दूसरे को गुलाल लगाते है और मिठाईयाँ खाते है। होली का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है।

Essay on Holi in Hindi 300 Words

नीले, पीले, लाल, गुलाबी रंगों की बात चलते ही सबसे पहले मन में होली का खयाल आता है। सच ही तो है, होली हम भारत के लोगों के लिए केवल एक त्योहार ही नहीं, बल्कि रंगों का ही दूसरा नाम है। हर तरफ उड़ता रंग-गुलाल, पिचकारियाँ थामे नन्हे-नन्हे हाथ, ढोल के साथ होली के गीत और गुझिया का स्वाद! यही तो खासियत है इस त्योहार की।

होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसलिए इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। खेतों में सरसों के फूल खिल उठते हैं। पेड़-पौधों पर नई चमक आ जाती है। खेतों में गेहूं की बालियाँ नाचने लगती हैं। इस त्योहार की शुरुआत तो वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है। यह त्योहार दो दिन का होता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है। इसके लिए चौराहे या किसी खुली जगह पर एक डंडा गाड़कर उसके पास लकड़ियाँ और उपले इकट्ठे किए जाते हैं। उसका पूजन किया जाता है। लोग अपने घरों में बने पकवानों का यहाँ भोग लगाते हैं। दिन ढलने पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर तय समय में होलिका जलाई जाती है। इसमें गेहूं की बालियाँ और चने के होले भी भूने जाते हैं।

होलिका दहन के पीछे एक कहानी है। माना जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बलशाली असुर था। वह इतना घमंडी हो गया था कि उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी, लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर–भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की इच्छा से यह आदेश दिया कि होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे। ऐसा करने पर प्रह्लाद को तो भगवान् ने बचा लिया, लेकिन होलिका जल गई। भक्त प्रहलाद की याद में ही हर साल होलिका जलाई जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दूसरे दिन रंग खेलने वाली होली यानी धुलेंडी मनाई जाती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और होली के गीत गाते हैं।

Essay on Holi in Hindi 350 Words

होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। होली रंगों का त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन (मार्च) के महीने में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। सभी बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। यह त्योहार लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दुसरे को रंग गुलाल लगाते हैं। इस दौरान सभी मिलकर ढोलक, हारमोनियम की धुन पर नाचते – गाते हैं। होली के दिन पर सभी खासतौर पर घर में बने गुजिया, पापड़, दही-भल्ले, हलवा, पानी पूरी, आदि खाते और खिलाते हैं।

होली उत्सव के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है:

हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था जिसका पुत्र था प्रहलाद जो विष्णु भगवान् का भक्त था जबकि उनके पिता विष्णु के विरोधी थे। हिरण्यकश्यप अपने ही पुत्र को मारना चाहता था क्यूंकि प्रहलाद भगवान् विष्णु को मानता था। हिरण्यकश्यप चाहता था की उसका पुत्र उसे भगवान् कहे न की विष्णु को। हिरण्यकश्यप ने बार-बार प्रहलाद को विष्णु की भक्ति करने से रोका और जब प्रहलाद नहीं माने तो उन्होंने प्रहलाद को जान से मारने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को भगवान से प्राप्त वरदान था की कोई भी उसे आग में जला नहीं सकता जब तक उसके पास भगवान् से प्राप्त चुन्नी होगी। प्रहलाद के पिता ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी और दोनों ने मिलकर प्रहलाद को मारने का एक षड़यंत्र रचा। जिसमे होलिका प्रहलाद को अपने गोद में लेकर जलती चिता में जाकर बैठ जाती है परन्तु भगवान् विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ हानि नहीं होती है और होलिका चिता में जलकर भष्म हो जाती हैं। तभी से हिन्दु धर्म के लोग बुराई के खिलाफ अच्छाई के विजय के रुप में हर साल होली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाते हैं। होली के इस उत्सव में सभी एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर दिनभर होली का जश्न मनाते हैं।

होली एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन लोग अपने बीच के सारे मतभेदों को भूल जाते हैं। सभी लोग एक दुसरे के ऊपर रंगों को फेकते हैं, माथे पर अबीर लगाते हैं और एक – दुसरे को गले लगाकर होली खेलते हैं।

Essay on Holi in Hindi 400 Words

होली भारत त्योहारों का देश है। यहाँ समय-समय पर अनेक त्योहार मनाए जाते हैं फिर भी कुछ त्योहार अधिक महत्त्वपूर्ण और उल्लासमय होते हैं। हमारे अनेक त्योहारों में सबसे रंगीन त्योहार है – होली। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

होली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। हिरण्यकश्यप नाम का राजा स्वयं को भगवान कहकर लोगों से अपनी पूजा करवाता था। उसने विष्णु की तपस्या करके ऐसा वरदान पा लिया था कि वह न दिन में मरे, न रात में, न आदमी से मारा जाए, न जानवर से, न देवता से मारा जा सके न राक्षस से, न अंदर मारा जाए न बाहर। उसने सोचा जब मैं मर ही नहीं सकता तो मैं भगवान ही हो गया। वरदान के मद में वह लोगों को सताने लगा। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह सब जगह नारायण का वास मानता था। हिरण्यकश्यप चिढ़कर अपने ही बालक को सताने लगा। प्रहलाद को पहाड़ से गिराया गया, हाथी से कुचलवाया गया, परंतु प्रहलाद बच गया। अंत में प्रहलाद को हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के साथ आग में बैठा दिया गया। उसकी बहन होलिका के पास एक वरदानी चादर थी जिसकी विशेषता थी कि जो कोई उसे ओढ़कर अग्नि में प्रवेश करेगा, उसे अग्नि जला नहीं सकेगी। आग भड़की तो विष्णु की कृपा से हवा का झोंका ऐसा आया कि होलिका की वरदानी चादर उसके ऊपर से उड़कर प्रहलाद के ऊपर पड़ गई। इस प्रकार प्रह्लाद का बाल भी बाँका न हुआ पर होलिका जलकर भस्म हो गई। लोग बहुत प्रसन्न हुए परंतु राजा क्रोध से आग बबूला हो गया। उसने प्रहलाद को एक खंभे पर लिपटने का आदेश दिया। भगवान को याद करके प्रहलाद खंभे से लिपट गया तभी चमत्कार हुआ। खंभा फटी और भगवान आधा शेर और आधा नर का (नृसिंह) रूप धारण करके प्रकट हुए। उन्होंने गरजकर हिरण्यकश्यप को पकड़ लिया और अपने घुटनों पर रखकर उसे नाखूनों से फाड़ डाला।

हिरण्यकश्यप के नाश और होलिका दहन के उल्लास में हर वर्ष होली जलाकर मनाई जाती है। दूसरे दिन सुबह सभी एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं। घर के लोग आने वालों को मिठाइयाँ खिलाते हैं। सभी खुशी-खुशी एक-दूसरे के गले मिलते हैं।

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि वृंदावन की होली का रंग तो अनोखा ही होता है। हमें चाहिए कि मौजमस्ती तथा उल्लास से भरे इस त्योहार को स्वच्छ और सुंदर ढंग से मनाएँ।

Essay on Holi in Hindi 450 Words

भारत त्योहारों और पर्वो का देश है। यहाँ हर वर्ष अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। रक्षा-बन्धन, दीपावली, दशहरा, होली आदि यहाँ के प्रसिद्ध त्योहार है। होली त्योहार सामाजिक एकता, मेलजोल और प्रेम भावना का प्रतीक है।

होली का त्योहार बसंत ऋतु में मनाया जाता है। बसन्त में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है, तो होली का त्योहार उसका श्रृंगार करने आता है। इस त्योहार को बसंत का यौवन भी कहा जाता है। इस दिन चारों ओर राग-रंग, उल्लास एवं उमंग का वातावरण होता है। मौसम का रंग तथा मुस्कान देखकर हमारा मन ही रंग-बिरंगा होने लगता है। इसलिए होली को रंगों का त्योहार भी कहते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस कारण इसे ‘फाग’ भी कहते हैं।

हमारा देश कृषि प्रधान देश है। फरवरी और मार्च के महीने में गेहूँ और चने के दाने पक जाते हैं। अग्नि देवता को प्रसन्न करने के लिए आहुति दी जाती है। नए अनाज की बाले भूनकर अपने इष्ट मित्रों में बाँटी जाती हैं। होलिका दहन के बाद लोग परस्पर एक दूसरे के गले मिलते हैं। अगले दिन फाग खेला जाता है। चारों ओर रंग और गुलाल उड़ता दिखाई देता है। लोग एक दूसरे के चेहरे पर गुलाल लगाते हैं।

“ग़म हमारे दूर करके, भरती खुशियों से झोली। वैरभाव दूर कर, आपस में गले मिलाती होली। ”

होली खेलने के बहाने लोग अपने सारे काम-काज और वैर-विरोध भूलकर आपस में गले मिलते हैं। इस अवसर पर लोगों के चेहरे एवं वस्त्र रंग-बिरंगे हो जाते हैं। चारों ओर मस्ती और उमंग का वातावरण छा जाता है। लोगों की टोलियाँ मस्ती से गाती, नाचती, ढोल-मंजीरे बजाती हुई गली-मोहल्ले में निकलती है। वृन्दावन की होली सबसे प्रसिद्ध है। यह भाईचारे का त्योहार है। दुश्मन भी इस दिन अपनी दुश्मनी को भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं। | यह मिलन का त्योहार है। इसे समता, प्रेम और भाईचारे से मनाना चाहिए। तभी हम इसका सच्चा आनन्द उठा सकते हैं।

पौराणिक कथा

इस त्योहार के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। प्राचीनकाल में हरिण्यकश्पयु नामक एक निर्दयी और नास्तिक राजा था। वह अपने आप को भगवान मानता था। वह चाहता था कि प्रजा उसे परमात्मा से भी बढ़कर सम्मान करे तथा उसकी पूजा करे। लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था। उसने अपने पिता का विरोध किया। हरिण्कश्पयु ने क्रोध में आकर अपने बेटे का वध करवाना चाहा। तब उसने अपनी बहन होलिका को बुलवाया, जिसको कि अग्नि देवता ने एक ओढणी के रूप में आग में न जलने का वरदान दिया था | हरिण्कश्पय के आदेश पर वह प्रहलाद को लेकर जलती आग में बैठ गई। लेकिन भगवान की कृपा से ऐसी आँधी चली कि वह ओढनी उड़कर प्रहलाद पर आ गई जिससे वह बच गया। होलिका जलकर राख हो गई। तब से यह पर्व प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रात्रि के समय होलिका-दहन किया जाता है। लोग इसकी परिक्रमा करते हैं।

Essay on Holi in Hindi 500 Words

In this 500 words essay you will find Holi information in Hindi and can get 10 lines on Holi festival in Hindi. Holi festival in hindi 500 words and now you can say happy Holi in Hindi language.

“मस्ती का त्योहार है होली, बोलो सबसे मीठी बोली। मिलकर खेलेंगे हम जोली, आपस का प्यार है होली।

भारत त्यौहारों का देश है। हम पूरे वर्ष के दौरान कई त्यौहार मनाते हैं। होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है और यह सर्दियों के मौसम के अंत में और वसंत की शुरुआत में मनाया जाता है। यह बहुत खुशी और उत्साह का एक रंगीन त्योहार है, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। होली का पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है | इस पर्व का विशेष धार्मिक, पौराणिक व सामाजिक महत्व है। होली को बुराई पर सच्चाई की विजय के रूप में मनाया जाता है इस त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक असूर राजा ने ब्रह्मा के वरदान तथा अपनी शक्ति से मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली थी। राजा हिरण्यकश्यप ने ईश्वर पर विश्वास नहीं किया अपितु अपनी शक्तियों में विश्वास किया। अभिमानवश वह स्वयं को अजेय समझने लगा। प्रहलाद भगवान का भक्त था जबकि उनके पिता हिरण्यकश्यप विष्णु के विरोधी थे| उन्होंने प्रहलाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रहलाद को मारने का प्रयास किया।

उनकी बहन होलिका को एक ईश्वर-प्रतिभाशाली वरदान था कि कोई उसे आग में जला नहीं पाएगा। प्रहलाद के पिता ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई और प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई। तभी से होलिका दहन परंपरागत रूप से हर फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सभी रात में एक जगह इकठ्ठा होकर लकड़ी और गोबर के ढेर को जलाकर होलिका दहन के रिवाज को संपन्न करते है।

होलिका दहन की अगली सुबह, लोग रंग-बिरंगी होली को एक साथ मनाने के लिये एक जगह इकठ्ठा हो जाते है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते हैं। साथ ही मजेदार पकवानों का आनंद लेते। होली एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन लोग अपने बीच के सारे मतभेदों को भूल जाते हैं, टूटे रिश्तों को बनाते हैं और फिर खुश दुनिया में वापस आ जाते हैं। उन पर रंगों को फेंक कर, माथे पर अबीर लगाने और एक-दूसरे को गले लगाने के दवारा होली खेलते हैं।

लोग होली के गाने गाकर और अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ मिलकर संगीत पर नाचकर सड़क पर रंग खेलते हैं। दोपहर के बाद, लोग नमस्कार करने के लिए एक-दूसरे के घर जाते हैं। जगह और संस्कृति के अनुसार होली का उत्सव भिन्न होता है। कुछ जगहों पर, सफेद रंग की पोशाक में होली खेलने की एक परंपरा है और शाम को ऍक-दूसरे को अपना प्यार, स्नेह और भाईचारे दिखाने के लिए गले लगाते हैं।

कुछ लोग सच्ची भावना से त्योहार नहीं मनाते हैं, वे शराब पीते हैं और अन्य लोगों के चेहरों पर कीचड़ का इस्तेमाल करते हैं। इसे टाला जाना चाहिए। हमें स्वच्छ होली खेलना चाहिए। हमें लोगों को इन गतिविधियों को छोड़ने और त्योहार को सही भावना से मनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए क्योंकि यह बहुत सारे रंग, मित्रों और खुशी का उत्सव है।

Essay on Holi in Hindi 600 Words

होली भारतीय समाज का एक अति विशिष्ट और महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार को भारतीय समाज अत्यंत प्राचीन काल से नाना रूपों, रंगों और नामों से मनाता आता रहा है, जिसे आज हम रंगों के त्योहार होली के नाम-रूप में जानते-पहचानते और मनाते हैं। कभी इसे मदनोत्सव कहकर पुकारा जाता था। पहले, इस दिन सभी लोग एक-दूसरे पर पुष्पों और उनके बने मधुर, सुकोमल रंगों के इत्रों आदि को डालते थे। बाद में इनका स्थान समुचित रंगों ने ले लिया।

भारतीय समाज एक धर्म-प्राण और तीज-त्योहारों वाला देश रहा है। आज के भौतिकवादी समय में भी भारतवर्ष ने अपनी इस महान् परम्परा को किंचित मात्र भी नहीं छोड़ा है। आज भी समग्र भारतीय समाज इस पर्व के दिन एक अजब उत्साह और उल्लास से भर उठता है। वस्तुत: जैसा कि प्रायः विद्वानों द्वारा कहा भी जाता है, भारतीय पर्व, भारतीय जनमानस की आनंदोत्सव के प्रतीक और उसकी उल्लासपूर्ण अभिव्यक्ति है।

हम सभी इस बात से पूर्णत: परिचित हैं कि साहित्य अपने सारतत्व के लिए मूलतः मानव समाज पर ही न केवल निर्भर होता है अपितु अगर यह कहा जाए कि वो पूर्णत: उसकी आनन्द और विवाद पर ही अवलम्बित होता है, तो किसी प्रकार की असंगति नहीं होगी। साहित्य में जब मानव-जीवन की अपनी बाह्य एवं आन्तरिक रूप-स्वरूप व्यक्त अभिव्यक्त होता है, तब इसका संकेत वस्तुत: यही होता है कि मानवीय जीवन जिन-जिन आयामों, रूपों और भिन्न-भिन्न पक्षों से आप्लावित हुआ करता है साहित्य में वो सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चित्रित होते ही रहते हैं। जिस प्रकार साहित्य में मानव जीवन की कठोर वास्तविकताएं चित्रित एवं अभिव्यंजित होती है ठीक उसी प्रकार मानवीय जीवन के अह्लादपरक क्षण भी साहित्य में चित्रित होते हैं। भारतीय मानव का एक ऐसा ही आह्वापरक क्षण है होली का पवित्र त्योहार। हिन्दी साहित्य में इस उल्लासपूर्ण त्योहार का व्यापक एवं अत्यंत समृद्ध चित्रण हुआ है। यहाँ तक कि भारतीय संस्कृत-साहित्य की भी इस संदर्भ में किसी से पीछे नहीं कहा जा सकता। फिर भी हिन्दी कविता का स्थान इस संदर्भ में अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय रहा है।

होली का चित्रण साहित्य में वैसे तो प्रत्यक्ष रूप से अत्यंत विपुल मात्रा में हुआ है जिसमें प्रमाणों से हिन्दी साहित्य का समग्र इतिहास भरा पड़ा है। किन्तु इसका महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब इस होली के त्योहार का उल्लास साहित्य में अप्रत्यक्ष रूप से चित्रित होता है। यथाः

चितवत जारी ओर चख चकि चौंध कौंधे भनि प्रणमेस मातु किरन खरी सी है छवि प्रतिबिम्ब छुट्यों छिति है छपाकार ते छाजत छबीली राजै कनक छरी सी है दीनौ हर लुरक गुलाब को प्रसून ग्रास झुक झुक झुमि झुमि झाँकत परी सी है। आनन अमल अरविन्द ते अमल अति। अद्भुत अमूल आया उफनि परी सी है।

इसी प्रकार से भिखारीदास ने भी होली का भव्य चित्रण अपने काव्य में किया है उनकी एक अत्यंत प्रसिद्ध काव्यांश इस प्रकार से है।

कढ़ि के निसंक पैठि जाति झुंड झुंडन में, लोगन को देखि दास अनंद पगति है। दौरि दौरि जहाँ तही लाज करि डारति है। अंक लगि कंठ लगिबे को उजगारी है। चमक झमक बारी, ठमक जमक बारी, रमक नमक बारी जाहिर जगति है। राम असि रखरे की रन में नरन में निलाज बनिता सी होगी खेलन लगति है।

इसी प्रकार की एक कविता पद्माकर जी ने भी लिखी है। यथाः

फागु की भीर, अभीरिन में गहि गोविंद ले गई भीतर गोरी। भाई करी मन की पदमाकर ऊपर भाई कबीर की झोरी।। छीख पितंबर कम्मर ते सुबिदा पई मीडि कपोलन रोरी नैन बचाय कही मुसनम बला फिर आइयो खेलन होरी॥

अत: हमारे कहने का अभिप्राय जो था वह इन उदाहरणों से पूर्णत: सिद्ध हो जाता है कि जिस प्रकार रंगों का यह त्योहार हम भारतीयों में व्यापकता में बसा हुआ है उसी प्रकार हमारे साहित्य में भी।

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